शिमला: देश की नई सरकार का चेहरा चार जून का सामने आ जाएगा. पहली जून को चुनावी शोर थमने के बाद मतदाताओं ने केंद्र की नई सरकार का भाग्य ईवीएम में दर्ज कर दिया है. चार जून को ईवीएम खुलेगी और केंद्र में नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त होगा. इसी के साथ नई सरकार के नए काम भी शुरू होंगे. नया वित्तायोग भी अपने दौरे शुरू करेगा. इस कड़ी में नए वित्तायोग का सबसे पहला दौरा हिमाचल का रहेगा. हालांकि ये सूचना पहले से ही आ चुकी है कि नया वित्तायोग हिमाचल का दौरा करेगा, लेकिन अब तारीख भी स्पष्ट हो गई है.
सोलहवां वित्तायोग 24 व 25 जून को हिमाचल का दौरा करेगा. इसके बाद राज्य सरकार के साथ मीटिंग होगी. मीटिंग में राज्य सरकार सोलहवें वित्तायोग के समक्ष हिमाचल की आर्थिक स्थिति, राज्य की मांगों और अन्य संबंधित मसलों पर प्रेजेंटेशन देगी. इसके लिए काफी समय से वित्त विभाग व मुख्य सचिव कार्यालय में कसरत चली हुई है. हिमाचल के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट को लेकर है. ये ग्रांट लगातार घट रही है. हिमाचल सरकार का प्रयास रहेगा कि नए वित्तायोग के समक्ष राज्य के हितों की इस तरह से पैरवी की जाए कि ग्रांट को बढ़ाने की सिफारिश नया वित्तायोग करने पर मजबूर हो जाए. इसके लिए तथ्यों सहित रिपोर्ट तैयार की गई है.
शिमला में बैठक, राज्य भर का दौरा
नए वित्त आयोग की टीम सबसे पहले हिमाचल आएगी. टीम राज्य में दौरा कर प्रदेश में जल, जंग जमीन व अन्य संसाधनों का जायजा लेगी. फिर शिमला में राज्य सरकार के साथ मीटिंग होगी. राज्य सरकार इसी हफ्ते यानी जून के पहले सप्ताह में वित्त विभाग के तयशुदा पोर्टल पर अपना मेमोरेंडम अपलोड करेगी. आयोग की टीम इसका अध्ययन भी करेगी. हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना नियमित रूप से वित्त विभाग के अफसरों के साथ मीटिंग कर रहे हैं. हिमाचल को यदि रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में बढ़ोतरी मिलती है तो आर्थिक हालात कुछ संभल सकते हैं.
अरविंद पनगढ़िया है आयोग के मुखिया
उल्लेखनीय है कि 16वें वित्तायोग का गठन हो चुका है. नीति आयोग के पूर्व मुखिया अरविंद पनगढ़िया वित्तायोग के चेयरमैन बनाए गए हैं. पनगढ़िया के अलावा आयोग में चार अन्य सदस्य नियुक्त किए गए हैं. कुल सदस्यों में से तीन आयोग के पूर्ण कालिक सदस्य हैं. इस वित्तायोग को 31 अक्टूबर 2025 तक की अवधि के लिए केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें देनी हैं. ये सिफारिशें राज्यों के लिए पहली अप्रैल 2026 से लागू होंगी. हिमाचल प्रदेश को 15वें वित्त आयोग ने 37,199 करोड़ रुपए की रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट दी थी. उस समय राज्य में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में नई-नई सरकार बनी थी और आयोग ने हिमाचल का दौरा किया था. तब 15वें वित्त आयोग ने पांच साल की अवधि के लिए हिमाचल को कुल 81977 करोड़ रुपए रेकमंड किए थे. इस रकम में से 37199 करोड़ रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट, 3049 करोड़ स्थानीय निकायों के लिए और 2258 करोड़ रुपए आपदा राहत के लिए थे. आयोग की सिफारिश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2222 करोड़ भी दिए गए थे. मंडी में प्रस्तावित ग्रीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ रुपए की सिफारिश भी की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार से ये सिफारिश लागू नहीं हुई थी.
वित्तायोग की सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार राज्यों के लिए रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट जारी करता है. हिमाचल को 15वें वित्तायोग ने इस मामले में मालामाल किया था. तब हिमाचल को रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के तौर पर कुल 37199 करोड़ रुपए मिले थे. किसी भी राज्य के राजस्व यानी रेवेन्यू और खर्च के बीच अंतर से जो घाटा होता है, उसके लिए रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट जारी की जाती है. वित्त मंत्रालय का एक्सपेंडिचर विभाग ये ग्रांट राज्यों को जारी करता है. हर वित्त वर्ष के लिए ये अलग-अलग होती है. हिमाचल को छठी किश्त के रूप में वित्त वर्ष 2022-23 में महज 781 करोड़ रुपए मिले थे. राज्य सरकार के पूर्व वित्त सचिव आईएएस अधिकारी केआर भारती का कहना है कि नई सरकार के समक्ष रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट अधिक से अधिक हासिल करने की चुनौती है. सोलहवें वित्तायोग का पहला ही दौरा हिमाचल का है. ऐसे में राज्य के वित्त विभाग को अपनी स्थिति मजबूती से रखनी होगी.