आगरा : बारिश होने पर सितंबर में ताजमहल के मुख्य मकबरे में स्थित मुगल बादशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज की कब्र वाले कक्ष की छत से पानी टपका था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसकी जांच अत्याधुनिक लिडार तकनीक से कराई. जाच में मिले डेटा का विश्लेषण करने पर पता चला कि ताजमहल की छत पर लगे कलश (पिनेकल) के लिए लगाए गई लोहे की छड़ में जंग लगने से चूना फूल गया. इससे वहां से चूने का मसाला हट गया. इसके कारण ताजमहल के मुख्य मकबरे में पानी टपका था. अब एएसआई की ओर से छत और गुंबद पर 2 चरणों में कार्य कराया जाएगा. इसके लिए जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा.
इस बार सितंबर महीने में रिकॉर्ड बारिश हुई. 4 दिन तक आगरा में भी झमाझम बारिश हुई. 12 सितंबर को ताजमहल के मुख्य मकबरे में स्थित शाहजहां व मुमताज की कब्रों वाले कक्ष की छत से पानी टपकने लगा था. एएसआई अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण करके रिपोर्ट तैयार की. इसके साथ ही मुख्य मकबरे में पानी टपकने की वजह जानने के लिए लिडार तकनीक से जांच कराई गई. एएसआई ने इस तकनीक से ताजमहल में पानी टपकने के हर संभव स्थान को लेकर डेटा एकत्र किया. प्रारंभिक जांच में ताजमहल के मुख्य गुंबद के पत्थरों के ऊपर टीप कराई गई थी. एएसआई ने जब लिडार तकनीक से जुटाए गए डाटा का विश्लेषण किया गया. इसमें ये जानकारी सामने आई है कि ताजमहल में 2 जगह से पानी का रिसाव हुआ था. ताजमहल मुख्य मकबरे की छत से रिसा पानी अंदर टपकता था.
एएसआई कराएगा संरक्षण कार्य : ताजमहल की छत पर स्थित गेट के पास सतह अधिक चिकनी नहीं है. ब्रिटिश काल में ताजमहल पर संरक्षण कार्य कराया गया था. यहां से पानी रिसकर अंदर टपका था. इसके साथ ही कलश की जड़ के पास लगा मसाला हटने से रिसा पानी नीचे तक नहीं गया था. एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. राजकुमार पटेल ने बताया कि ताजमहल में मुख्य मकबरे की छत का संरक्षण कराया जाएगा. इसके लिए जल्द ही टेंडर निकाले जाएंगे. इसके साथ ही कलश और गुंबद के संरक्षण का काम दूसरे चरण में किया जाएगा.
इन 2 वजहों से ताजमहल में टपका था पानी : ताजमहल की छत पर लगे कलश की लोहे की छड़ में जंग लगने के कारण चूना मसाला हट गया. इससे पानी रिसा था. ताजमहल के सरंक्षण को लेकर ब्रिटिश काल में कराए गए संरक्षण कार्य में कुछ खामियां रही थीं. इसकी वजह से भी पानी का रिसाव हुआ था.
लिडार तकनीक क्या है ? : लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) एक ऐसी तकनीक है जो सुदूर संवेदी है. इसमें प्रकाश का उपयोग पल्स लेजर के रूप में किया जाता है. इसमें जीपीएस व स्कैनर का उपयोग किया जाता है. इस तकनीक के उपयोग से मैक्सिको में प्राचीन माया सभ्यता से संबंधित स्थल के बारे में जानकारी सामने आई थी.
अब पढ़िए ताजमहल में पानी टपकने का घटनाक्रम : 10 से 12 सितंबर तक आगरा में 55 घंटे तक लगातार बारिश हुई थी. झमाझम बारिश के साथ ही रिमझिम फुहारें पड़ने से ताजमहल में पानी अंदर तक आ गया था. 12 सितंबर को ताजमहल में मुख्य मकबरे में मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां व बेगम मुमताज की कब्रों वाले कक्ष में पानी टपका था. 13 सितंबर को एएसआई के अधिकारियों ने ताजमहल में मुख्य मकबरे में पानी टपकने पर छत व गुंबद की जांच की. 20 सितंबर को पुनः जांच की गई. एएसआई अधिकारियों की टीम ने लिडार तकनीक का उपयोग करके डाटा एकत्र किया गया.
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