विकासनगर: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन स्वयं सहायता समूह से जुड़ी उत्तराखंड के 5 जिलों से 22 महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. इन महिलाओं ने पशु प्रजनन परिक्षेत्र कालसी में 17 दिवसीय पशुओं के विभिन्न प्रकार के क्रियाकलापों के बारे में प्रशिक्षण प्राप्त किया.
पशुपालन विभाग एवं ग्राम्य विकास विभाग उत्तराखंड और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा हेल्प कार्यक्रम का 9 वें बैच का प्रशिक्षण पशु प्रजनन परिक्षेत्र कालसी में आयोजित किया गया. उत्तराखंड के टिहरी, पौड़ी, उधमसिंह नगर, देहरादून और हरिद्वार जिलों की राष्ट्रीय आजीविका ग्रामीण मिशन के द्वारा गठित समूह की 22 ग्रामीण महिलाओं ने 17 दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त किया.
प्रशिक्षण के दौरान पशुपालन के विभागीय पशु चिकित्सा अधिकारियों के द्वारा प्रशिक्षार्थियों को ग्रामीण स्तर पर पशुपालकों को पशुओं के खान-पान, रहन-सहन, पशु प्रजनन, पशुओं की विभिन्न प्रकार की बीमारियों के बारे में बताया गया. इसके साथ उत्तराखंड में चल रही प्रजनन नीति, पशुओं को बीमाकृत किए जाने, पशुओं की नस्ल सुधार, दवा पान, दुग्ध उत्पादन में बरती जाने वाली सतर्कता संबंधी जानकारियां दी गईं. सभी प्रशिक्षणार्थी महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों से ये जानकारियां साझा करेंगी. साथ ही महिलाओं तथा पशुपालकों को जागरूक करने के साथ-साथ अपना स्वरोजगार का साधन भी बन सकेंगी.
प्रशिक्षणार्थी महिला हेमा, मंजीत कौर और रीता राणा ने बताया कि 17 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में पशुओं से संबंधित अनेकों जानकारियां प्राप्त की हैं. गांव में जाकर पशु चिकित्सा केंद्र और पशु पालकों के बीच हम पुल का काम करेंगी. ताकि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं की अच्छी देखभाल और दवापान आदि समय से उपलब्ध हो सके और पशुओं को स्वस्थ रखा जा सके. इससे अच्छे दुग्ध उत्पादन से पशुपालकों को अच्छी आय मिलेगी और स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.
पशु प्रजनन परिक्षेत्र के प्रबंधक डॉक्टर एसके सिंह बर्थवाल ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के माध्यम से यहां प्रशिक्षण शुरू किया गया था. एक साल में 9 बैच में 220 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है. उन्होंने कहा की ट्रेनिंग से पशुपालक, पशुपालन विभाग, पशु चिकित्साधिकारी के बीच में ब्रिज का काम करेंगे. पशुपालकों की जो समस्याएं होंगी वह डॉक्टर को बताएंगे. पशुपालन विभाग की योजनाएं ग्रामीण क्षेत्र के पशुपालकों को बताएंगी. इसके अलावा टीकाकरण, पशु बीमा आदि की जानकारी उपलब्ध कराएंगी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की यह बहुत अच्छी योजना है.
राष्ट्रीय ग्रामीण आजिविका मिशन के ब्लॉक मिशन प्रबंधक कालसी सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह बने हुए हैं. विभिन्न जनपदों से यहां पर 22 प्रतिभागी प्रशिक्षण के लिए आए हैं. पशुपालन की ट्रेनिंग ली है. डॉक्टर सभी गांव में नहीं जा पाते, तो उसके लिए डॉक्टर और किसानों के बीच के ब्रिज का काम यह महिलाएं करेंगी. जितनी भी बेसिक जानकारी होगी पशुपालन से संबंधित वह पूर्ण रूप से प्रशिक्षण यहां से करके जाएंगी और उसके बाद वह जहां संबंधित अस्पताल होंगे आसपास में वहां पर उनकी ज्वाइनिंग करवा के उनके साथ एक कार्य करेंगी. इनको रोजगार से जोड़कर आजीविका को बढ़ाया जा सकेगा.
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