भोपाल: 21 अगस्त बुधवार को क्रीमी लेयर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद विभिन्न संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. जिसके बाद यह माना जा रहा था कि स्कूल, कॉलेज और बैंकों की भी छुट्टी रहेगी. लेकिन भारत बंद का मध्य प्रदेश के स्कूल, कॉलेज और बैंकों पर असर नहीं पड़ेगा. भोपाल के बड़े स्कूलों के प्रबंधन का कहना है कि हमारे पास स्कूल बंद का कोई आदेश नहीं आया है, इसलिए स्कूल अपने तय वक्त पर खुलेंगे.
भारत बंद का कहां पड़ेगा असर
भारत बंद को लेकर अभी तक किसी भी राज्य सरकार ने आधिकारिक तौर पर दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं. बात की जाए मध्य प्रदेश की तो यहां भी शासन की तरफ से बंद का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. इसलिए बुधवार को स्कूल-कॉलेज हमेशा की तरह खुले रहेंगे. बंद का निजी दफ्तरों और परिवहन सेवाओं पर असर देखा जा सकता है. जबकि अस्पताल, एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी. बैंक, सरकारी ऑफिस भी अपने टाइम पर खुलेंगे. भारत बंद के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर राजधानी भोपाल सहित प्रदेश भर में भारी संख्या में जवान तैनात किये गए हैं.
संगठनों ने क्यूं लिया भारत बंद का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी के आरक्षण के विरोध में 'रिजर्वेशन बचाओ संघर्ष समिति' ने 21 अगस्त को भारत बंद बुलाया है. भीम आर्मी, बीएसपी, आरजेडी और झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित कई पार्टियों ने बंद का समर्थन किया है. राजस्थान के एससी-एसटी समूहों ने भी बंद का ऐलान किया है. राजस्थान में स्कूल कॉलेज भी बंद रहेंगे. इस दौरान सड़कों पर कम वाहनों के चलने की संभावना है. भारत बंद का ट्रेन यातायात पर भी असर देखने को मिलेगा.
आरक्षण पर क्या है सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
अब समझिए कि आखिर ये भारत बंद का आवाहन क्यों किया जा रहा है. इसकी वजह है अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण के क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सुनाया गया एक फैसला. दरअसल भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर एक टिप्पणी करते हुए कहा था, ''सभी SC-ST जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं. कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं. उदाहरण के लिए- सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले. ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं. इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें SC-ST आरक्षण का वर्गीकरण यानि सब-क्लासिफिकेशन कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती हैं. ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है.''
SC बोला- किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं
इस दौरान माननीय कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्य सरकारों को कुछ महत्वपूर्ण हिदायतें भी दी. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं. इसमें भी दो शर्त लागू होंगी. कोर्ट ने राज्यों को बताया एससी के भीतर किसी एक जाति को पूरा 100% कोटा नहीं दिया जा सकता है. दूसरी शर्त को बताते हुए कोर्ट ने कहा कि एससी में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह बात उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कही थी, जिनमें कहा गया था कि SC-ST के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है. इसी वजह से SC-ST में शामिल कई जातियों के लोग पीछे रह गए हैं. उन्हें समाज या विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए राज्य सरकारों को कोटे में कोटा देना चाहिए.