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RML के डॉक्टरों से पहले सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर भी मरीजों से रिश्वत लेकर बना चुका है करोड़ों की संपत्ति - bribery racket in delhi

CBI ने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक बड़े रिश्वतखोरी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए दो सीनियर हृदय रोग विशेषज्ञों सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया है. दिल्ली में यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले 2023 में भी सीबीआई ने सफदरजंग अस्पताल के एक डॉक्टर मनीष रावत और उसके चार साथियों को गिरफ्तार किया था.

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आरोपी डॉक्टर मनीष रावत (File Photo)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 9, 2024, 2:57 PM IST

Updated : May 9, 2024, 3:14 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के बड़े अस्पताल राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) में बुधवार को सीबीआई ने दो डॉक्टरों सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया. बताया जा रहा है कि मरीजों और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों से रिश्वत लेने के मामले में इन्हें गिरफ्तार किया गया है. इनमें अस्पताल के कॉर्डियोलॉजी विभाग के दो डॉक्टर पर्वतगौड़ा और डॉक्टर अजय राज प्रमुख रूप से शामिल पाए गए हैं. अस्पतालों में मरीजों और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों से रिश्वत लेने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी बीते साल 30 मार्च को सफदरजंग अस्पताल के एक डॉक्टर मनीष रावत और उसके चार साथियों को भी इसी तरह के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.

न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष न्यूरो की समस्या से अधिक परेशान मरीजों से जल्दी अप्वाइंटमेंट और सर्जरी के बदले रिश्वत लेता था. इसके लिए उसने एक बिचौलिया अवनेश पटेल को लगा रखा था. पटले ही मरीजों से रिश्वत के लिए संपर्क करता था. साथ ही सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले इम्प्लांट को उनकी तय कीमत से काफी ज्यादा राशि में खरीदने के लिए जंगपुरा स्थित एक दुकान पर भेजता था. उकरण की तय राशि से ऊपर की रकम डॉक्टर मनीष को रिश्वत के रूप में दी जाती थी.

जांच में खुलासा हुआ था कि डॉक्टर रावत ने मरीजों को 30 हजार से लेकर एक लाख 15 हजार रुपये तक की रिश्वत एक बिचौलिया के बैंक खाते में जमा कराने के लिए कहा था. रावत मरीजों से दीपक खट्टर की कंपनी कनिष्क सर्जरी से ही उपकरण खरीदने के लिए कहता था. डॉ. रावत के निर्देश पर अवनेश पटेल मरीजों के परिजनों से संपर्क करता था और उनसे कहता था कि अगर वे पैसे देंगे तो उन्हें डॉक्टर रावत की अप्वाइंटमेंट या सर्जरी के लिए पहले की तारीख दिला देंगे.

ये भी पढ़ें : दिल्ली के RML अस्पताल में ट्रांसजेंडर्स के लिए शुरू हुई ओपीडी सेवा

अवनेश मरीजों से मिले पैसे को दीपक खट्टर के कर्मचारी मनीष शर्मा और कुलदीप को देता था या उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर देता था. सीबीआई ने अपनी जांच में यह पाया था कि डॉ. मनीष रावत ने अवैध रूप से कमाई करके करीब करीब ढाई करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है. इस आरोप की भी सीबीआई ने एक अलग एफआईआर डॉक्टर रावत के खिलाफ दर्ज की थी. इसमें रावत की पत्नी खुशबू को भी आरोपी बनाया था. मामले में अभी तक जांच चल रही है.

डॉक्टर मनीष के पास मिली थी करोड़ों की संपत्ति

सीबीआई को जांच में डॉक्टर रावत की पत्नी के लॉकर में 69 लाख रुपये के गहने भी मिले थे. जांच में पता चला था कि दंपत्ति के पास 3.39 करोड़ रुपये थे और उनका सालाना खर्च 1.16 करोड़ रुपये था. सीबीआई की एफआईआर में बताया गया था कि डॉ. मनीष और उसकी पत्नी ने 4.43 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जिसमें नोएडा और उत्तराखंड के हल्द्वानी में 3.47 करोड़ रुपये की पांच अचल संपत्तियां भी शामिल हैं.

इसके अलावा रावत ने उन कंपनियों और फर्मों में खुशबू रावत निदेशक या पार्टनर थी, उनमें 48 लाख रुपये का निवेश भी किया था. इसके अलावा बीमा पॉलिसियों में 17.5 लाख रुपये का निवेश शामिल है. रावत ने अपनी पत्नी के नाम पर 2.40 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जो दोनों की आमदनी के ज्ञात स्त्रोतों से 70.85 प्रतिशत से अधिक थी.

ये भी पढ़ें : आरएमएल अस्‍पताल के 2 डॉक्‍टर्स समेत 9 लोगों को CBI ने क‍िया अरेस्‍ट, घूसखोरी का आरोप

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के बड़े अस्पताल राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) में बुधवार को सीबीआई ने दो डॉक्टरों सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया. बताया जा रहा है कि मरीजों और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों से रिश्वत लेने के मामले में इन्हें गिरफ्तार किया गया है. इनमें अस्पताल के कॉर्डियोलॉजी विभाग के दो डॉक्टर पर्वतगौड़ा और डॉक्टर अजय राज प्रमुख रूप से शामिल पाए गए हैं. अस्पतालों में मरीजों और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों से रिश्वत लेने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी बीते साल 30 मार्च को सफदरजंग अस्पताल के एक डॉक्टर मनीष रावत और उसके चार साथियों को भी इसी तरह के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.

न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष न्यूरो की समस्या से अधिक परेशान मरीजों से जल्दी अप्वाइंटमेंट और सर्जरी के बदले रिश्वत लेता था. इसके लिए उसने एक बिचौलिया अवनेश पटेल को लगा रखा था. पटले ही मरीजों से रिश्वत के लिए संपर्क करता था. साथ ही सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले इम्प्लांट को उनकी तय कीमत से काफी ज्यादा राशि में खरीदने के लिए जंगपुरा स्थित एक दुकान पर भेजता था. उकरण की तय राशि से ऊपर की रकम डॉक्टर मनीष को रिश्वत के रूप में दी जाती थी.

जांच में खुलासा हुआ था कि डॉक्टर रावत ने मरीजों को 30 हजार से लेकर एक लाख 15 हजार रुपये तक की रिश्वत एक बिचौलिया के बैंक खाते में जमा कराने के लिए कहा था. रावत मरीजों से दीपक खट्टर की कंपनी कनिष्क सर्जरी से ही उपकरण खरीदने के लिए कहता था. डॉ. रावत के निर्देश पर अवनेश पटेल मरीजों के परिजनों से संपर्क करता था और उनसे कहता था कि अगर वे पैसे देंगे तो उन्हें डॉक्टर रावत की अप्वाइंटमेंट या सर्जरी के लिए पहले की तारीख दिला देंगे.

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अवनेश मरीजों से मिले पैसे को दीपक खट्टर के कर्मचारी मनीष शर्मा और कुलदीप को देता था या उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर देता था. सीबीआई ने अपनी जांच में यह पाया था कि डॉ. मनीष रावत ने अवैध रूप से कमाई करके करीब करीब ढाई करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है. इस आरोप की भी सीबीआई ने एक अलग एफआईआर डॉक्टर रावत के खिलाफ दर्ज की थी. इसमें रावत की पत्नी खुशबू को भी आरोपी बनाया था. मामले में अभी तक जांच चल रही है.

डॉक्टर मनीष के पास मिली थी करोड़ों की संपत्ति

सीबीआई को जांच में डॉक्टर रावत की पत्नी के लॉकर में 69 लाख रुपये के गहने भी मिले थे. जांच में पता चला था कि दंपत्ति के पास 3.39 करोड़ रुपये थे और उनका सालाना खर्च 1.16 करोड़ रुपये था. सीबीआई की एफआईआर में बताया गया था कि डॉ. मनीष और उसकी पत्नी ने 4.43 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जिसमें नोएडा और उत्तराखंड के हल्द्वानी में 3.47 करोड़ रुपये की पांच अचल संपत्तियां भी शामिल हैं.

इसके अलावा रावत ने उन कंपनियों और फर्मों में खुशबू रावत निदेशक या पार्टनर थी, उनमें 48 लाख रुपये का निवेश भी किया था. इसके अलावा बीमा पॉलिसियों में 17.5 लाख रुपये का निवेश शामिल है. रावत ने अपनी पत्नी के नाम पर 2.40 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जो दोनों की आमदनी के ज्ञात स्त्रोतों से 70.85 प्रतिशत से अधिक थी.

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Last Updated : May 9, 2024, 3:14 PM IST
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