नई दिल्ली: हर वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस (National Tourism Day 2024) मनाया जाता है. देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में पर्यटन की बड़ी भूमिका है. चाहे GDP की बात हो या रोजगार की, इससे सभी को बढ़ावा मिलता है. साथ ही टूरिज्म आनंद और एक्सपीरियंस का एक बेहतरीन टूल है. हर वर्ष राष्ट्रीय पर्यटन दिवस एक अलग थीम के साथ मनाया जाता है. इस साल इसकी थीम है “स्टेबल जर्नी, टाइमलेस मेमोरी”. वहीं अगर बात करने कि इस वर्ष टूरिज्म के लिहाज के कौन सा टूरिजत प्लेस लोगों की पहली पसंद बनाने वाला है. इस बाबत टूर ओपेरटर्स का क्या कहना है, आइए जानते हैं...
इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के प्रेजिडेंट राजीव मेहरा ने नेशनल टूरिसम डे की बधाई देते हुए बताया कि इस वर्ष टूरिस्ट का सबसे ज्यादा प्रभाव अयोध्या नगरी पर पड़ेगा. वहां पहले से कई छोटे होटल मौजूद हैं, लेकिन अब बड़े बड़े ब्रांड भी अयोध्या का रुख कर रहे हैं. फिलहाल अयोध्या में लगभग 73 होटल के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. अगले एक दो वर्षों में सभी बन कर तैयार हो जायेंगे. साथ ही अच्छी हवाई यात्रा, रेल सेवाएं और सड़कों के निर्माण पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है. आने वाले दिनों में अयोध्या टूरिज्म के रूप में एक बेहतरी धार्मिक टूरिजम स्थल होने जा रहा है. अगले तीन दिन (26-28 जनवरी) छुट्टियां है. इसके लिए लोगों ने अयोध्या के साथ-साथ राजस्थान, पहाड़ी इलाकों की ओर भी रुख किया है."
इंडियन टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट्स एसोसिएशन के पूर्व वाइस प्रेजिडेंट और बस एंड कार ओपेरटर्स कॉन्फीड्रेशन के सीनियर वाईस प्रेजिडेंट बॉबी के एस साव्हने ने बताया, "ये हमारा सौभाग्य है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टूरिज्म सेक्टर के लिए बड़े आयाम दिए हैं. इसमें सबसे खास है अयोध्या और बनारस. नए वर्ष की शुरुआत से अयोध्या और बनारस की काफी बुकिंग हुई है. जिस तरह से अयोध्या जाने वाली सड़कों का निर्माण किया जा रहा है. इसको देखते हुए हम उम्मीद कर सकते हैं कि अयोध्या के लिए विदेशी पर्यटन का भी रुझान बढ़ेगा. विदेशी भी राम मंदिर के विराजित रामलला के दर्शन को उत्सुक हैं. वर्तमान में टूरिज्म देश की अर्थव्यवस्था का एहम हिस्सा बनता जा रहा है."
बता दें, नेशनल टूरिज्म डे मनाने की शुरुआत साल 1948 से हुई थी. साल 1998 में पर्यटन और संचार मंत्री के नेतृत्व में पर्यटन विभाग की स्थापना की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य देश के विकास में पर्यटन भूमिका को समझना था. इसके गठन के लगभग तीन साल बाद यानी 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन दिवस के क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किए गए. इसके बाद दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में भी पर्यटन कार्यालयों की स्थापना की गयी.