श्रीनगर/पौड़ी: कहते हैं, 'मन में अगर दृढ़ इच्छा शक्ति है तो पहाड़ का सीना भी चीरा जा सकता है'. ऐसा ही कुछ उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखने वाले आनंद सिंह नेगी ने कर दिया है. आनंद ने 35 साल से बंजर पड़ी 100 नाली भूमि को उपजाऊ बनाकर फसल उगाकर पलायन करने वालों को आईना दिखाने का काम किाय है. खास बात है कि आनंद सिंह का जन्म दिल्ली हुआ है. पढ़ाई भी दिल्ली में हुई है. लेकिन उत्तराखंड से जुड़ी जड़ों ने उन्हें वापस बुलाया. और आज वे एक मिसाल बन गए हैं.
पौड़ी गढ़वाल के कोट ब्लॉक के क्यूराली गांव के रहने वाले आनंद सिंह नेगी लंबे समय से दिल्ली छोड़ गांव आने का विचार बना रहे थे. साल 2022 में वह दिल्ली से प्राइवेट नौकरी छोड़ अपने गांव आए और लगभग 35 सालों से बंजर पड़ी 100 नाली भूमि को आबाद कर इसमें कृषि और बागवानी का कार्य शुरू. उन्होंने सब्जी, दाल के साथ ही सबसे पहले 550 सेब के पौधे लगाए. जो आज दो साल बाद उन्नत किस्म के सेब दे रहे हैं. अब आनंद 1000 नए पौधे लगाने का विचार कर रहे हैं. उनका सबसे ज्यादा फोकस सेब उत्पादन पर है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता दिल्ली बस गए थे. लेकिन उनकी जड़ें गांव में ही थी. इसलिए वे शादी समारोह में गांव आया करते थे. उन्होंने बताया कि उनका जन्म दिल्ली में ही हुआ. दिल्ली में नौकरी भी करते थे. लेकिन उनके मन में हमेशा गांव आने का विचार रहता था.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में खेती के जरिये युवा अच्छा रोजगार कर सकते हैं. जिससे वे खुद तो रोजगार प्राप्त करेंगे ही, लोगों को भी रोजगार दे सकेंगे. उन्होंने बताया कि उन्होंने गांव में 10 पॉली हाउस भी बनाए हैं. जिसमें सब्जी उत्पादन करते हैं.
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