प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भीम पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद और पीस पार्टी के खलीलाबाद संत कबीर नगर से प्रत्याशी रहे डॉक्टर अयूब के खिलाफ दर्ज मुकदमे की चार्जशीट सीजीएम संत कबीर नगर के क्लर्क द्वारा बार-बार अस्वीकार करने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने इस संबंध में जिला जज संत कबीर नगर से पूरी रिपोर्ट तलब की है. कोर्ट ने जिला जज को बताने के लिए कहा है कि किन परिस्थितियों में क्लर्क ने चार्जशीट स्वीकार नहीं की.
पीस पार्टी प्रत्याशी डॉक्टर अयूब ने उनके खिलाफ सीजेएम संत कबीर नगर की अदालत में चल रहे मुकदमे को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. याचिका पर न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह सुनवाई कर रहे हैं. याची के अधिवक्ता का कहना था कि डॉक्टर अयूब और चंद्रशेखर आजाद रावण के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 171 एच और 188 के अलावा आपदा अधिनियम और महामारी अधिनियम के तहत 21 फरवरी 2022 को मुकदमा दर्ज किया था.
इसमें पुलिस ने 9 अप्रैल 2022 को चार्ज शीट दाखिल की. इस पर कोर्ट ने 10 अगस्त 2023 को संज्ञान लिया. अधिवक्ता का कहना था कि अदालत ने चार्जशीट दाखिल होने के 1 साल 5 माह 20 दिन बाद संज्ञान लिया, जबकि नियमानुसार 6 माह के भीतर चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया जाना चाहिए. ऐसे में सीजेएम द्वारा लिया गया संज्ञान सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार मियाद बाधित है.
राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने इसका जवाब देते हुए कहा कि जांच अधिकारी ने विवेचना समय से पूरी कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करने का प्रयास किया था. हर बार सीजेएम संत कबीर नगर के क्लर्क ने कोई न कोई कारण बता कर इसे लेने से इंकार कर दिया. एसएसपी ने जिला जज को पत्र लिखकर इस बारे में अवगत कराया था. अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि याची की ओर से यह जानबूझकर यह करवाया गया. इस स्थिति में संबंधित क्लर्क की मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता है.
इस पर कोर्ट ने जिला जज संत कबीर नगर से रिपोर्ट मांगी है. साथ ही उनसे जनवरी 23 से 3 अगस्त 2023 तक की मॉनिटरिंग रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही यह भी पूछा है कि एसपी के पत्र पर उनके द्वारा क्या कार्रवाई की गई. क्या कारण था कि क्लर्क द्वारा रिपोर्ट स्वीकार नहीं की जा रही थी.
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