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किसान पिता के सपनों को बेटी ने दिए 'पंख', अब गरिमा करेंगी आसमान की सैर - Barmer Based Garima Chaudhary

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 20, 2024, 11:07 AM IST

Garima Chaudhary Become Pilot, बाड़मेर की बेटी गरिमा चौधरी पायलट बन गईं है. किसान परिवार से आने वाली गरिमा ने अपने पिता का सपना पूरा किया है. साथ ही परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है.

बाड़मेर की बेटी गरिमा चौधरी
बाड़मेर की बेटी गरिमा चौधरी (ETV Bharat GFX)
बाड़मेर की बेटी गरिमा चौधरी (ETV Bharat barmer)

बाड़मेर. राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर की बेटी गरिमा अब आसमान की सैर करेगी. इंडिगो एयरलाइंस में गरिमा पायलट बनी है, अब यह बेटी हवाई जहाज उड़ाएगी. ट्रेनिंग के बाद गरिमा को इंडिगो फ्लाइट उड़ाने के लिए जॉइनिंग मिली है. पायलट बनने की खबर के बाद से ही गरिमा के परिवार और क्षेत्र के लोगों में जबरदस्त खुशी छाई हुई है. किसान परिवार से आने वाली इस बेटी ने पायलट बनकर परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है. संभवतः गरिमा जिले की पहली बेटी है, जो पायलट बनी है.

पापा ने देखा बेटी को पायलट बनाने का सपना : गरिमा चौधरी बताती हैं कि वह किसान परिवार से है. उनके पिता खीयाराम वर्ष 2000 से 2005 तक शिव के प्रधान रहे हैं. उनका सपना था कि बेटी कुछ अलग करे. पायलट बनने के इस सफर में सबसे अहम भूमिका पिता की रही. उन्होंने ही मुझे पायलट बनाने का सपना देखा था.

पढ़ें. खुद नहीं बन पाए क्रिकेटर तो बेटी ने किया सपना पूरा, खेत बना पिच और पिता बने कोच

परिवार का रहा साथ और सहयोग : उन्होंने बताया कि इस सफर में परिजनों का काफी सहयोग रहा, जिसके कारण यह सपना पूरा हुआ है. गरिमा बताती हैं कि लड़की होना कभी इस सफर में बाधा नहीं बना, क्योंकि परिवार ने कभी बेटे-बेटी में फर्क नहीं समझा. घर में हम तीन बहनें हैं. सबसे बड़ी बहन गीता डॉक्टर है और सबसे छोटी लक्षिता ने हाल ही में 10वीं कक्षा पास की है.

बहन के साथ गरिमा चौधरी
बहन के साथ गरिमा चौधरी (ETV Bharat Barmer)

कोविड की वजह से दो साल लगा ब्रेक : गरिमा ने बताया कि अप्रैल 2019 में भुवनेश्वर में कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग के लिए फ्लाइंग क्लब ज्वाइन किया. इस एक साल में यहां 22 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग को पूरा किया और 6 में से पांच पेपर क्लियर किए. इसके एक साल के बाद कोविड आ गया, जिस वजह से दो साल तक घर में रहना पड़ा.

पढ़ें. पेरिस ओलंपिक की शॉटगन टीम में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी उदयपुर की महेश्वरी चौहान

गरिमा का फ्लाइंग सफर : उन्होंने बताया कि इसके बाद 2022 में फिर पुणे में फ्लाइंग क्लब जॉइन किया. यहां पर 185 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग के साथ बाकी रहे एक पेपर को पूरा किया. इसके बाद फरवरी 2023 में कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिला. गरिमा ने बताया कि इसके बाद साउथ अमेरिका में 2 महीने की ट्रेनिंग करने के बाद एयरलाइन में पायलट पद भर्तियों में भाग लेना शुरू किया.

चौथे प्रयास में मिली सफलता : गरिमा ने बताया कि तीन बार पहले प्रयास किए, लेकिन किसी न किसी वजह से पीछे रह जाती थी. चौथे प्रयास में जाकर सफलता मिली है. अब इंडिगो एयरलाइंस में जूनियर ऑफिसर (पायलट) पद पर जॉइनिंग मिली है. बता दें कि गरिमा चौधरी बाड़मेर जिले के उण्डू काश्मीर गांव की रहने वाली हैं. उनका परिवार आज भी गांव में खेती बाड़ी करता है.

बाड़मेर की बेटी गरिमा चौधरी (ETV Bharat barmer)

बाड़मेर. राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर की बेटी गरिमा अब आसमान की सैर करेगी. इंडिगो एयरलाइंस में गरिमा पायलट बनी है, अब यह बेटी हवाई जहाज उड़ाएगी. ट्रेनिंग के बाद गरिमा को इंडिगो फ्लाइट उड़ाने के लिए जॉइनिंग मिली है. पायलट बनने की खबर के बाद से ही गरिमा के परिवार और क्षेत्र के लोगों में जबरदस्त खुशी छाई हुई है. किसान परिवार से आने वाली इस बेटी ने पायलट बनकर परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है. संभवतः गरिमा जिले की पहली बेटी है, जो पायलट बनी है.

पापा ने देखा बेटी को पायलट बनाने का सपना : गरिमा चौधरी बताती हैं कि वह किसान परिवार से है. उनके पिता खीयाराम वर्ष 2000 से 2005 तक शिव के प्रधान रहे हैं. उनका सपना था कि बेटी कुछ अलग करे. पायलट बनने के इस सफर में सबसे अहम भूमिका पिता की रही. उन्होंने ही मुझे पायलट बनाने का सपना देखा था.

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परिवार का रहा साथ और सहयोग : उन्होंने बताया कि इस सफर में परिजनों का काफी सहयोग रहा, जिसके कारण यह सपना पूरा हुआ है. गरिमा बताती हैं कि लड़की होना कभी इस सफर में बाधा नहीं बना, क्योंकि परिवार ने कभी बेटे-बेटी में फर्क नहीं समझा. घर में हम तीन बहनें हैं. सबसे बड़ी बहन गीता डॉक्टर है और सबसे छोटी लक्षिता ने हाल ही में 10वीं कक्षा पास की है.

बहन के साथ गरिमा चौधरी
बहन के साथ गरिमा चौधरी (ETV Bharat Barmer)

कोविड की वजह से दो साल लगा ब्रेक : गरिमा ने बताया कि अप्रैल 2019 में भुवनेश्वर में कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग के लिए फ्लाइंग क्लब ज्वाइन किया. इस एक साल में यहां 22 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग को पूरा किया और 6 में से पांच पेपर क्लियर किए. इसके एक साल के बाद कोविड आ गया, जिस वजह से दो साल तक घर में रहना पड़ा.

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गरिमा का फ्लाइंग सफर : उन्होंने बताया कि इसके बाद 2022 में फिर पुणे में फ्लाइंग क्लब जॉइन किया. यहां पर 185 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग के साथ बाकी रहे एक पेपर को पूरा किया. इसके बाद फरवरी 2023 में कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिला. गरिमा ने बताया कि इसके बाद साउथ अमेरिका में 2 महीने की ट्रेनिंग करने के बाद एयरलाइन में पायलट पद भर्तियों में भाग लेना शुरू किया.

चौथे प्रयास में मिली सफलता : गरिमा ने बताया कि तीन बार पहले प्रयास किए, लेकिन किसी न किसी वजह से पीछे रह जाती थी. चौथे प्रयास में जाकर सफलता मिली है. अब इंडिगो एयरलाइंस में जूनियर ऑफिसर (पायलट) पद पर जॉइनिंग मिली है. बता दें कि गरिमा चौधरी बाड़मेर जिले के उण्डू काश्मीर गांव की रहने वाली हैं. उनका परिवार आज भी गांव में खेती बाड़ी करता है.

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