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दिल्ली दंगा मामला: ताहिर हुसैन की तरफ से पेश की गई दलील, मेरे व्हाट्सएप चैट हिंसा के लिए नहीं...

-वकील ने कहा, लोगों से शांतिपूर्ण विरोध करने को कहा गया था. -2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुआ था दंगा.

ताहिर हुसैन
ताहिर हुसैन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 8, 2024, 7:33 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के मामले में आरोप तय करने को लेकर ताहिर हुसैन की ओर से दलीलें पेश की गईं. इसमें कहा गया है कि उसके व्हाट्सऐप चैट ने दिल्ली के लोगों को हिंसा के लिए नहीं उकसाया था. सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस जिन व्हाट्सऐप चैट को आधार बना रही है, उसमें आरोपी ने लोगों से ये कहीं नहीं कहा कि सरकार के खिलाफ हथियार उठाएं. चैट में लोगों से शांतिपूर्ण विरोध करने को कहा गया था. चक्का जाम कोई आतंकी गतिविधि नहीं है.

इसके पहले सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन ने कहा था कि सरकार की नीतियों की आलोचना करना तब तक देश का विरोध करना नहीं है, जब तक वो देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा न करे. उसकी तरफ से पेश वकील राजीव मोहन ने कहा था कि दिल्ली दंगों से जुड़े 765 एफआईआर में किसी में भी दिल्ली पुलिस ने आतंकी कार्रवाई का जिक्र नहीं किया है. ऐसे में आरोपी के खिलाफ आतंकी गतिविधि का मामला कैसे चल सकता है. आरोपी जिन संगठनों से जुड़े हुए थे उन संगठनों पर भी सरकार ने प्रतिबंध नहीं लगाया है. किसी के इकबालिया बयान के आधार पर आरोपी के खिलाफ यूएपीए का केस नहीं चलाया जा सकता है.

दिल्ली पुलिस ने कही थी ये बात: दरअसल, इस मामले में दिल्ली पुलिस ने जांच पूरी कर ली है. कोर्ट ने पांच सितंबर से इस मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई शुरू कर दी थी. दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया था कि 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुआ दंगा, गहरी साजिश का नतीजा था. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि 4 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून संसद की ओर से पारित होने के बाद दंगे की साजिश रची गई. उन्होंने चार्जशीट का जिक्र करते हुए कहा कि दंगे की इस साजिश में कई संगठन शामिल थे. इन संगठनों में पिंजरा तोड़, एएजेडएमआई, एसआईओ, एसएफआई इत्यादि संगठन शामिल थे. उन्होंने व्हाट्सऐप ग्रुप में हुई बातचीत और गवाहों के बयानों का जिक्र करते हुए अपनी दलीलों की पुष्टि की.

यूएपीए के तहत दर्ज की गई चार्जशीट: बता दें कि इस मामले में 6 मार्च, 2020 को एफआईआर दर्ज की गई थी. उसके बाद अब तक एक चार्जशीट और चार पूरक चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. मामले में उमर खालिद समेत 18 आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज मामले में चार्जशीट दाखिल की गई. जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें सफूरा जरगर, ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा, शफा उर रहमान, आसिफ इकबाल तान्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, शरजील इमाम, फैजान खान, नताशा नरवाल और देवांगन कलीता शामिल हैं. इनमें सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगन कलीता और नताशा नरवाल को जमानत मिल चुकी है.

यह भी पढ़ें- दिल्ली दंगे से जुड़े केस में खालिद सैफी को बड़ा झटका, मुकदमा खत्म करने की याचिका खारिज

यह भी पढ़ें- दिल्ली दंगा: पुलिसकर्मी पर रिवाल्वर तानने वाले शाहरुख पठान को HC से नहीं मिली जमानत

नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के मामले में आरोप तय करने को लेकर ताहिर हुसैन की ओर से दलीलें पेश की गईं. इसमें कहा गया है कि उसके व्हाट्सऐप चैट ने दिल्ली के लोगों को हिंसा के लिए नहीं उकसाया था. सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस जिन व्हाट्सऐप चैट को आधार बना रही है, उसमें आरोपी ने लोगों से ये कहीं नहीं कहा कि सरकार के खिलाफ हथियार उठाएं. चैट में लोगों से शांतिपूर्ण विरोध करने को कहा गया था. चक्का जाम कोई आतंकी गतिविधि नहीं है.

इसके पहले सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन ने कहा था कि सरकार की नीतियों की आलोचना करना तब तक देश का विरोध करना नहीं है, जब तक वो देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा न करे. उसकी तरफ से पेश वकील राजीव मोहन ने कहा था कि दिल्ली दंगों से जुड़े 765 एफआईआर में किसी में भी दिल्ली पुलिस ने आतंकी कार्रवाई का जिक्र नहीं किया है. ऐसे में आरोपी के खिलाफ आतंकी गतिविधि का मामला कैसे चल सकता है. आरोपी जिन संगठनों से जुड़े हुए थे उन संगठनों पर भी सरकार ने प्रतिबंध नहीं लगाया है. किसी के इकबालिया बयान के आधार पर आरोपी के खिलाफ यूएपीए का केस नहीं चलाया जा सकता है.

दिल्ली पुलिस ने कही थी ये बात: दरअसल, इस मामले में दिल्ली पुलिस ने जांच पूरी कर ली है. कोर्ट ने पांच सितंबर से इस मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई शुरू कर दी थी. दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया था कि 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुआ दंगा, गहरी साजिश का नतीजा था. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि 4 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून संसद की ओर से पारित होने के बाद दंगे की साजिश रची गई. उन्होंने चार्जशीट का जिक्र करते हुए कहा कि दंगे की इस साजिश में कई संगठन शामिल थे. इन संगठनों में पिंजरा तोड़, एएजेडएमआई, एसआईओ, एसएफआई इत्यादि संगठन शामिल थे. उन्होंने व्हाट्सऐप ग्रुप में हुई बातचीत और गवाहों के बयानों का जिक्र करते हुए अपनी दलीलों की पुष्टि की.

यूएपीए के तहत दर्ज की गई चार्जशीट: बता दें कि इस मामले में 6 मार्च, 2020 को एफआईआर दर्ज की गई थी. उसके बाद अब तक एक चार्जशीट और चार पूरक चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. मामले में उमर खालिद समेत 18 आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज मामले में चार्जशीट दाखिल की गई. जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें सफूरा जरगर, ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा, शफा उर रहमान, आसिफ इकबाल तान्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, शरजील इमाम, फैजान खान, नताशा नरवाल और देवांगन कलीता शामिल हैं. इनमें सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगन कलीता और नताशा नरवाल को जमानत मिल चुकी है.

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