नई दिल्ली: बार काउंसिल ऑफ इंडिया(बीसीआई) ने कहा है कि भारत में विदेशी लॉ फर्म को आने से देश के वकीलों को भी लाभ मिलेगा. बीसीआई ने एक हलफनामा दायर दिल्ली हाईकोर्ट को ये सूचना दी है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को करने का आदेश दिया.
बता दें आट वकीलों ने याचिका दायर कर बीसीआई के 10 मार्च 2023 के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है. याचिका में विदेशी वकीलों और लॉ फर्म को भारत में आकर प्रैक्टिस करने की इजाजत देने संबंधी नोटिफिकेशन का विरोध किया गया है. बीसीआई की ओर से किए गए संशोधन के मुताबिक अब एक साल में कोई विदेशी वकील भारत में 60 दिन काम कर सकेगा. बीसीआई ने कहा कि वह इसे लागू करने से पहले इस मामले पर सभी संबंधित पक्षों से राय-मशविरा कर रहा है. बीसीआई ने कहा है कि विदेशी लॉ फर्म के भारत में आने से लीगल प्रोफेशन का स्तर ऊंचा होगा. इससे भारतीय वकीलों को ग्लोबल प्लेटफार्म पर अपनी दक्षता बढ़ाने का मौका मिलेगा.
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दिल्ली हाईकोर्ट ने 9 फरवरी को भारत में विदेशी लॉ फर्म को आने की अनुमति देने के नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर बीसीआई और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा गया है कि बीसीआई का ये फैसला एडवोकेट्स एक्ट और एके बालाजी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने एके बालाजी के अपने फैसले में कहा है कि भले ही विदेशी लॉ फर्म और विदेशी वकील अपने मुवक्किल को भारत में सलाह दे सकते हैं लेकिन वे यहां रजिस्ट्रेशन कराकर प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं. याचिका में कहा गया है कि भारत के साथ दूसरे किसी देश ने ऐसा कोई समझौता भी नहीं है कि एक देश के वकील या लॉ फर्म दूसरे देश में जाकर रजिस्ट्रेशन या प्रैक्टिस कर सकते हैं.
याचिका में कहा गया है कि बीसीआई का ये फैसला वकीलों के अधिकारों का उल्लंघन है. ये फैसला संविधान के अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन है. याचिका में मांग की गई है कि बीसीआई के 10 मार्च 2023 के नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जाए. बता दें कि बीसीआई का ये नोटिफिकेशन अभी भारत सरकार के गजट में प्रकाशित नहीं किया गया है.
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