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वो 'भजन' किला जिसे आज तक कोई नहीं भेद पाया, क्या आदमपुर में इस बार भी बिश्नोई ? फैसला थोड़ी ही देर में...

आदमपुर सीट चर्चित सीट मानी जाती है, क्योंकि यहां पूर्व सीएम भजनलाल के परिवार के अलावा आज तक कोई भी अन्य प्रत्याशी विजयी नहीं हुआ.

HARYANA ASSEMBLY ELECTION RESULT
BHAVYA BISHNOI VS CHANDRAPRAKASH (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 8, 2024, 6:01 AM IST

हिसार: विधानसभा चुनाव की लड़ाई अब खत्म हो चुकी है. अब बारी है जनता के फैसले की. आज जनता जनार्दन अपना फैसला सुनाएगी कि सत्ता की कुर्सी किसकी होगी और किसको बैठना पड़ेगा विपक्ष में. इस बीच प्रदेश में कई हाई प्रोफाइल सीटें हैं, जहां पूरे देश की निगाहें हैं. क्योंकि यहां से कद्दावर नेता अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इन्हीं सीटों में से एक है हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट, जहां भव्य बिश्नोई की साख दांव पर है.

जिले की आदमपुर सीट हरियाणा जिले में हॉट सीट मानी जा रही है. इस सीट से पूर्व दिवंगत सीएम चौधरी भजनलाल के परिवार के अलावा आज तक कोई भी अन्य प्रत्याशी नहीं जीत पाया. इस सीट से पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल, उनकी पत्नी जसमा देवी, उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई, रेणुका बिश्नोई व कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई विधायक चुनते आ रहे हैं. इस बार भी पूर्व सांसद कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई बीजेपी से चुनाव लड़ा हैं. वहीं कांग्रेस से भूपेंद्र हुड्डा के नजदीकी पूर्व आईएएस अधिकारी चंद्रप्रकाश ने ताल ठोका हैं. आप पार्टी से भूपेंद्र बैनीवाल व इनेलो बसपा गठबंधन से रणदीप लोबहच चुनावी मैदान में हैं. सीधे तौर से मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है.

उपचुनाव जीतकर अपनी विधानसभा चुनाव पारी की शुरुआत करने वाले भव्य बिश्नोई दूसरी बार विधायक बनने के लिए चुनाव में उतरे हैं. कांग्रेस ने यहां ओबीसी में आने वाले जांगड़ा समाज के चंद्रप्रकाश को प्रत्याशी बनाकर दांव खेला है.

अलग-अलग दल से लड़ने के बाद भी जीते : भव्य बिश्नोई आदमपुर से भाजपा के टिकट पर एक उपचुनाव जीत चुके हैं. आदमपुर की सीट पर चौधरी भजनलाल 9 बार विधायक बने हैं. भजनलाल ने 1968, 1972 का चुनाव कांग्रेस से लड़कर जीता. 1977 में वो जनता पार्टी के विधायक बने. 1982 में फिर कांग्रेस से जीते. वर्ष 1987 में चौधरी देवीलाल की आंधी में भी यहां चौधरी भजनलाल की पत्नी जसमा कांग्रेस की विधायक बनी. 1996, 1998, 2000 और 2005 में चौधरी भजनलाल कांग्रेस के टिकट पर ही जीतकर चंडीगढ़ पहुंचे.

वहीं, कुलदीप बिश्नोई 1998 और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने. कुलदीप यहां से 2009 और 2014 में हजकां के टिकट पर जीते. रेणुका बिश्नोई भी यहां से हजकां के टिकट पर जीत चुकी हैं. भजनलाल की पत्नी जसमा देवी एक बार, बेटा कुलदीप 4 बार, एक बार पुत्रवधू, पोता भव्य बिश्नोई एक बार यहां से विधायक बन चुका है. इस परिवार ने कांग्रेस, हरियाणा जनहित कांग्रेस, भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते हैं. यहां सबसे अधिक बार कांग्रेस के निशान पर जीत मिली है.

इस बार कांग्रेस ने चंद्रप्रकाश पर खेला दांव : चौधरी भजनलाल, कुलदीप बिश्नोई, भव्य बिश्नोई के सामने अधिकतर जाट प्रत्याशी ही मैदान में उतारे गए हैं. एक बार ब्राह्मण समाज से प्रो. गणेशीलाल, एक बार बिश्नोई समाज से कुलबीर बैनीवाल को उतारा गया. इस बार कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशी को उतारा है जो कभी भजनलाल के सबसे करीबी रहे पंडित रामजीलाल जांगड़ा के परिवार से आते हैं.

भजनलाल परिवार के इस आदमपुर के गढ़ को तोड़ने के लिए कई बार प्रयास हुए लेकिन आज तक कोई भी इसे तोड़ नहीं पाया. चौ. देवीलाल, उनके बेटे चौधरी रणजीत सिंह, चौ. बंसीलाल के बेटे सुरेन्द्र सिंह ने भी यहां आकर चुनाव लड़े, लेकिन कोई नहीं जीता. सांसद जयप्रकाश और भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रो. गणेशीलाल भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं.

ये है जातीय समीकरण : अगर जातीय समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में जाट मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक 60 हजार है. इसके बाद करीब 20 हजार बिश्नोई, 8 हजार कुम्हार, पंडित 6 हजार, बनिया 6 हजार मतदाता हैं. इसके अलावा अनुसूचित वर्ग के अलग-अलग केटेगरी के मतदाता हैं. जातीय समीकरणों के हिसाब से यहां बिश्नोई मतदाता जाट मतदाताओं से कम होने के बाद भी हमेशा बिश्नोई परिवार ही जीता. जाट के अलावा दूसरी जाति के प्रत्याशियों ने भी कई बार प्रयास किए लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली.

हजकां को किया कांग्रेस में विलय : लंबे समय तक कांग्रेस में रहे कुलदीप बिश्नोई ने अपनी हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी बनाकर भी चुनाव लड़े. उसके बाद कांग्रेस में उसका विलय कर दिया गया था. अब कुलदीप बिश्नोई भाजपा में राजनीति करते हैं. भव्य बिश्नोई दूसरी बार भाजपा का विधायक बनने के लिए मैदान में उतरे हैं. पहली बार ऐसा हुआ है कि कुछ गांवों में कुलदीप बिश्नोई का विरोध हुआ. यह विरोध चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है.

ये हैं आप और इनेलो प्रत्याशी : आदमपुर से आप पार्टी के प्रत्याशी भूपेंद्र बैनीवाल भी आदमपुर से चुनाव लड़ कर अपनी टीम के साथ चुनावी रण में लगे हुए हैं. अधिवक्ता भूपेंद्र बैनीवाल आप पार्टी से दस सालों से जुडे हुए हैं. वहीं इनेलो-बसपा ने रणदीप लोहचब को अपना प्रत्याशी बनाया है, वो भी हलके में प्रचार के दौरान पूरी जोर-आजमाइश कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें :हरियाणा में हुआ कुल 67.90 प्रतिशत मतदान... सिरसा जिले में सर्वाधिक, फरीदाबाद में सबसे कम - Haryana Assembly Election 2024

इसे भी पढ़ें :क्या हरियाणा में बनेगी गठबंधन की सरकार? सीएम नायब सैनी बोले- गठबंधन की जरूरत पड़ी तो करेंगे विचार - CM Nayab Saini taunt on Congress

हिसार: विधानसभा चुनाव की लड़ाई अब खत्म हो चुकी है. अब बारी है जनता के फैसले की. आज जनता जनार्दन अपना फैसला सुनाएगी कि सत्ता की कुर्सी किसकी होगी और किसको बैठना पड़ेगा विपक्ष में. इस बीच प्रदेश में कई हाई प्रोफाइल सीटें हैं, जहां पूरे देश की निगाहें हैं. क्योंकि यहां से कद्दावर नेता अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इन्हीं सीटों में से एक है हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट, जहां भव्य बिश्नोई की साख दांव पर है.

जिले की आदमपुर सीट हरियाणा जिले में हॉट सीट मानी जा रही है. इस सीट से पूर्व दिवंगत सीएम चौधरी भजनलाल के परिवार के अलावा आज तक कोई भी अन्य प्रत्याशी नहीं जीत पाया. इस सीट से पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल, उनकी पत्नी जसमा देवी, उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई, रेणुका बिश्नोई व कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई विधायक चुनते आ रहे हैं. इस बार भी पूर्व सांसद कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई बीजेपी से चुनाव लड़ा हैं. वहीं कांग्रेस से भूपेंद्र हुड्डा के नजदीकी पूर्व आईएएस अधिकारी चंद्रप्रकाश ने ताल ठोका हैं. आप पार्टी से भूपेंद्र बैनीवाल व इनेलो बसपा गठबंधन से रणदीप लोबहच चुनावी मैदान में हैं. सीधे तौर से मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है.

उपचुनाव जीतकर अपनी विधानसभा चुनाव पारी की शुरुआत करने वाले भव्य बिश्नोई दूसरी बार विधायक बनने के लिए चुनाव में उतरे हैं. कांग्रेस ने यहां ओबीसी में आने वाले जांगड़ा समाज के चंद्रप्रकाश को प्रत्याशी बनाकर दांव खेला है.

अलग-अलग दल से लड़ने के बाद भी जीते : भव्य बिश्नोई आदमपुर से भाजपा के टिकट पर एक उपचुनाव जीत चुके हैं. आदमपुर की सीट पर चौधरी भजनलाल 9 बार विधायक बने हैं. भजनलाल ने 1968, 1972 का चुनाव कांग्रेस से लड़कर जीता. 1977 में वो जनता पार्टी के विधायक बने. 1982 में फिर कांग्रेस से जीते. वर्ष 1987 में चौधरी देवीलाल की आंधी में भी यहां चौधरी भजनलाल की पत्नी जसमा कांग्रेस की विधायक बनी. 1996, 1998, 2000 और 2005 में चौधरी भजनलाल कांग्रेस के टिकट पर ही जीतकर चंडीगढ़ पहुंचे.

वहीं, कुलदीप बिश्नोई 1998 और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने. कुलदीप यहां से 2009 और 2014 में हजकां के टिकट पर जीते. रेणुका बिश्नोई भी यहां से हजकां के टिकट पर जीत चुकी हैं. भजनलाल की पत्नी जसमा देवी एक बार, बेटा कुलदीप 4 बार, एक बार पुत्रवधू, पोता भव्य बिश्नोई एक बार यहां से विधायक बन चुका है. इस परिवार ने कांग्रेस, हरियाणा जनहित कांग्रेस, भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते हैं. यहां सबसे अधिक बार कांग्रेस के निशान पर जीत मिली है.

इस बार कांग्रेस ने चंद्रप्रकाश पर खेला दांव : चौधरी भजनलाल, कुलदीप बिश्नोई, भव्य बिश्नोई के सामने अधिकतर जाट प्रत्याशी ही मैदान में उतारे गए हैं. एक बार ब्राह्मण समाज से प्रो. गणेशीलाल, एक बार बिश्नोई समाज से कुलबीर बैनीवाल को उतारा गया. इस बार कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशी को उतारा है जो कभी भजनलाल के सबसे करीबी रहे पंडित रामजीलाल जांगड़ा के परिवार से आते हैं.

भजनलाल परिवार के इस आदमपुर के गढ़ को तोड़ने के लिए कई बार प्रयास हुए लेकिन आज तक कोई भी इसे तोड़ नहीं पाया. चौ. देवीलाल, उनके बेटे चौधरी रणजीत सिंह, चौ. बंसीलाल के बेटे सुरेन्द्र सिंह ने भी यहां आकर चुनाव लड़े, लेकिन कोई नहीं जीता. सांसद जयप्रकाश और भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रो. गणेशीलाल भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं.

ये है जातीय समीकरण : अगर जातीय समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में जाट मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक 60 हजार है. इसके बाद करीब 20 हजार बिश्नोई, 8 हजार कुम्हार, पंडित 6 हजार, बनिया 6 हजार मतदाता हैं. इसके अलावा अनुसूचित वर्ग के अलग-अलग केटेगरी के मतदाता हैं. जातीय समीकरणों के हिसाब से यहां बिश्नोई मतदाता जाट मतदाताओं से कम होने के बाद भी हमेशा बिश्नोई परिवार ही जीता. जाट के अलावा दूसरी जाति के प्रत्याशियों ने भी कई बार प्रयास किए लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली.

हजकां को किया कांग्रेस में विलय : लंबे समय तक कांग्रेस में रहे कुलदीप बिश्नोई ने अपनी हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी बनाकर भी चुनाव लड़े. उसके बाद कांग्रेस में उसका विलय कर दिया गया था. अब कुलदीप बिश्नोई भाजपा में राजनीति करते हैं. भव्य बिश्नोई दूसरी बार भाजपा का विधायक बनने के लिए मैदान में उतरे हैं. पहली बार ऐसा हुआ है कि कुछ गांवों में कुलदीप बिश्नोई का विरोध हुआ. यह विरोध चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है.

ये हैं आप और इनेलो प्रत्याशी : आदमपुर से आप पार्टी के प्रत्याशी भूपेंद्र बैनीवाल भी आदमपुर से चुनाव लड़ कर अपनी टीम के साथ चुनावी रण में लगे हुए हैं. अधिवक्ता भूपेंद्र बैनीवाल आप पार्टी से दस सालों से जुडे हुए हैं. वहीं इनेलो-बसपा ने रणदीप लोहचब को अपना प्रत्याशी बनाया है, वो भी हलके में प्रचार के दौरान पूरी जोर-आजमाइश कर रहे हैं.

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