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'गब्बर' को ले डूबा गुस्सा, छिन गये रौबदार मंत्रालय, चुनाव में बोले थे- अगली मुलाकात CM आवास में होगी

पूर्व गृहमंत्री अनिल विज पर नायब सैनी और पार्टी के खिलाफ गुस्सा भारी पड़ गया. कैबिनेट में उनका कद पहले से घटा दिया गया है.

ANIL VIJ PORTFOLIO IN HARYANA
अनिल विज (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 6 hours ago

Updated : 46 minutes ago

चंडीगढ़: इसी साल 5 अक्टूबर की बात है. हरियाणा विधानसभा चुनाव का मतदान खत्म होते ही अनिल विज का बयान आया. उन्होंने अपने जूनियर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाये जाने पर एक बार फिर नाराजगी जताई और खुद को सबसे सीनियर बताते हुए सीएम पद पर खुलेआम दावा ठोंका और पत्रकारों से कहा कि अगर पार्टी ने चाहा तो अगली मुलाकात सीएम आवास पर होगी. लेकिन मुख्यमंत्री नायब सैनी ने जब 20 अक्टूबर की आधी रात को मंत्रालयों का बंटवारा किया तो अनिल विज को ज्यादा मिलने के बजाय जो पहले था वो भी ले लिया गया. उन्हें पहले के मुकाबले छोटे मंत्रालय दिए गये.

सीएम से नाराजगी के बाद घटा अनिल विज का कद

2024 विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ वापस लौटी तो अनिल विज को उम्मीद थी की उन्हें मुख्यमंत्री बनाये जाने पर शायद पार्टी विचार करे लेकिन सीएम पद की बजाय उनका पुराना कद भी घटा दिया गया. अनिल विज से गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय दोनों ले लिया गया. और उन्हें ऊर्जा और परिवहन मंत्रालय में समेट दिया गया.

2019 में बढ़ा था कद, मिला गृह मंत्रालय

अनिल विज मनोहर लाल खट्टर के पहले कार्यकाल यानि 2014 में स्वास्थ्य मंत्री थे. इसके अलावा उनके पास स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के साथ ही खेल एवं युवा मंत्रालय की भी जिम्मेदारी थी. इसके बाद 2019 में उन्हें स्वास्थ्य के साथ-साथ गृह मंत्रालय देकर उनका कद बढ़ा दिया गया. लेकिन 12 मार्च 2024 को अचान नायब सैनी के सीएम बनने के ऐलान के बाद उन्होंने खुलेआम उनका विरोध किया. वो विधायक दल की मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए और सरकारी गाड़ी छोड़कर अंबाला चले गये थे. उन्हें मनाने के लिए नायब सैनी और मनोहर लाल खट्टर दोनों पहुंचे थे लेकिन वो नहीं माने. उसके बाद सीएम पद पर दावा ठोंकने के बावजूद उनसे गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय छीनकर छोटे मंत्रालय दिए गये.

हरियाणा के 'गब्बर' को ले डूबा गुस्सा, सरकार में कद घटा (वीडियो- ईटीवी भारत)

नायब सैनी को जूनियर बताकर किया विरोध

अनिल विज ने कहा था कि, 2009 से 2014 तक मैं बीजेपी के विधायक दल का नेता था. मैने ही कांग्रेस के खिलाफ भ्राष्टाचार के मामले निकाले थे. मैने ही कांग्रेस को उखाड़कर फेंका था. उसके बाद भी मैने कभी कोई दावा नहीं किया. लेकिन अब जो ये अदला-बदली हुई है. तब भी मैने कोई क्लेम नहीं किया. लेकिन जब मनोहर लाल जी को हटाकर बहुत ही जूनियर आदमी को बना दिया गया. तो सारे हरियाणा में एक चर्चा फैली कि अनिल विज क्यों नहीं. तो हमारे लोगों ने ही जवाब दिया कि अनिल विज भी ठीक है. अच्छा वर्कर है. उसे भी बना सकते थे लेकिन वो बनना नहीं चाहता. मैने उस बात का जवाब दिया था कि मैने कभी इनकार नहीं किया. मांगा नहीं तो इनकार भी नहीं किया.

'अगली मुलाकात सीएम आवास में होगी'

अनिल विज ने आगे कहा कि अगर पार्टी मुझे मुख्यमंत्री बनायेगी तो मैं हरियाणा की तकदी भी बदल दूंगा. हरियाणा की तस्वीर भी बदल दूंगा. और अगली मुलाकात अगर पार्टी ने चाहा तो मुख्यमंत्री आवास में होगी. लेकिन 2024 में जब जब सरकार बनी तो अनिल वोज से गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय लेकर उन्हें पहले के मुकाबले छोटे मंत्रालय दे दिए गये.

पार्टी और सरकार से पहले भी नाराज हुए अनिल विज

पिछले 10 साल में बीजेपी सरकार के दौरान कई बार ऐसा मौका आया जब अनिल विज अपनी ही सरकार से नाराज रहे. खासकर मनोहर लाल खट्टर के साथ कई मौके पर उनकी भिड़ंत हुई. यहां तक कि अनिल विज ने खुलेआम बयान भी दिए. आईएएस अधिकारी अशोक खेमका लेकर अनिल विज सरकार के खिलाफ बयान दे चुके हैं. वहीं नूंह में हुई हिंसा के बाद भी उन्होंने मुख्यमंत्री बर ठीकरा फोड़ा था. अनिल विज ने कहा था कि मुझे तो पता ही नहीं. ऐसा बयान उन्होंने इसलिए दिया था क्योंकि गृह मंत्री होने के बावजूद सीआईडी और खुफिया विभाग मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करता है.

नये मंत्रालय पर अनिल विज क्या बोले?

जब अनिल विज से उनके नये मंत्रालय के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं. हमने कह रखा है. कि हमें जहां खड़ा कर दोगे हम वहीं से चौके-छक्के मारेंगे. जो डिपार्टमेंट दे दिया है उसका काम करेंगे. बिजली मंत्रालय मिलने के बाद सबसे पहले मैने अपनी देनदारी चेक की और जो बकाया था उसे सबसे पहले भर दिया.

कौन हैं अनिल विज?

अनिल विज हरियाणा बीजेपी के सबसे सीनियर नेताओं में हैं. वो 6 बार से विधायक हैं और करीब 32 साल के राजनीतिक करियर में केवल एक बार हारे हैं. छात्र जीवन में वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव भी रह चुके हैं. अनिल विज स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी करते थे. नौकरी से इस्तीफा देकर 1990 में अंबाला कैंट से सुषमा स्वाराज के इस्तीफे के बाद वो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और जीते. 1996 और 2000 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में वो निर्दलीय जीते. 2005 में वो हार गये. उसके बाद 2009, 2014 और 2019 और 2024 में लगातार चार बार से जीत रहे हैं. 2024 में अनिल विज सातवीं बार विधायक बने हैं. काम को लेकर सख्त रवैय्ये के चलते वो गब्बर के नाम से चर्चित हैं.

ये भी पढ़ें- सीएम पद पर अनिल विज ने ठोंका दावा, बोले- पार्टी ने चाहा तो अगली मुलाकात मुख्यमंत्री आवास पर होगी, नायब सैनी पर फिर भड़के

ये भी पढ़ें- CM ने बुलाया लेकिन 'गब्बर' नहीं आए, चुनाव प्रचार पर चंडीगढ़ में मंत्रियों, विधायकों के साथ हुई बड़ी बैठक

ये भी पढ़ें- हरियाणा के 'गब्बर' को फिर आया गुस्सा! अधिकारियों से बोले- प्लीज लीव द रूम, जानें पूरा मामला

चंडीगढ़: इसी साल 5 अक्टूबर की बात है. हरियाणा विधानसभा चुनाव का मतदान खत्म होते ही अनिल विज का बयान आया. उन्होंने अपने जूनियर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाये जाने पर एक बार फिर नाराजगी जताई और खुद को सबसे सीनियर बताते हुए सीएम पद पर खुलेआम दावा ठोंका और पत्रकारों से कहा कि अगर पार्टी ने चाहा तो अगली मुलाकात सीएम आवास पर होगी. लेकिन मुख्यमंत्री नायब सैनी ने जब 20 अक्टूबर की आधी रात को मंत्रालयों का बंटवारा किया तो अनिल विज को ज्यादा मिलने के बजाय जो पहले था वो भी ले लिया गया. उन्हें पहले के मुकाबले छोटे मंत्रालय दिए गये.

सीएम से नाराजगी के बाद घटा अनिल विज का कद

2024 विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ वापस लौटी तो अनिल विज को उम्मीद थी की उन्हें मुख्यमंत्री बनाये जाने पर शायद पार्टी विचार करे लेकिन सीएम पद की बजाय उनका पुराना कद भी घटा दिया गया. अनिल विज से गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय दोनों ले लिया गया. और उन्हें ऊर्जा और परिवहन मंत्रालय में समेट दिया गया.

2019 में बढ़ा था कद, मिला गृह मंत्रालय

अनिल विज मनोहर लाल खट्टर के पहले कार्यकाल यानि 2014 में स्वास्थ्य मंत्री थे. इसके अलावा उनके पास स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के साथ ही खेल एवं युवा मंत्रालय की भी जिम्मेदारी थी. इसके बाद 2019 में उन्हें स्वास्थ्य के साथ-साथ गृह मंत्रालय देकर उनका कद बढ़ा दिया गया. लेकिन 12 मार्च 2024 को अचान नायब सैनी के सीएम बनने के ऐलान के बाद उन्होंने खुलेआम उनका विरोध किया. वो विधायक दल की मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए और सरकारी गाड़ी छोड़कर अंबाला चले गये थे. उन्हें मनाने के लिए नायब सैनी और मनोहर लाल खट्टर दोनों पहुंचे थे लेकिन वो नहीं माने. उसके बाद सीएम पद पर दावा ठोंकने के बावजूद उनसे गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय छीनकर छोटे मंत्रालय दिए गये.

हरियाणा के 'गब्बर' को ले डूबा गुस्सा, सरकार में कद घटा (वीडियो- ईटीवी भारत)

नायब सैनी को जूनियर बताकर किया विरोध

अनिल विज ने कहा था कि, 2009 से 2014 तक मैं बीजेपी के विधायक दल का नेता था. मैने ही कांग्रेस के खिलाफ भ्राष्टाचार के मामले निकाले थे. मैने ही कांग्रेस को उखाड़कर फेंका था. उसके बाद भी मैने कभी कोई दावा नहीं किया. लेकिन अब जो ये अदला-बदली हुई है. तब भी मैने कोई क्लेम नहीं किया. लेकिन जब मनोहर लाल जी को हटाकर बहुत ही जूनियर आदमी को बना दिया गया. तो सारे हरियाणा में एक चर्चा फैली कि अनिल विज क्यों नहीं. तो हमारे लोगों ने ही जवाब दिया कि अनिल विज भी ठीक है. अच्छा वर्कर है. उसे भी बना सकते थे लेकिन वो बनना नहीं चाहता. मैने उस बात का जवाब दिया था कि मैने कभी इनकार नहीं किया. मांगा नहीं तो इनकार भी नहीं किया.

'अगली मुलाकात सीएम आवास में होगी'

अनिल विज ने आगे कहा कि अगर पार्टी मुझे मुख्यमंत्री बनायेगी तो मैं हरियाणा की तकदी भी बदल दूंगा. हरियाणा की तस्वीर भी बदल दूंगा. और अगली मुलाकात अगर पार्टी ने चाहा तो मुख्यमंत्री आवास में होगी. लेकिन 2024 में जब जब सरकार बनी तो अनिल वोज से गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय लेकर उन्हें पहले के मुकाबले छोटे मंत्रालय दे दिए गये.

पार्टी और सरकार से पहले भी नाराज हुए अनिल विज

पिछले 10 साल में बीजेपी सरकार के दौरान कई बार ऐसा मौका आया जब अनिल विज अपनी ही सरकार से नाराज रहे. खासकर मनोहर लाल खट्टर के साथ कई मौके पर उनकी भिड़ंत हुई. यहां तक कि अनिल विज ने खुलेआम बयान भी दिए. आईएएस अधिकारी अशोक खेमका लेकर अनिल विज सरकार के खिलाफ बयान दे चुके हैं. वहीं नूंह में हुई हिंसा के बाद भी उन्होंने मुख्यमंत्री बर ठीकरा फोड़ा था. अनिल विज ने कहा था कि मुझे तो पता ही नहीं. ऐसा बयान उन्होंने इसलिए दिया था क्योंकि गृह मंत्री होने के बावजूद सीआईडी और खुफिया विभाग मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करता है.

नये मंत्रालय पर अनिल विज क्या बोले?

जब अनिल विज से उनके नये मंत्रालय के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं. हमने कह रखा है. कि हमें जहां खड़ा कर दोगे हम वहीं से चौके-छक्के मारेंगे. जो डिपार्टमेंट दे दिया है उसका काम करेंगे. बिजली मंत्रालय मिलने के बाद सबसे पहले मैने अपनी देनदारी चेक की और जो बकाया था उसे सबसे पहले भर दिया.

कौन हैं अनिल विज?

अनिल विज हरियाणा बीजेपी के सबसे सीनियर नेताओं में हैं. वो 6 बार से विधायक हैं और करीब 32 साल के राजनीतिक करियर में केवल एक बार हारे हैं. छात्र जीवन में वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव भी रह चुके हैं. अनिल विज स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी करते थे. नौकरी से इस्तीफा देकर 1990 में अंबाला कैंट से सुषमा स्वाराज के इस्तीफे के बाद वो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और जीते. 1996 और 2000 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में वो निर्दलीय जीते. 2005 में वो हार गये. उसके बाद 2009, 2014 और 2019 और 2024 में लगातार चार बार से जीत रहे हैं. 2024 में अनिल विज सातवीं बार विधायक बने हैं. काम को लेकर सख्त रवैय्ये के चलते वो गब्बर के नाम से चर्चित हैं.

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