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संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद का नहीं दिखा असर, कनॉट प्लेस मार्केट में रोज की तरह खुली सभी दुकानें

Bharat Bandh Effects In Delhi : शुक्रवार 16 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर बुलाए बंद का असर नजर नहीं आया.दिल्ली के तमाम प्रमुख बाजारों समेत कनॉट प्लेस मार्केट में समान्य दिनों की तरह दुकानें खुली दिखी.

भारत बंद का नहीं दिखा असर
भारत बंद का नहीं दिखा असर
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 16, 2024, 2:41 PM IST

भारत बंद का नहीं दिखा असर

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर शुक्रवार 16 फरवरी को भारत बंद बुलाया गया है. इसके तहत देश के किसान-मजदूरों से अपील की गई है कि आज अपने काम को पूरी तरह बंद रखें. लेकिन राजधानी दिल्ली में भारत बंद का कोई असर नजर नहीं आ रहा है. राजधानी दिल्ली के तमाम इलाकों में के प्रमुख बाजार खुले हुए नजर आ रहे हैं तस्वीर राजधानी दिल्ली के प्रमुख मार्केट में से एक दिल्ली का दिल कहे जाने वाली कनॉट प्लेस मार्केट की है या सुबह से ही बाजार पूरी तरह से खुले हुए नजर आ रहे हैं.

देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर वाहन भी चल रहे हैं इसके साथ ही कनॉट प्लेस की पूरी मार्केट खुली हुई नजर आ रही है. भारत मां का कोई असर देश की राजधानी दिल्ली में नहीं देखने को मिल रहा है. बता दें कि किसान मजदूर संगठनों ने आह्वान किया था कि सुबह 6:00 से शाम 4:00 बजे तक देश भर के सभी बाजार किसानों के समर्थन में बंद रहेंगे लेकिन इसका असर बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा है पहले ही दिल्ली के मार्केट एसोसिएशन ने साफ कर दिया था कि दिल्ली की मार्केट बंद नहीं रहेंगे.

इधर कनफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने दावा किया है कि किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद में कैट की अपील पर देश भर के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले और बाज़ारों में सामान्य रूप से कारोबार हुआ.भारत बंद का बाज़ारों में कोई प्रभाव नहीं दिखा. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि ये सच है कि देश भर में बड़ी संख्या में किसान नुक़सान की खेती कर रहा है, तो मूल प्रश्न यह है कि किसान की नुक़सान की खेती को लाभ में कैसे बदला जाए.

ये भी पढ़ें : 'भारत बंद' से दिल्ली के व्यपारियों ने किया किनारा, खुले रहेंगे राजधानी के बाजार

सरकार और किसानों के बीच बातचीत इस मुख्य बिंदु पर होनी चाहिए और कोई भी फ़ार्मूला निकालते समय अर्थव्यवस्था के अन्य वर्गों और उपभोक्ताओं के हितों को भी ध्यान में रखा जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों की जो मांगे है, यदि उनको पूरा किया गया तो अर्थव्यवस्था पर क्या विपरीत प्रभाव अथवा वित्तीय बोझ पड़ेगा, उस पर भी ध्यान दिया जाना ज़रूरी है .

ये भी पढ़ें : किसानों के भारत बंद आह्वान को लेकर पुलिस अलर्ट, नोएडा में धारा 144 लागू

भारत बंद का नहीं दिखा असर

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर शुक्रवार 16 फरवरी को भारत बंद बुलाया गया है. इसके तहत देश के किसान-मजदूरों से अपील की गई है कि आज अपने काम को पूरी तरह बंद रखें. लेकिन राजधानी दिल्ली में भारत बंद का कोई असर नजर नहीं आ रहा है. राजधानी दिल्ली के तमाम इलाकों में के प्रमुख बाजार खुले हुए नजर आ रहे हैं तस्वीर राजधानी दिल्ली के प्रमुख मार्केट में से एक दिल्ली का दिल कहे जाने वाली कनॉट प्लेस मार्केट की है या सुबह से ही बाजार पूरी तरह से खुले हुए नजर आ रहे हैं.

देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर वाहन भी चल रहे हैं इसके साथ ही कनॉट प्लेस की पूरी मार्केट खुली हुई नजर आ रही है. भारत मां का कोई असर देश की राजधानी दिल्ली में नहीं देखने को मिल रहा है. बता दें कि किसान मजदूर संगठनों ने आह्वान किया था कि सुबह 6:00 से शाम 4:00 बजे तक देश भर के सभी बाजार किसानों के समर्थन में बंद रहेंगे लेकिन इसका असर बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा है पहले ही दिल्ली के मार्केट एसोसिएशन ने साफ कर दिया था कि दिल्ली की मार्केट बंद नहीं रहेंगे.

इधर कनफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने दावा किया है कि किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद में कैट की अपील पर देश भर के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले और बाज़ारों में सामान्य रूप से कारोबार हुआ.भारत बंद का बाज़ारों में कोई प्रभाव नहीं दिखा. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि ये सच है कि देश भर में बड़ी संख्या में किसान नुक़सान की खेती कर रहा है, तो मूल प्रश्न यह है कि किसान की नुक़सान की खेती को लाभ में कैसे बदला जाए.

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सरकार और किसानों के बीच बातचीत इस मुख्य बिंदु पर होनी चाहिए और कोई भी फ़ार्मूला निकालते समय अर्थव्यवस्था के अन्य वर्गों और उपभोक्ताओं के हितों को भी ध्यान में रखा जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों की जो मांगे है, यदि उनको पूरा किया गया तो अर्थव्यवस्था पर क्या विपरीत प्रभाव अथवा वित्तीय बोझ पड़ेगा, उस पर भी ध्यान दिया जाना ज़रूरी है .

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