रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा मार्ग पर संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों की देखभाल को लेकर जिला प्रशासन चिंतित नजर आ रहा है. इसको लेकर कई बार की बैठक भी हो चुकी है, जिसमें साफ तौर पर यात्रा मार्ग पर पशु क्रूरता होने पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही घोड़े-खच्चरों की सुरक्षा को देखते हुए प्लान भी तैयार किए जा रहे हैं. इस बार गौरीकुंड घोड़ा-पड़ाव के ऊपर सेंचुरियन क्षेत्र में किसी भी घोड़े-खच्चर के डेरे एवं रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही इंटरनल टैग तैयार कर घोड़े-खच्चरों का पूरा विवरण तैयार किया जाएगा.
गुरुवार को जिलाधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में जिला कार्यालय में पशु क्रूरता निवारण समिति की बैठक आयोजित हुई, जिसमें पीपल फॉर एनिमल की सदस्य गौरी मौलखी भी मौजूद रहीं. जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ किसी भी प्रकार से कोई पशु क्रूरता नहीं होनी चाहिए. इसकी निरंतर निगरानी रखने के लिए गठित म्यूल टास्क फोर्स के माध्यम से कड़ी निगरानी रखी जाएगी. संचालक घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद ही स्वस्थ घोड़े-खच्चरों का ही पंजीकरण करा सकेंगे.
उन्होंने कहा कि पिछली यात्रा में जिन घोड़े-खच्चरों संचालकों पर पशु-क्रूरता के विरुद्ध न्यायालय में वाद लंबित हैं. उन संचालकों को चिन्हित करके न्यायालय के निर्देशों पर यात्रा में संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिए कि घोड़े-खच्चरों के लिए फाटा में पशु चिकित्सालय तैयार किया जा रहा है, उसमें उप जिलाधिकारी के साथ समन्वय करते हुए पर्याप्त स्थान को चिन्हित किया जाए. ताकि यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के लिए उचित उपचार के लिए चिकित्सालय तैयार किया जा सके.
यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों के लिए चिप (इंटरनल टैग) तैयार करने के साथ घोड़े-खच्चरों का पूरा विवरण तैयार किया जाए तथा घोड़े-खच्चरों के रजिस्ट्रेशन और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की वैद्यता रोस्टर के संबंध में विवरण संबंधित जानकारी घोड़े-खच्चर संचालक को भी उपलब्ध कराई जाए. ताकि संचालक को पूर्ण जानकारी उपलब्ध रहे. बिना पंजीकरण के घोड़े-खच्चरों का संचालन किसी भी दशा में न हो पाए.
पीपल फॉर एनिमल की सदस्य गौरी मौलखी ने कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ पशु क्रूरता न हो, इस पर कड़ी निगरानी रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि गौरीकुंड से ऊपर रास्ते में कहीं भी किसी घोड़े-खच्चरों का डेरा न तैयार किया जाए. सूर्यास्त के बाद किसी भी घोड़े-खच्चरों का संचालन न किया जाए.
ये भी पढ़ेंः DM ने किया केदारनाथ यात्रा मार्ग का निरीक्षण, गंदगी मिलने पर रोका JE का वेतन, अतिक्रमणकारियों पर लिया एक्शन