चंडीगढ़: हरियाणा में लोकसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, बीजेपी उतनी ही मजबूत होती जा रही है. चुनाव का समय नजदीक आते ही राजनीतिक दलबदल का दौर भी तेज हो गया है. शनिवार को आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार समिति के चेयरमैन रह चुके डॉ. अशोक तंवर बीजेपी में शामिल होने वाले हैं. अशोक तंवर दिल्ली में बीजेपी केंद्रीय नेताओं और सीएम की मौजूदगी में पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में बीजेपी में शामिल होंगे. उनके साथ कुछ अन्य नेता और उनके समर्थक भी पार्टी का दामन थामेंगे.
करीब 6 साल रहे हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष: हरियाणा में आम आदमी पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष रहे डॉ. अशोक तंवर फरवरी 2014 से सितंबर 2019 तक हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. यानि करीब छह साल वे हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. इसके साथ ही वे यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. अशोक तंवर कांग्रेस के नेता अजय माकन के दामाद भी हैं. डॉ अशोक तंवर को राहुल गांधी का करीबी माना जाता था. डॉ. अशोक तंवर सिरसा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के सांसद भी रहे हैं.
कांग्रेस के बाद TMC-AAP और अब BJP: साल 2019 में कांग्रेस पार्टी को छोड़ने के बाद अशोक तंवर ने एक मोर्चा भी बनाया था. जिसका नाम अपना भारत मोर्चा गैर राजनीतिक था. वे हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान जननायक जनता पार्टी को अपना समर्थन देते हुए, आज के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के समर्थन में हुई कई जनसभाओं में शामिल हुए थे. इसका जननायक जनता पार्टी को चुनाव में कहीं ना कहीं लाभ भी हुआ था. जननायक जनता पार्टी ने हरियाणा की 17 एससी आरक्षित सीटों में से चार सीटें जीती थी. वहीं, अपना मोर्चा बनाने के बाद अशोक तंवर टीएमसी में चले गए थे. टीएमसी के बाद वह आप में शामिल हुए और अब बीजेपी में शामिल हो जायेंगे.
अशोक तंवर को माना जाता है मेहनती: डॉ. अशोक तंवर को हरियाणा में एक जुझारू नेता के तौर पर जाना जाता है. वे एक मेहनती राजनेता के साथ-साथ सड़क पर उतरकर पार्टी के लिए काम करने वालों में से एक हैं. इतना ही नहीं उनकी इस छवि की वजह से हरियाणा के लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में उनका निजी वोट बैंक भी है. हरियाणा में उनका युवाओं में काफी अच्छा रिस्पांस देखने को मिलता है. इसके साथ ही अशोक तंवर की छवि एक बड़े दलित नेता के तौर पर भी है. उनकी इस छवि का बीजेपी को फायदा मिलने की राजनीतिक विश्लेशक उम्मीद जता रहे हैं.
बीजेपी को मिलेगा तंवर का फायदा!: हरियाणा में अशोक तंवर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए अहम नेता के तौर पर साबित हो सकते हैं. अशोक तंवर का जहां सिरसा और अंबाला लोकसभा क्षेत्र में खास असर है, वहीं प्रदेश की लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में उनका अपना पर्सनल वोट बैंक भी है. इसके साथी हरियाणा की 17 एससी विधानसभा क्षेत्र में भी बीजेपी को उनका फायदा मिल सकता है.
किसके पास कितनी सीटें: हरियाणा में लगभग 20 फीसदी एससी वोटर हैं. वर्तमान विधानसभा की बात की जाए तो इस वक्त 17 आरक्षित सीटों में से पांच बीजेपी के पास है, जबकि सात कांग्रेस के पास और जेजेपी के पास चार सीटें है. हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव में इन 17 सीटों में से बीजेपी ने 9 सीटें जीती थी. जबकि कांग्रेस और अन्य के पास चार-चार सीटें थी. वहीं अगर हम लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो हरियाणा में दो लोकसभा क्षेत्र आरक्षित हैं जो की अंबाला और सिरसा है. ये दोनों लोकसभा क्षेत्र वर्तमान में बीजेपी के पास है. हालांकि अंबाला से सांसद रहे स्वर्गीय रतनलाल कटारिया के देहांत के बाद यह सीट अभी खाली पड़ी है.
बीजेपी को मिला बड़ा चेहरा: हरियाणा में अगर बीजेपी की बात की जाए तो इस वक्त कृष्ण लाल पवार राज्यसभा सांसद और पूर्व विधायक रहे कृष्ण बेदी के साथ-साथ सांसद सुनीता दुग्गल बड़े दलित चेहरे हैं. लेकिन पूरे हरियाणा में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए अशोक तंवर से बड़ा कोई चेहरा नहीं है. अशोक तंवर एक ऐसे नेता है जिनका प्रभाव न केवल अंबाला और सिरसा लोकसभा पर है, बल्कि पूरे प्रदेश में भी बीजेपी को तंवर से फायदा मिलेगा.
बीजेपी के लिए कितने अहम हैं तंवर?: इस मामले में बात करते हुए वरिष्ठ पत्र का राजेश मुद्गल कहते हैं कि डॉक्टर अशोक तंवर एक मेहनती नेता के साथ-साथ जमीन से जुड़े हुए हैं. इसका बीजेपी को आने वाले चुनाव में जरूर फायदा मिलेगा. वे कहते हैं कि न सिर्फ उनका फायदा सिरसा और अंबाला लोकसभा सीट बल्कि बीजेपी को हुए हर विधानसभा में फायदा देंगे. वे कहते हैं कि अशोक तंवर एक युवा नेता हैं और उनका हरियाणा के युवाओं में अच्छा खासा प्रभाव है. तो ऐसे में निश्चित तौर पर युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ने में भी वह अहम भूमिका निभा सकते हैं.
डॉ. अशोक तंवर को लेकर राजनीतिक मामलों की जानकारी धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि निश्चित तौर पर ही अशोक तंवर का बीजेपी को फायदा मिल सकता है. क्योंकि वह करीब 6 साल तक हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे तो ऐसे में कोई शक नहीं है कि उनका हरियाणा के लगभग सभी क्षेत्रों में अपना एक जनाधार है. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि उनके कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे वह कांग्रेस को ज्यादा फायदा नहीं दे पाए थे. भले ही इसके पीछे पार्टी की अपनी गुटबाजी भी एक वजह रही होगी. वहीं वे कहते हैं कि अगर बीजेपी उनको अंबाला या सिरसा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारती है तो निश्चित तौर पर ही बीजेपी को उसका फायदा होगा.
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