आगरा : ताजमहल या तेजोमहालय विवाद की लघुवाद न्यायालय में सोमवार दोपहर सुनवाई हुई. पिछली तारीख पर मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने इस मामले में वादी बनने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था. जिसमें कहा था कि वादी योगी यूथ ब्रिगेड, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) व भारत संघ मिले हुए हैं, इसलिए ताजमहल के मामले को तूल देते हैं. जबकि, ताजमहल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. जिस पर सोमवार की सुनवाई में वादी पक्ष योगी यूथ ब्रिगेड के अधिवक्ता ने अदालत में अपनी आपत्ति दाखिल की है. न्यायाधीश ने अब वादी की दाखिल आपत्ति पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 23 अक्टूबर दी है.
वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि न्यायालय से मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुैसन जैदी ने कोर्ट में खुद को वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया था. सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने अपने प्रार्थना पत्र में लिखा था कि वादी पक्ष के साथ ही इस मामले में एएसआई और भारत संघ मिले हुए हैं. इसलिए बेमतलब ही ताजमहल के मामले को तूल दिया जा रहा है, जबकि असल में ताजमहल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. इसमें आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा था. जिस पर सुनवाई में अपनी आपत्ति दाखिल की है. अगली सुनवाई के लिए अब 23 अक्टूबर की तारीख नियत की गई है. पिछली सुनवाई में प्रार्थना पत्र एवं साक्ष्यों की नकल सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी को मुहैया कराई गई थी. इसके साथ ही यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाने के लिए संशोधित प्रार्थना पत्र दाखिल किया था.
'ताजमहल की छवि हो रही खराब' : इस मामले में वादी बनने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल करने वाले सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी का कहना है कि सुर्खियों में रहने के लिए कई लोग आए दिन ताजमहल को लेकर कुछ न कुछ करते रहते हैं. उनका चेहरा तो चमक जाता है, लेकिन ताजमहल की छवि दुनिया में खराब हो रही है. इतना ही नहीं, अव्यवस्थाओं के जो वीडियो वायरल होते हैं वो भी ताजमहल और आगरा के पर्यटन कारोबार के लिए ठीक नहीं है. सोमवार को कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 23 अक्टूबर तय की है. इस बारे में सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने बताया कि अपने प्रार्थना पत्र में वादी बनाए जाने की कोर्ट में मांग की थी. जिसमें कहा था कि जहां पर मस्जिद या मकबरा है वो वक्फ संपत्ति है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. अभी हमें वादी नहीं बनाया है. अगली तारीख पर अधिवक्ता के जरिए अपना पक्ष रखूंगा.
एएसआई ने की थी यह अपील : बता दें कि 13 सितंबर की सुनवाई में कोर्ट में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. जिसमें कहा कि एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल एक सरकारी अधिकारी हैं. जिन पर मुकदमा नहीं चल सकता है, इसलिए ये खारिज किया जाए. इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जिस पर वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने कहा कि धारा 80 सीपीसी का नोटिस देकर सरकारी अधिकारी पर मुकदमा हो सकता है. इसमें भारत सरकार को प्रतिवादी बनाने पर सहमति जताई है. कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस हुई थी. अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा. केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय को पक्षकार बनाने के लिए बुधवार को न्यायालय के समक्ष प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाएगा.
वाद में वादी का दावा : वादी कुंवर अजय तोमर ने अपने वाद में दावा किया है कि सन् 1212 में राजा परमर्दिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था. जिसका ही नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा परमर्दिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया, लेकिन राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया. जिस पर ताजमहल का निर्माण कराया. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र एक सफेद झूठ है. मुमताज का निधन 1631 में हो हुआ था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है, जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.
मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि तेजोमहालय यानी ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है. ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. जिनका सनातन धर्म में महत्व है. देखा जाए तो हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.
आक्रांता ने मंदिर ध्वस्त कर बनाए मकबरे और मस्जिद : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हिंदू मंदिर ध्वस्त किए. वहां पर मकबरे और मस्जिद बनवाईं. उन्होंने कहा कि किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करते हैं. वहां उर्स भी होता है, फिर सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय में मामला विचाराधीन है, इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सके.
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