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निकाय चुनाव में नॉमिनेशन कैंसिलेशन पर छिड़ा संग्राम, विपक्ष ने उठाए सवाल, बीजेपी ने दिया मुहतोड़ जबाव - UTTARAKHAND CIVIC ELECTIONS

कांग्रेस नेताओं के नॉमिनेशन कैंसिल होने पर बीजेपी और कांग्रेस नेता एक दूसरे पर कटाक्ष करते हुए नजर आ रहे है.

CONGRESS NOMINATION CANCEL
निकाय चुनाव में नॉमिनेशन कैंसिलेशन पर छिड़ा संग्राम (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 2, 2025, 7:01 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीति अपने चरम पर है. नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के 6 प्रत्याशियों का नामांकन रद्द हो गया हैं. इसको लेकर कांग्रेस में काफी रोष है. कांग्रेस प्रत्याशियों का नामांकन रद्द होने पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बीजेपी पर जोरदार हमला किया है. जिसका बीजेपी ने भी अपने स्टाइल में जवाब दिया है.

उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव के लिए नामांकन का आखिरी तारिख 31 दिसंबर थी. नामांकन के बाद स्क्रूटिनी की प्रक्रिया शुरू हुई. स्क्रूटिनी की प्रक्रिया में अलग-अलग कारणों से कई प्रत्यशियों का नामांकन पत्र खारिज किया गया, जिस पर कांग्रेस ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. और बीजेपी पर निशाना भी साधा है.

इन निर्वाचन सीटों पर हुए नॉमिनेशन कैंसिल:

  1. कांग्रेस के रद्द हुए नॉमिनेशन में हरिद्वार जिले की मंगलौर नगर पालिका से कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी इस्लाम.
  2. उधम सिंह नगर की नानकमत्ता नगर पंचायत से कांग्रेस प्रत्याशी सुखविंदर सिंह खेड़ा.
  3. उधम सिंह नगर की दूसरी नगर पंचायत नगला में भी कांग्रेस प्रत्याशी का नॉमिनेशन रद्द किया गया.
  4. देहरादून जिले की हरबर्टपुर नगर पालिका अध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रत्याशी यामिनी रोहिल्ला का भी जाति प्रमाण पत्र पर आई आपत्ति के चलते नॉमिनेशन रद्द किया गया.
  5. चमोली जिले में नगर पालिका परिषद कर्णप्रयाग में अध्यक्ष पद पर एक नॉमिनेशन रद्द किया गया.
  6. चमोली जिले में ही नगर पालिका परिषद नंदप्रयाग में भी अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन रद्द किया गया.

कांग्रेस का आरोप: कांग्रेस के 6 नेताओं का नॉमिनेशन रद्द होने पर पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का बयान आया है. सूर्यकांत धस्माना ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने उत्तराखंड में बिहार और उत्तर प्रदेश की घिनौनी राजनीति को लाने का काम किया है. सत्ताधारी दल के नेता अधिकारियों पर दबाव डालकर अपने धन बल का इस्तेमाल कर विपक्षी दलों के नॉमिनेशन को रद्द करवा रहे है.

सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि अभी तक इस तरह के मामले में यूपी और बिहार से सामने आते थे, लेकिन अब उत्तराखंड में भी इस तरह के मामले में सामने आए है. नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के अलावा कई पार्षदों के नॉमिनेशन भी रद्द हुए है. सूर्यकांत धस्माना का आरोप है कि सभी नॉमिनेशन बीजेपी के दवाब में रद्द किए गए है.

बीजेपी का जवाब: वहीं, कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी का भी जवाब आया है. उत्तराखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस की आदत खराब है. कांग्रेस अब तक गलत तरीके से चुनाव लड़ती आई है.

महेंद्र भट्ट ने कहा कि कांग्रेस अभी तक ऐसे नेताओं को चुनाव लड़ाती आई है, जिन पर सरकारी जमीनों पर कब्जे के तमाम मामले हैं. इसके अलावा उनके नेता कई गलत प्रकरणों में भी लिप्त रहे है. अब तक कांग्रेस अपने इन मंसूबों में कामयाब हुई है, लेकिन इस बार निर्वाचन आयोग की सख्ती का असर देखने को मिला है.

भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि निकाय चुनाव लड़ने के लिए तमाम तरह की नियमावली पहले से तय है, जिसमें सरकारी भूमि पर कब्जाधारी, उम्र की सीमा, प्रमाण पत्रों की सत्यता यह सब नियम पहले से ही निर्धारित है. कांग्रेस प्रत्याशियों को इन सभी नियमों को ध्यान में रखकर नॉमिनेशन करना चाहिए था. नॉमिनेशन केवल कांग्रेस के ही नहीं, बल्कि उनके नेताओं का भी रद्द हुआ है. जिन्होंने लापरवाही के साथ नॉमिनेशन किया था.

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देहरादून: उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीति अपने चरम पर है. नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के 6 प्रत्याशियों का नामांकन रद्द हो गया हैं. इसको लेकर कांग्रेस में काफी रोष है. कांग्रेस प्रत्याशियों का नामांकन रद्द होने पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बीजेपी पर जोरदार हमला किया है. जिसका बीजेपी ने भी अपने स्टाइल में जवाब दिया है.

उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव के लिए नामांकन का आखिरी तारिख 31 दिसंबर थी. नामांकन के बाद स्क्रूटिनी की प्रक्रिया शुरू हुई. स्क्रूटिनी की प्रक्रिया में अलग-अलग कारणों से कई प्रत्यशियों का नामांकन पत्र खारिज किया गया, जिस पर कांग्रेस ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. और बीजेपी पर निशाना भी साधा है.

इन निर्वाचन सीटों पर हुए नॉमिनेशन कैंसिल:

  1. कांग्रेस के रद्द हुए नॉमिनेशन में हरिद्वार जिले की मंगलौर नगर पालिका से कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी इस्लाम.
  2. उधम सिंह नगर की नानकमत्ता नगर पंचायत से कांग्रेस प्रत्याशी सुखविंदर सिंह खेड़ा.
  3. उधम सिंह नगर की दूसरी नगर पंचायत नगला में भी कांग्रेस प्रत्याशी का नॉमिनेशन रद्द किया गया.
  4. देहरादून जिले की हरबर्टपुर नगर पालिका अध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रत्याशी यामिनी रोहिल्ला का भी जाति प्रमाण पत्र पर आई आपत्ति के चलते नॉमिनेशन रद्द किया गया.
  5. चमोली जिले में नगर पालिका परिषद कर्णप्रयाग में अध्यक्ष पद पर एक नॉमिनेशन रद्द किया गया.
  6. चमोली जिले में ही नगर पालिका परिषद नंदप्रयाग में भी अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन रद्द किया गया.

कांग्रेस का आरोप: कांग्रेस के 6 नेताओं का नॉमिनेशन रद्द होने पर पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का बयान आया है. सूर्यकांत धस्माना ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने उत्तराखंड में बिहार और उत्तर प्रदेश की घिनौनी राजनीति को लाने का काम किया है. सत्ताधारी दल के नेता अधिकारियों पर दबाव डालकर अपने धन बल का इस्तेमाल कर विपक्षी दलों के नॉमिनेशन को रद्द करवा रहे है.

सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि अभी तक इस तरह के मामले में यूपी और बिहार से सामने आते थे, लेकिन अब उत्तराखंड में भी इस तरह के मामले में सामने आए है. नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के अलावा कई पार्षदों के नॉमिनेशन भी रद्द हुए है. सूर्यकांत धस्माना का आरोप है कि सभी नॉमिनेशन बीजेपी के दवाब में रद्द किए गए है.

बीजेपी का जवाब: वहीं, कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी का भी जवाब आया है. उत्तराखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस की आदत खराब है. कांग्रेस अब तक गलत तरीके से चुनाव लड़ती आई है.

महेंद्र भट्ट ने कहा कि कांग्रेस अभी तक ऐसे नेताओं को चुनाव लड़ाती आई है, जिन पर सरकारी जमीनों पर कब्जे के तमाम मामले हैं. इसके अलावा उनके नेता कई गलत प्रकरणों में भी लिप्त रहे है. अब तक कांग्रेस अपने इन मंसूबों में कामयाब हुई है, लेकिन इस बार निर्वाचन आयोग की सख्ती का असर देखने को मिला है.

भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि निकाय चुनाव लड़ने के लिए तमाम तरह की नियमावली पहले से तय है, जिसमें सरकारी भूमि पर कब्जाधारी, उम्र की सीमा, प्रमाण पत्रों की सत्यता यह सब नियम पहले से ही निर्धारित है. कांग्रेस प्रत्याशियों को इन सभी नियमों को ध्यान में रखकर नॉमिनेशन करना चाहिए था. नॉमिनेशन केवल कांग्रेस के ही नहीं, बल्कि उनके नेताओं का भी रद्द हुआ है. जिन्होंने लापरवाही के साथ नॉमिनेशन किया था.

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