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बस्तर दशहरा 2024: दुर्गाष्टमी तिथि 2 दिन, महानवमी पर मां दंतेश्वरी की डोली होगी रवाना

इस साल शारदीय नवरात्र में अष्टमी तिथि 2 दिन होने के कारण मां दंतेश्वरी की डोली बस्तर दशहरा के लिए नवमी को रवाना होगी.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 3 hours ago

BASTAR DUSSEHRA 2024
बस्तर दशहरा 2024 (ETV Bharat)

दंतेवाड़ा: इस साल शारदीय नवरात्र पर माई जी की डोली दुर्गानवमी को बस्तर दशहरा के लिए रवाना की जाएगी. मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस साल शारदीय नवरात्र अष्टमी की तिथि 2 दिन होने के कारण मां दंतेश्वरी की डोली को नवमी को विधि विधान से पूजा अर्चना कर बस्तर दशहरा के लिए रवाना किया जाएगा.

माई जी की डोली के लिए तैयारी: टेंपल कमेटी ने माई जी की डोली जगदलपुर ले जाने की पूरी तैयारी कर ली है. पहले दुर्गानवमी पर मां दंतेश्वरी डोली को मंदिर प्रांगण में निकाला जाएगा. पुलिस के जवान सलामी देंगे. फिर मां दंतेश्वरी की डोली को धूमधाम से बस्तर दशहरा मनाने के लिए जगदलपुर के लिए विदा किया जाएगा.जगदलपुर तक मां दंतेश्वरी डोली और छत्र की जगह जगह पूजा की जाती है. लोग माता की डोली का स्वागत करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.

महाभैरव को कार्यभार सौंपती हैं माई जी: मां दंतेश्वरी बस्तर दशहरा में शामिल होने के पहले मंदिर का कार्यभार नौ दिनों के लिए महाभैरव को सौंप कर बस्तर दशहरा के लिए रवाना होती है. यह विशेष परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

मां दंतेश्वरी का मंदिर देश विदेश में प्रसिद्ध: मां दंतेश्वरी मंदिर की ख्याति भारत ही नहीं देश विदेश में भी फैली हुई है. हर साल बड़ी संख्या में विदेश से भी श्रद्धालु मां दंतेश्वरी के दर्शन करने दंतेवाड़ा पहुंचते हैं. नवरात्र में मां दंतेश्वरी की अलग अलग रूपों में अलग अलग दिन विशेष पूजा की जाती है. अष्टमी के दिन माता भक्तों को दर्शन देने मंदिर के बाहर आती हैं, परंतु इस बार अष्टमी तिथि दो दिन होने के कारण मां दंतेश्वरी के दर्शन नवमी को हो पाएंगे.

बस्तर दशहरा की खासियत: बस्तर दशहरा में रावण का दहन नहीं बल्कि रथ की नगर परिक्रमा करवाई जाती है. जिसमें माता का छत्र विराजित किया जाता है. जब तक दंतेश्वरी माता दशहरा में शामिल नहीं होती हैं, तब तक यहां दशहरा नहीं मनाया जाता है. बस्तर दशहरा 75 दिनों तक चलता है. यह परंपरा करीब 620 साल पुरानी है.

दंतेवाड़ा में भव्य कॉरिडोर: दंतेश्वरी मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है. शंखनी डंकनी नदी के तट पर भव्य कॉरिडोर बनाया गया है. यह इस नवरात्र में सभी के आकर्षण का केंद्र है. इस बार टेंपल कमेटी ने मां दंतेश्वरी के 9 दिन ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था भी की है. इस बार 11000 से ज्यादा मनोकामना दीपक जलाए गए हैं.

नवरात्र में दंतेश्वरी मंदिर का भक्तों को तोहफा, माता के आकृति वाला चांदी का सिक्का जारी, जानिए कीमत - Danteshwari Temple Silver Coin
मां दंतेश्वरी ने बुलाया भक्त घुटनों के बल चलकर आया, गृहमंत्री ने चांदी का सिक्का देकर बढ़ाया हौसला - Maa Danteshwari called devotee
बस्तर में किन्नर समाज ने किए मां दंतेश्वरी के सबसे पहले दर्शन, मां को चढ़ाई पहली चुनरी - transgenders Danteshwari darshan

दंतेवाड़ा: इस साल शारदीय नवरात्र पर माई जी की डोली दुर्गानवमी को बस्तर दशहरा के लिए रवाना की जाएगी. मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस साल शारदीय नवरात्र अष्टमी की तिथि 2 दिन होने के कारण मां दंतेश्वरी की डोली को नवमी को विधि विधान से पूजा अर्चना कर बस्तर दशहरा के लिए रवाना किया जाएगा.

माई जी की डोली के लिए तैयारी: टेंपल कमेटी ने माई जी की डोली जगदलपुर ले जाने की पूरी तैयारी कर ली है. पहले दुर्गानवमी पर मां दंतेश्वरी डोली को मंदिर प्रांगण में निकाला जाएगा. पुलिस के जवान सलामी देंगे. फिर मां दंतेश्वरी की डोली को धूमधाम से बस्तर दशहरा मनाने के लिए जगदलपुर के लिए विदा किया जाएगा.जगदलपुर तक मां दंतेश्वरी डोली और छत्र की जगह जगह पूजा की जाती है. लोग माता की डोली का स्वागत करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.

महाभैरव को कार्यभार सौंपती हैं माई जी: मां दंतेश्वरी बस्तर दशहरा में शामिल होने के पहले मंदिर का कार्यभार नौ दिनों के लिए महाभैरव को सौंप कर बस्तर दशहरा के लिए रवाना होती है. यह विशेष परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

मां दंतेश्वरी का मंदिर देश विदेश में प्रसिद्ध: मां दंतेश्वरी मंदिर की ख्याति भारत ही नहीं देश विदेश में भी फैली हुई है. हर साल बड़ी संख्या में विदेश से भी श्रद्धालु मां दंतेश्वरी के दर्शन करने दंतेवाड़ा पहुंचते हैं. नवरात्र में मां दंतेश्वरी की अलग अलग रूपों में अलग अलग दिन विशेष पूजा की जाती है. अष्टमी के दिन माता भक्तों को दर्शन देने मंदिर के बाहर आती हैं, परंतु इस बार अष्टमी तिथि दो दिन होने के कारण मां दंतेश्वरी के दर्शन नवमी को हो पाएंगे.

बस्तर दशहरा की खासियत: बस्तर दशहरा में रावण का दहन नहीं बल्कि रथ की नगर परिक्रमा करवाई जाती है. जिसमें माता का छत्र विराजित किया जाता है. जब तक दंतेश्वरी माता दशहरा में शामिल नहीं होती हैं, तब तक यहां दशहरा नहीं मनाया जाता है. बस्तर दशहरा 75 दिनों तक चलता है. यह परंपरा करीब 620 साल पुरानी है.

दंतेवाड़ा में भव्य कॉरिडोर: दंतेश्वरी मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है. शंखनी डंकनी नदी के तट पर भव्य कॉरिडोर बनाया गया है. यह इस नवरात्र में सभी के आकर्षण का केंद्र है. इस बार टेंपल कमेटी ने मां दंतेश्वरी के 9 दिन ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था भी की है. इस बार 11000 से ज्यादा मनोकामना दीपक जलाए गए हैं.

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