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होली के पांचवें दिन रंगपंचमी पर निकाली जाती है जांजगीर चांपा में भोलेनाथ की भव्य बारात - Bholenath Barat on Rangpanchami

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 28, 2024, 3:53 PM IST

Updated : Mar 28, 2024, 6:04 PM IST

जांजगीर चांपा के नवागढ़ ब्लॉक के पीथमपुर गांव में कलेश्वर नाथ बाबा विराजमान हैं. यहां 100 सालों से भी अधिक समय से बाबा की भव्य बारात निकाली जाती है. चांदी की पालकी पर सवार हो बाबा सबकी मनोकामना पूरी करते हैं.

After Holi Bholenath Barat on Rangpanchami
रंगपंचमी पर निकाली जाती है भोलेनाथ की भव्य
रंगपंचमी पर निकाली जाती है भोलेनाथ की भव्य

जांजगीर चांपा: जांजगीर चांपा में होली के पांचवें दिन रंगपंचमी के मौके पर भोलेनाथ की भव्य बारात निकाली जाती है. इस दौरान यहां मेला लगता है. इस मेले में साधु-संतों का जमावड़ा लगता है. भोलेनाथ की बारात में हजारों की तादाद में श्रद्धालु उमड़ते हैं. खास बात यह है कि यहां भोलेनाथ मंदिर से चांदी की पालकी पर सवार होकर निकलते हैं. इस दौरान नागा साधु, वैष्णव संत सहित हजारों लोग बाबा के बारात में शामिल होता है. सालों से लोग इस दिन का खास इंतजार करते हैं.

रंगपंचमी पर निकाली जती है भव्य बारात: दरअसल, हम बात कर रहे हैं जिले के नवागढ़ ब्लॉक के पीथमपुर गांव की. यहां कलेश्वर नाथ बाबा विराजमान हैं. कहा जाता है कि बाबा के इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग विराजमान हैं. यहां मांगी गई हर मुराद भक्तों की पूरी होती है. सावन माह में यहां का नजारा देखने लायक होता है. यहां शिवरात्रि के मौके पर भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इन मौकों पर यहां बाबा का खास श्रृंगार और पूजा किया जाता है. हालांकि रंगपंचमी के दिन भोलेनाथ की भव्य बारात पूरे क्षेत्र में निकाली जाती है. कहा जाता है कि इस दिन बाबा से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

साल 1920 से निकली जा रही बाबा की बारात: बाबा कलेश्वर नाथ मंदिर में रंगपंचमी पर निकाले जाने वाले बारात के बारे में जानकारों का कहना शिवजी की बारात साल 1920 से निकाली जा रही है. चाम्पा के जमींदार ने इस परम्परा की शुरुआत की थी. आज भी इस परम्परा का निर्वहन किया जाता है.

नागा साधु का शौर्य प्रदर्शन और शाही स्नान आकर्षण का केंद्र: पीथमपुर गांव हसदेव नदी के तट पर बसा हुआ है. इस बार 30 मार्च यानी कि शनिवार को रंग पंचमी मनाया जाएगा. इस दौरान भोलेनाथ की भव्य बारात निकाली जाएगी. इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है. बाबा के बारात में नागा साधुओं का जमावड़ा लगता है. इस दौरान रंग गुलाल खेलने के साथ ही नागा साधुओं का शौर्य प्रदर्शन और शाही स्नान मेले में आकर्षण का केन्द्र होता है.

चांदी के पालकी पर सवार होते हैं बाबा कलेश्वर नाथ: बाबा कलेश्वर नाथ की बारात में सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र दूल्हा यानी कि भोले भंडारी और उनकी पालकी ही होती है. जानकारों की मानें तो साल 1930 के दशक मे राजा दादू राम शरण सिंह के समय रानी उपमा कुमारी ने चांदी की पालकी बनवाई थी. मंदिर परिसर में रहते समय उन्हें किसी विद्वान ने चांदी की पालकी में शिव बारात निकालने की सलाह दी थी. रानी ने बनारस से डेढ़ क्विंटल चांदी की पालकी बनवाई. इसी पालकी में आज भी शिवजी की बारत निकाली जाती है. पंच धातु से बने शिव जी की पंचमुखी प्रतिमा इस पालकी पर स्थापित की जाती है. ये सब बाबा के बारात को और भी खास बना देता है. सालों से चली आ रही परम्परा का आज भी गांव के लोग निर्वहन करते हैं. इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. कहा जाता है कि बाबा से जो भी मांगा जाता है, वो मुराद जरूर पूरी होती है.

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रंग पंचमी के दिन: कलेश्वर नाथ बाबा के मंदिर से निकली शिवजी की बारात, नागा साधु हुए शामिल
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रंगपंचमी पर निकाली जाती है भोलेनाथ की भव्य

जांजगीर चांपा: जांजगीर चांपा में होली के पांचवें दिन रंगपंचमी के मौके पर भोलेनाथ की भव्य बारात निकाली जाती है. इस दौरान यहां मेला लगता है. इस मेले में साधु-संतों का जमावड़ा लगता है. भोलेनाथ की बारात में हजारों की तादाद में श्रद्धालु उमड़ते हैं. खास बात यह है कि यहां भोलेनाथ मंदिर से चांदी की पालकी पर सवार होकर निकलते हैं. इस दौरान नागा साधु, वैष्णव संत सहित हजारों लोग बाबा के बारात में शामिल होता है. सालों से लोग इस दिन का खास इंतजार करते हैं.

रंगपंचमी पर निकाली जती है भव्य बारात: दरअसल, हम बात कर रहे हैं जिले के नवागढ़ ब्लॉक के पीथमपुर गांव की. यहां कलेश्वर नाथ बाबा विराजमान हैं. कहा जाता है कि बाबा के इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग विराजमान हैं. यहां मांगी गई हर मुराद भक्तों की पूरी होती है. सावन माह में यहां का नजारा देखने लायक होता है. यहां शिवरात्रि के मौके पर भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इन मौकों पर यहां बाबा का खास श्रृंगार और पूजा किया जाता है. हालांकि रंगपंचमी के दिन भोलेनाथ की भव्य बारात पूरे क्षेत्र में निकाली जाती है. कहा जाता है कि इस दिन बाबा से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

साल 1920 से निकली जा रही बाबा की बारात: बाबा कलेश्वर नाथ मंदिर में रंगपंचमी पर निकाले जाने वाले बारात के बारे में जानकारों का कहना शिवजी की बारात साल 1920 से निकाली जा रही है. चाम्पा के जमींदार ने इस परम्परा की शुरुआत की थी. आज भी इस परम्परा का निर्वहन किया जाता है.

नागा साधु का शौर्य प्रदर्शन और शाही स्नान आकर्षण का केंद्र: पीथमपुर गांव हसदेव नदी के तट पर बसा हुआ है. इस बार 30 मार्च यानी कि शनिवार को रंग पंचमी मनाया जाएगा. इस दौरान भोलेनाथ की भव्य बारात निकाली जाएगी. इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है. बाबा के बारात में नागा साधुओं का जमावड़ा लगता है. इस दौरान रंग गुलाल खेलने के साथ ही नागा साधुओं का शौर्य प्रदर्शन और शाही स्नान मेले में आकर्षण का केन्द्र होता है.

चांदी के पालकी पर सवार होते हैं बाबा कलेश्वर नाथ: बाबा कलेश्वर नाथ की बारात में सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र दूल्हा यानी कि भोले भंडारी और उनकी पालकी ही होती है. जानकारों की मानें तो साल 1930 के दशक मे राजा दादू राम शरण सिंह के समय रानी उपमा कुमारी ने चांदी की पालकी बनवाई थी. मंदिर परिसर में रहते समय उन्हें किसी विद्वान ने चांदी की पालकी में शिव बारात निकालने की सलाह दी थी. रानी ने बनारस से डेढ़ क्विंटल चांदी की पालकी बनवाई. इसी पालकी में आज भी शिवजी की बारत निकाली जाती है. पंच धातु से बने शिव जी की पंचमुखी प्रतिमा इस पालकी पर स्थापित की जाती है. ये सब बाबा के बारात को और भी खास बना देता है. सालों से चली आ रही परम्परा का आज भी गांव के लोग निर्वहन करते हैं. इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. कहा जाता है कि बाबा से जो भी मांगा जाता है, वो मुराद जरूर पूरी होती है.

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Last Updated : Mar 28, 2024, 6:04 PM IST
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