छतरपुर: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश में जगह-जगह तिरंगा फहराया गया. आजादी के जश्न में हर भारतवासी शामिल हुआ. इस खास मौके पर चर्चाओं में रहने वाले बागेश्वर सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने भी तिरंग फहराया. खास बात यह है कि जिस स्कूल से उन्होंने शिक्षा हासिल की थी, उसी स्कूल में उन्हें अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था. इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा जो वंदे मातरम नहीं बोल सकते, उन्हें राष्ट्र छोड़ देना चाहिए.
धीरेंद्र शास्त्री ने स्कूल में किया ध्वजारोहण
बागेश्वर सराकर के पीठाधीश्वर जैसे ही गंज के हायर सेकेंडरी स्कूल पहुंचे, यहां, छात्र-छात्राओं और शिक्षकों द्वारा उनका जोरदार स्वागत किया गया. स्कूल में धीरेंद्र शास्त्री ने ध्वजारोहण किया और बच्चों को कई ज्ञान की बातों से अवगत कराया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 'आपके जीवन में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप कितने बड़े स्कूल में पढ़ते हैं, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि आप कितनी बड़ी सोच रखते हैं. हमारे घर में लाइट नहीं होती थी फिर भी हम पढ़ाई करते थे. कौन कहता है कि लाइट नहीं होती है, तो पढ़ाई नहीं होती है. अगर आप में जुनून की लाइट हो तो अंधेरे में भी पढ़ाई की जाती है.'
अपने गुरुजन “ख़ान सर” से मिलते पूज्य सरकार….#bageshwardham #bageshwardhamsarkar pic.twitter.com/LLjfFcfRBT
— Bageshwar Dham Sarkar (Official) (@bageshwardham) August 16, 2024
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'वंदे मातरम न बोलने वाले राष्ट्र छोड़ दें'
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि 'यह बात उन दिनों की है, जब वह पैदल चलकर अपने गढ़ा गांव से गंज तक इसी स्कूल में पढ़ने आया करते थे. तब हम भी आप लोगों जैसे ही थे और ऐसे ही पढ़ाई किया करते थे. उन्होंने कहा जिस स्कूल में वे पढ़ाई करते थे, लाइन में खड़े होते थे. आज उसी स्कूल में ध्वजारोहण कर रहे हैं, यह बहुत ही गौरव की बात है.
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हर विधार्थी को ऐसा कार्य करना चाहिए कि जिस स्कूल से आप पढ़कर निकलते हैं, वहां आपको सम्मान मिले. इसके साथ ही हर तिरंगा अभियान की धीरेंद्र शास्त्री ने तारीफ की. उन्होंने कहा राष्ट्र सर्वोपरि है. देश है तो सब कुछ है. जय हिंद और तिरंगा अभियान तो बहुत जरूरी है, लेकिन कुछ लोगों को तो वंदे मातरम बोलने में भी दिक्कत है, उन्हें राष्ट्र छोड़ देना चाहिए. बता दें इस अवसर पर स्कूल के छात्रों और शिक्षकों ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जोरदार स्वागत किया और उनके विचारों को सुनकर प्रेरित हुए.