सिरमौर: जिला सिरमौर में पिछले करीब 4 महीनों से ड्राई स्पैल चल रहा है. बारिश न होने से फसलें काफी प्रभावित हो रही है. इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. लिहाजा इससे पशुधन पर भी विपरीत असर पड़ने की संभावना है. इस दृष्टि से कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर (धौलाकुआं) ने पशुधन को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसके मुताबिक दिसंबर महीने में तापमान में गिरावट होने की वजह से पशुओं में कई प्रकार की बीमारियां सामने आती है. लिहाजा पशुपालकों को इस मौसम में पशुधन का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है.
कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल ने बताया, "नए खरीदे चूजों को बड़ी मुर्गियों के आवास से दूर पालना चाहिए. आवास में कम से कम 16 घंटे रोशनी रहनी चाहिए. कुछ अति संक्रामक रोग पशुओं के लिए घातक होते हैं. इन्हीं में से कुछ बीमारियां विषाणु के कारण होती है, जो पशुओं की बड़े पैमाने पर मौत का कारण बनती है."
ये लक्षण होने पर डॉक्टर की सलाह लें
डॉ. पंकज मित्तल ने बताया कि पशुपालक अपने पशुओं में बीमारी के किसी भी लक्षण जैसे भूख न लगना या कम होना, तेज बुखार, चमड़ी पर लाल धब्बे या फोफोले निकलना और आंख-नाक-मुंह से अत्यधिक स्राव की स्थिति में तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें. डॉक्टर की सलाह से पशुओं को पेट व जिगर के कीड़े मारने की दवाई दें.
इन बातों का भी रखें ख्याल
- हरे चारे की पूर्ति को ध्यान में रखते हुए सरसों मिश्रित बीजी गई जई की कटाई ले सकते हैं.
- अगर पशुओं को केवल सूखा चारा ही खिला रहे हों, तो प्रत्येक पशु को प्रतिदिन 40 ग्राम की दर से खनिज लवण मिश्रण अवश्य खिलाएं.
- पशुओं को दिन में धूप में और रात को अंदर बांधे और सर्दी से बचाव का हर संभव उपाय करें.
पशुओं के थनों पर वैसलीन या मक्खन लगाएं
डॉ. पंकज मित्तल ने बताया कि पशुधन का दूध निकालने के बाद थनों पर वैसलीन या मक्खन लगा दें. गर्भधारण सुनिश्चित करने के लिए पशुओं का निरीक्षण 2-3 महीने के अंदर करवा लें. भैसों में गर्माने के लक्षण मंद होते हैं. लिहाजा सुबह-शाम भैसों में इनका विशेष ध्यान रखें.
सर्दी से ऐसे करें बचाव
- सर्दियों में पशुधन का खासतौर पर ध्यान रखें.
- पशुओं के लिए मेट इत्यादि बिछाएं.
- ठंडी हवाओं से बचाने के लिए पशुओं के लिए तिरपाल के पर्दे लगाएं.
- रात में इन्हें दोनों तरफ से बंद कर दें, ताकि गर्माहट बनी रहे.
- पशुओं को स्वच्छ पानी पिलाएं.
- गुरली में जमा पानी को समय-समय पर बदलते हैं.
- गुरली की साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखें, ताकि पशुओं को स्वच्छ जल मिल सके.
- खान-पान का भी विशेष ध्यान रखें, इससे पशुओं में बीमारियों की संभावना न के बराबर रहती है.
कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल ने पशुपालकों से आग्रह किया कि अधिक एवं उपयोगी जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर से संपर्क करें.