नई दिल्ली: दिल्ली सरकार का आबकारी विभाग, उसकी रेवेन्यू का बड़ा सोर्स माना जाता है. सरकारी खजाने को भरने में यह विभाग अहम भूमिका निभाता है, लेकिन पिछले कई माह से एक्साइज विभाग की एनफोर्समेंट ब्रांच कोई खास एक्टिव नहीं है. माना जा रहा है कि इसका बड़ा असर आने वाले समय में सरकार के राजकोष पर भी देखने को मिल सकता है.
मार्च में सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से आबकारी विभाग अंदरूनी तौर पर सहमा हुआ है. एक्साइज विभाग से जुड़े आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले और संपन्न होने के बाद भी एनफोर्समेंट ब्रांच दिल्ली में छापेमारी करने से लेकर दूसरी तमाम तरह की चेकिंग में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. इतना ही नहीं अपनी कार्रवाई को लेकर हमेशा चर्चाओं में रहने वाले एक्साइज विभाग का पिछले तीन माह के दौरान में कोई बड़ा एक्शन भी नहीं देखा गया है.
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि एक्साइज विभाग को लगातार पिछले काफी समय से अलग-अलग तरह की शिकायतें भी मिल रही हैं, जिसमें शराब की तय कीमतों से ज्यादा रेट में शराब बेचने से लेकर शराब के वो ब्रांड भी ज्यादा बेचे जा रहे हैं जो दुकानदारों को ज्यादा मुनाफा दे रहे हैं. वहीं, ऐसे ब्रांड भी यहां पर बेचे जा रहे हैं जिनको नहीं बेचा जा सकता. सूत्रों का कहना है कि एनफोर्समेंट ब्रांच की अलग-अलग टीम के अधिकारी, दिल्ली में हरियाणा मार्का की शराब को पकड़ने से लेकर अंडरएज, रेस्टोरेंट में ओपन शराब परोसने और लाइसेंस आदि की जांच करने को लेकर कार्यवाही करते हैं. लेकिन अधिकारी सरकारी राजस्व को होने वाले नुकसान को रोकने की दिशा में कोई ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
दिल्ली में शराब की कुल दुकानों की बात करें तो इनकी संख्या 584 है. इनमें से ज्यादातर लिकर शॉप का संचालन चार पीएसयू की ओर से किया जाता है. इनमें दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं संसाधन विकास निगम, दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम, दिल्ली उपभोक्ता सहकारी होलसेल स्टोर लिमिटेड और दिल्ली राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड प्रमुख रूप से शामिल हैं. इतना ही नहीं लिकर शॉप पर कई अच्छे ब्रांड्स का भी काफी टोटा बताया जाता है, जिसके चलते लोग इनकी खरीद के लिए गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और आसपास के शहरों की तरफ रूख करते हैं. इसकी वजह से भी सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है.
किस तरह से काम करता है एन्फोर्समेंट ब्रांच: लिकर शॉप या फिर दिल्ली के रेस्टोरेंट में परोसी जाने वाली शराब और ओपन सर्विंग लिकर मामलों की जांच पड़ताल करने का जिम्मा सेक्शन, ऑफिसर लेवल के अधिकारियों को मिला हुआ है. पिछले कई माह से विभागों को अलग-अलग तरह की शिकायतें की जाती रही हैं. कई रेस्टोरेंट्स में शराब परोसने का लाइसेंस खत्म होने के बाद वो ऐसी गतिविधियां चला रहे हैं या फिर किसी के पास इसका लाइसेंस नहीं, इसकी जांच करने में भी विभाग की कोई खास दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है. इसके अलावा स्पेशल रेड भी की जाती है, जिसमें 3-4 अधिकारियों की टीम में असिस्टेंट कमिश्नर (एक्साइज) भी शामिल होते हैं.
नई आबकारी नीति के विवादों में आने के बाद सहमा है विभाग: दिल्ली सरकार की ओर से 17 नवंबर, 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी लागू की गई थी. इस पॉलिसी के अंतर्गत पूरी दिल्ली को 32 जोनों में बांटा गया था और हर जोन में 27 दुकानें खोलने की बात कही गई थी. इस तरह से दिल्लीभर में 849 लिकर शॉप खोली जानी थी. इस पॉलिसी में सभी सरकारी लिकर शॉप्स बंद कर उनको प्राइवेट कर दिया गया था. नई एक्साइज पॉलिसी 2021 के लागू होने से पहले तक दिल्ली में शराब की 60 फीसदी दुकानें सरकारी तो 40 फीसदी प्राइवेट होती थीं.
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नई पॉलिसी लागू होने के बाद इन सभी लिकर शॉप को 100 फीसदी प्राइवेट कर दिया गया था. दिल्ली सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि नई पॉलिसी लागू होने से 3500 करोड़ रुपए का राजस्व फायदा होगा, लेकिन विवादों में आने के बाद इसको पॉलिसी को रद्द कर दिया गया. इस नई आबकारी नीति में हुए कथित घोटाले के चलते दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में हैं. वहीं इस मामले में सांसद संजय सिंह जमानत पर बाहर हैं. इस मामले के बाद से आबकारी विभाग के आला अधिकारी भी काफी सहमे हुए हैं.
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