हल्द्वानी: राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में बहुत कुछ बदला है. लगातार हो रही औद्योगीकरण के चलते उत्तराखंड में कृषि भूमि घट रही है. कृषि विभाग की रिपोर्ट में यह चिंताजनक तस्वीर सामने आई है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 2011-12 से वर्ष 2022-23 के बीच कृषि भूमि 17 प्रतिशत तक कम हुई है.
घट रही कृषि भूमि: उत्तराखंड के क्षेत्रफल के अनुसार करीब राज्य में 35% कृषि भूमि है, जबकि 65% जंगल क्षेत्र पर आधारित है. ऐसे में उत्तराखंड में घट रही कृषि भूमि चिंता का विषय बन रही है. सरकार किसानों की स्थिति मजबूत करने की बात तो कर रही है. लेकिन किसानों की स्थिति मजबूत होने के बजाय कमजोर हो रही है. पहाड़ में खेती के लिए पानी की कमी सहित अन्य बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए किसान अपने पारंपरिक पेशे से दूर हो रहे हैं. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2011-12 में जहां राज्य में 9,09,305 हेक्टेयर कृषि भूमि हुआ करती थी, जो साल 2022-23 में घटकर 753,014 हेक्टेयर रह गई है. यही नहीं आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में साल 2012 में 1.80 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ, वहीं 2023 में उत्पादन बढ़कर 2.36 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर पहुंच गया है.
क्या कह रहे कृषि विभाग के अधिकारी: संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कुमाऊं मंडल पीके सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में कृषि भूमि में कमी आई है. लेकिन उत्पादन क्षमता बढ़ी है. उन्होंने बताया कि उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसके लिए उन्नत बीज दिए जाने के साथ ही आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके अलावा पहाड़ों पर असिंचित क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है. जिसके चलते किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ उन्नत खेती भी कर रहे हैं.
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