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खरंटिया मठ में अखिल भारतीय संत सम्मेलन संपन्न, पीर की पदवी से सम्मानित किया इस संत को - All India Saint Conference - ALL INDIA SAINT CONFERENCE

बालोतरा के समदड़ी में खरंटिया मठ में आयोजित चार दिवसीय अखिल भारतीय संत सम्मेलन मंगलवार को सम्पन्न हुआ. इस दौरान कई धार्मिक विषयों पर चर्चा हुई. साथ ही किशन भारती महाराज को पीर की पदवी से सम्मानित किया गया.

All India Saint Conference concluded
अखिल भारतीय संत सम्मेलन संपन्न (ETV Bharat Barmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 14, 2024, 9:22 PM IST

समदड़ी (बालोतरा). बालोतरा जिले के समदड़ी क्षेत्र के खरंटिया मठ में जूना अखाड़े में अन्नपूर्णा महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ चार दिवसीय अखिल भारतीय संत सम्मेलन संपन्न हुआ. सम्मेलन में देश-विदेश से आए संतों ने भारत का वैभव वापस दिलाने का संकल्प लिया. साथ ही वर्ष 2025 में होने वाले कुंभ मेले को लेकर भी चर्चा की गई. इस दौरान किशन भारती महाराज को पीर की पदवी से अलंकृत किया गया.

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता व निर्देशानुसार मठों, मंदिरों एवं गुरू मूर्तियों का पूजन किया गया. जूना अखाड़े के अखिल भारतीय संत सम्मेलन में खरंटिया मठ के महंत तथा जोगेंद्र पीर की परम्परा के पीर किशन भारती महाराज को जूना अखाड़ा के पदाधिकारी साधु-संतों ने सिंहासन, छत्र व छड़ी देकर पीर की पदवी से सम्मानित किया.

पढ़ें: स्वामी गोविंद गिरी बोले- आक्रांताओं की निशानियों को नष्ट करने के लिए काशी-मथुरा में बनना चाहिए मंदिर

सभी अखाड़ों की ओर से मठ के महंत किशन भारती का तिलक पूजन किया गया और उसके बाद अन्नपूर्णा यज्ञ की पूर्णाहुति हुई. संत सम्मेलन के मुख्य अतिथि काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती महाराज रहे. सम्मेलन में सभी मठों व मंदिरों की देखरेख, वर्ष 2025 में प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले की मुख्य तिथियों के स्नान, सनातन धर्म को मजबूत करने समेत आदि पर भी चर्चा हुई. साधु-संतों सहित देश-विदेश के संत महात्माओं ने भाग लिया हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे.

पढ़ें: झुंझुनू: राजस्थान संत समिति इकाई के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन का आयोजन

श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता महंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि चार दिवसीय विशेष आयोजन में बद्रीनाथ दर्शन के कपाट खुलना, परशुराम जयंती पर पूजा-पाठ का आयोजन, समाधियों के पूजन के बाद महादेवजी की पूूजा अर्चना, पूर्ण आहुति, अन्नपूर्णा का पूजन और धर्म सभा के आयोजन पर चर्चा हुई. दशनाम जूना अखाड़ा की बैठक में 6 प्रस्ताव पास हुए. कुंभ मेले पर चर्चा सहित मठों के रखरखाव पर भी बात हुई.

उन्होंने बताया कि यहां पर जोग भारतीजी पीर की पदवी दी हुई हैं. जो अब दशनाम जूना अखाड़ा की तरफ से किशन गिरी को पीर की पदवी दी गई. अखाड़े की तरफ से चांदी का सिंहासन, छड़ी, छत्र भेंट किए गए. आयोजन में विशेष रूप से जोधपुर महाराज गजसिंह, स्थानीय पूर्व विधायक कानसिंह कोटड़ी, वर्तमान विधायक हमीर सिंह भायल और रावल किशन सिंह जसोल धाम का सहयोग रहा.

पढ़ें: संतों की विदाई के साथ संत सम्मेलन का समापन, अंतिम दिन कई लोगों ने धारण की जनेऊ

उन्होंने बताया कि 1986 में मठ पर हम आए थे. पहले इस परंपरा में 74 लोग थे. उस समय पर पूजा-पाठ करने आते थे. यहां के महंतों के आह्वान करने पर हम लोग आते रहते हैं. मठ पर 50 साल से अधिक समय यानी 52 वर्ष होने पर अखाड़े की तरफ से सिंहासन, छड़ी, छत्र, भेंट किया गया. पीर परंपरा के अनुसार सानिध्य रीति-रिवाज के साथ संपन्न किया.

इस मौके पर स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि पथस देवता के रूप में भगवान भास्कर, गणपति, दुर्गा, विष्णु, शिव यह पंच देव उपासक प्रग्त पंच तत्वों का आधार हैं. अगर पंच तत्व संतुलित रहेंगे, तो पृथ्वी संतुलित रहेगी. अगर पंच तत्व असंतुलित होते हैं, तो कहीं बाढ़ आती हैं, तो कही भूकंप तो कहीं अतिवृष्टि-अनावृष्टि जैसी अनेक तरह की देवीय आपदाएं आती हैं. इसलिए पंच देव की उपासना को प्रारंभ किया.

समदड़ी (बालोतरा). बालोतरा जिले के समदड़ी क्षेत्र के खरंटिया मठ में जूना अखाड़े में अन्नपूर्णा महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ चार दिवसीय अखिल भारतीय संत सम्मेलन संपन्न हुआ. सम्मेलन में देश-विदेश से आए संतों ने भारत का वैभव वापस दिलाने का संकल्प लिया. साथ ही वर्ष 2025 में होने वाले कुंभ मेले को लेकर भी चर्चा की गई. इस दौरान किशन भारती महाराज को पीर की पदवी से अलंकृत किया गया.

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता व निर्देशानुसार मठों, मंदिरों एवं गुरू मूर्तियों का पूजन किया गया. जूना अखाड़े के अखिल भारतीय संत सम्मेलन में खरंटिया मठ के महंत तथा जोगेंद्र पीर की परम्परा के पीर किशन भारती महाराज को जूना अखाड़ा के पदाधिकारी साधु-संतों ने सिंहासन, छत्र व छड़ी देकर पीर की पदवी से सम्मानित किया.

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सभी अखाड़ों की ओर से मठ के महंत किशन भारती का तिलक पूजन किया गया और उसके बाद अन्नपूर्णा यज्ञ की पूर्णाहुति हुई. संत सम्मेलन के मुख्य अतिथि काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती महाराज रहे. सम्मेलन में सभी मठों व मंदिरों की देखरेख, वर्ष 2025 में प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले की मुख्य तिथियों के स्नान, सनातन धर्म को मजबूत करने समेत आदि पर भी चर्चा हुई. साधु-संतों सहित देश-विदेश के संत महात्माओं ने भाग लिया हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे.

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श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता महंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि चार दिवसीय विशेष आयोजन में बद्रीनाथ दर्शन के कपाट खुलना, परशुराम जयंती पर पूजा-पाठ का आयोजन, समाधियों के पूजन के बाद महादेवजी की पूूजा अर्चना, पूर्ण आहुति, अन्नपूर्णा का पूजन और धर्म सभा के आयोजन पर चर्चा हुई. दशनाम जूना अखाड़ा की बैठक में 6 प्रस्ताव पास हुए. कुंभ मेले पर चर्चा सहित मठों के रखरखाव पर भी बात हुई.

उन्होंने बताया कि यहां पर जोग भारतीजी पीर की पदवी दी हुई हैं. जो अब दशनाम जूना अखाड़ा की तरफ से किशन गिरी को पीर की पदवी दी गई. अखाड़े की तरफ से चांदी का सिंहासन, छड़ी, छत्र भेंट किए गए. आयोजन में विशेष रूप से जोधपुर महाराज गजसिंह, स्थानीय पूर्व विधायक कानसिंह कोटड़ी, वर्तमान विधायक हमीर सिंह भायल और रावल किशन सिंह जसोल धाम का सहयोग रहा.

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उन्होंने बताया कि 1986 में मठ पर हम आए थे. पहले इस परंपरा में 74 लोग थे. उस समय पर पूजा-पाठ करने आते थे. यहां के महंतों के आह्वान करने पर हम लोग आते रहते हैं. मठ पर 50 साल से अधिक समय यानी 52 वर्ष होने पर अखाड़े की तरफ से सिंहासन, छड़ी, छत्र, भेंट किया गया. पीर परंपरा के अनुसार सानिध्य रीति-रिवाज के साथ संपन्न किया.

इस मौके पर स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि पथस देवता के रूप में भगवान भास्कर, गणपति, दुर्गा, विष्णु, शिव यह पंच देव उपासक प्रग्त पंच तत्वों का आधार हैं. अगर पंच तत्व संतुलित रहेंगे, तो पृथ्वी संतुलित रहेगी. अगर पंच तत्व असंतुलित होते हैं, तो कहीं बाढ़ आती हैं, तो कही भूकंप तो कहीं अतिवृष्टि-अनावृष्टि जैसी अनेक तरह की देवीय आपदाएं आती हैं. इसलिए पंच देव की उपासना को प्रारंभ किया.

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