देहरादून: नदी-नालों के किनारे स्थित बस्तियों में लगातार हो रहे अवैध निर्माण पर अब कार्रवाई का डंडा चलने वाला है. एनजीटी हाईकोर्ट के निर्देश पर नगर निगम ने अतिक्रमण और साल 2016 के बाद की अवैध बस्तियों को हटाने के लिए अपनी कमर कस ली है.जिसको लेकर नगर निगम शहर भर में सर्वे कराया जा रहा है. दो दिन पहले नगर निगम की टीम अवैध बस्तियों को हटाने के लिए गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद नगर निगम की टीम अवैध बस्तियों तोड़े बिना वापस लौट आई.
नगर निगम द्वारा नदी नालों के किनारे अतिक्रमण और अवैध बस्तियों को हटाने के काम पहले कई बार कर चुकी है, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते हर बार नगर निगम को कामयाबी नहीं मिलती है. टीम को बिना तोड़े वापस आना पड़ता है. दूसरा सबसे बड़ा मामला है कि 11 मार्च 2016 तक में चिन्हित की गई बस्तियों और भवनों को भी सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से वैध माना गया है. उसके बाद के निर्माण अवैध घोषित किए गए हैं. अवैध निर्माण पर कार्रवाई कभी नहीं की जा सकी, क्योंकि राजनीतिक दल वोट बैंक के लिए अवैध वस्तुओं को खाली नहीं होने देते हैं. बता दें देहरादून नगर निगम क्षेत्र में स्थित 129 बस्तियों को चिन्हित किया गया है. जिनमें 40 हजार भवन होने का अनुमान है. साल 2016 के बाद किए गए निर्माण नियम के अनुसार अवैध करार दिए गए हैं.
नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया एनजीटी के आदेश पर नगर निगम ने नदी नालों के किनारे हुए अतिक्रमण और साल 2016 के बाद बने अवैध बस्तियां का सर्वे चल रहा है. पहले चरण में रिस्पना नदी के किनारे स्थित बस्तियों में अवैध निर्माण चिन्हित किए गए हैं. साथ ही मलिन बस्ती अधिनियम के तहत साल 2016 के बाद निर्माण अवैध है, ऐसे में नगर निगम की टीम यह जांच कर रही है कि साल 2016 के बाद मलिन बस्तियों में बिजली और पानी के कनेक्शन लिए गए हैं या नहीं इसके लिए ऊर्जा निगम और जल संस्थान का भी सहयोग लिया जा रहा है.