अनूपपुर। जिले में प्रशासन की उदासीनता के कारण गौशाला की हालत चिंताजनक हो गई है. गौशाला में गायों की मौत और उसके बाद बिना पंचनामा के उसे खुले में फेंक देने के मामले कई बार सामने आए हैं. वर्तमान में शहडोल सांसद के ससुराल पक्ष गांव दारसागर की गौशाला में गायें भूख और प्यास से तड़प कर मार रही हैं. जिसे देखने के लिए ना तो कोई जनप्रतिनिधियों और ना ही कोई ग्राम पंचायत एजेंसी द्वारा ध्यान दिया जा रहा है. गौशाला को महिला समूह को देने के बाद गौमाता को भूख प्यास से तड़पते हुए मरने के लिए छोड़ दिया गया है.
भूख प्यास से दो गायों की मौत
गांव दारसागर में गौशाला की हालत बेहद दयनीय है. गौशाला की देखरेख का जिम्मा भारती महिला समूह को दिया गया है. जहां महिला समूह की महिलाओं की जगह उनके पतियों द्वारा गौशाला की देखरेख की जा रही है. गौशाला में गायों की देखरेख में इस कदर लापरवाही बरती गई कि बुधवार को दो गायों की मौत भूख प्यास से तड़पकर हो गई. गौशाला में दो गाय मृत हालत में पड़ी हुई थी और गौशाला में ताला जड़ा हुआ था. दारसागर गौशाला के अंदर लगभग आधा सैकड़ा से भी ज्यादा पशु अंदर थे, लेकिन उनके खाना और पानी की सुविधा गौशाला में नहीं थी. जब समूह के संचालक और सचिव से बात करने का प्रयास किया गया तो समूह के सचिव के पति द्वारा पूरे मामले में हस्तक्षेप किया गया.
लापरवाही से गई गायों की जान
दारसागर गौशाला में भारती महिला समूह की लापरवाही इस कदर है कि गायों को खाने के लिए भूसा और पीने के लिए पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. गौशाला के स्टॉक में भूसा भले ही पर्याप्त मात्रा में रखा हो, लेकिन गायों को खाने के लिए भूसा नहीं दिया जा रहा है. गायों के भूसा खाने के लिए बनाए गए पात्र पूरी तरह खाली पड़े हुए थे. महिला समूह द्वारा प्रतिदिन गौशाला में गायों की देखरेख नहीं की जाती है और ना ही उन्हें खान-पान की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. वहीं पीने के पानी के लिए बनाई गई टंकी में शैवाल जमे हुए हैं जो कि कई महीनों से साफ नहीं हुए होंगे.
महिला समूह के बस में नहीं गौशाला का संचालन
ग्राम पंचायत एजेंसी द्वारा भले ही महिला समूह को गौशाला की देखरेख का जिम्मा सौंपा गया हो, लेकिन महिला समूह द्वारा गायों की देखरेख नहीं की जा रही है. गौशाला में ना तो गायों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है और ना ही समय पर खाना और पानी की व्यवस्था की जाती है. यहां तक की समूह संचालक द्वारा गौशाला के अंदर ही मल मूत्र को एकत्रित कर लगभग दो महीने से रखा गया है. जिससे कई प्रकार की बीमारियां पशुओं को लग रही हैं. समूह संचालक के जगह उनके पति कभी कभार गौशाला की तरफ झांक लेते हैं, लेकिन समूह संचालक को गौशाला से किसी तरह का वास्ता नहीं है. जिस कारण से गौशाला की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है.
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सांसद के ससुराल में बेहाल है गौ माता
शहडोल सांसद के ससुराल पक्ष का गांव दारसागर है जहां गौशाला की स्थिति बेहद दयनीय है. आए दिन गायों की मौत हो रही है, लेकिन क्षेत्र की सांसद और गांव की बहू होने के बाद भी क्षेत्र में ना तो एक भी विकास कार्य हो रहे हैं और ना ही उक्त लापरवाही पर सांसद का ध्यान जा रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो सांसद क्षेत्र से विलुप्त होकर पुष्पराजगढ़ के हवेली तक सीमित हो गई हैं. दारसागर की जनप्रतिनिधि होने के बाद भी गाय भूख और प्यास से तड़प रही हैं. देखना यह है कि उक्त मामले में सांसद क्या कार्रवाई करवा पाती हैं या फिर गायों की मौत लापरवाही की भेंट चढ़ जाएगी.