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वर्क फॉर्म होम के नाम पर चूना लगाने वाले ठग हरियाणा से गिरफ्तार, संयुक्त अरब अमीरात से जुड़े हैं तार - Fraud in the name of work from home - FRAUD IN THE NAME OF WORK FROM HOME

Fraud in the name of work from home in dehradun देहरादून में एक युवती से ऑनलाइन वर्क फ्रॉम होम के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह के सरगना सहित 3 सदस्यों को गुरुग्राम (हरियाणा) से गिरफ्तार किया गया है. बताया जा रहा है कि आरोपियों के तार अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह से जुड़े हैं. बहरहाल उत्तराखंड एसटीएफ पूरे मामले की जांच कर रही है.

CYBER ​​THUG ARRESTED FROM HARYANA
उत्तराखंड एसटीएफ ने हरियाणा से ठगों को दबोचा (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 30, 2024, 7:22 PM IST

देहरादून: पूरे भारत में ऑनलाइन वर्क फ्रॉम होम के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह के सरगना सहित 3 सदस्यों को एसटीएफ की टीम ने गुरुग्राम (हरियाणा) से गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने पूछताछ में अपना नाम शौकीन,सुभाष शर्मा और मुकुल गोधारा बताया है. आरोपियों के कब्जे से 5 मोबाइल फोन, 5 क्रेडिट कार्ड, 9 एटीएम कार्ड और 2 आधार कार्ड बरामद हुए हैं.

अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह के संपर्क में थे सभी आरोपी: आरोपी मोबाइल पर व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए दुबई में बैठे अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह के संपर्क में रहकर उनके इशारे पर भारत में ठगी का काम करते थे. गिरोह द्वारा टेलीग्राम ग्रुप के जरिए Harvey Norman आदि जानी-मानी अलग-अलग विदेशी कंपनियों के अधिकारी और कर्मचारी बताकर अलग-अलग फर्जी वेबसाइटों में रजिस्ट्रेशन करवाया जाता था. इसके बाद टास्क देकर ट्रेडिंग और ट्रेडिंग के लिए खुलवाए गए अकाउंट को रिचार्ज कराने के नाम पर धनराशि जमा कराई जाती थी.

देहरादून की युवती से 21 लाख रुपए की थी ठगी: बता दें कि सरस्वती विहार नेहरु कॉलोनी निवासी महिला ने जून 2024 में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून में केस दर्ज कराया था, जिसमें बताया गया था कि उसे टेलीग्राम के जरिए 12 मई 2024 को एक मैसेज आया था, जिसमें उसे घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया और घर बैठे पैसे कमाने का लालच दिया गया. जिसके बाद वह ग्रुप सदस्यों के बताये अनुसार Harvey Norman नामक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की नामी कंपनी के एक टेलीग्राम ग्रुप में जुड़ गई, जिसका नाम Harvey’s Appliances Crew 1319 था.

ठग फर्जी बेवसाइट पर बनवाते था अकाउंट: इस ग्रुप से उसे एक वेबसाइट https://www.hvnorman-search1.net पर रजिस्ट्रेशन कराकर अकाउंट बनवाया गया, जहां पर वर्क फ्रॉम होम के नाम पर मिले टास्क को वेबसाइट में अपने अकाउंट में जाकर पूरा करना होता था. शुरू में इसके माध्यम से उसे 40 टास्क पूरे करने का लक्ष्य दिया गया था. टास्क पूरे करने पर कंपनी द्वारा उसे 2500 रुपए उसके यूनियन बैंक के अकाउंट पर प्राप्त हो गए. इसके बाद टास्क शुरू होने पर उसे फेडरल बैंक के खाता में 10,500 रुपए जमा करने को कहा गया.

पीड़िता को अधिक लाभ का दिया था लालच: इसके बाद आरोपियों की वेबसाइट पर बने पीडिता के अकाउंट में आरोपियों द्वारा लाभ के साथ उसे 19000 रुपए ट्रांसफर किये गए. ग्रुप में जानकारी दी गई कि यदि आपने अपनी कंपनी में बने अकाउंट को रिचार्ज नहीं किया, तो आपके द्वारा कंपनी में जमा किये गये पैसों के नुकसान के जिम्मेदार आप खुद होंगे, जिस कारण टास्क पूरा करने के लिये इनके कहे अनुसार पीड़िता द्वारा अलग-अलग अकाउंट में अलग-अलग धनराशि जमा की गई.

अधिक पैसा जमा करने की बात पर पीड़िता को हुआ शक: जैसे ही साइट में पीड़िता को लाभ के साथ 41,75,017 रुपए दिखे, तो पीड़िता ने कैश आउट करने का प्रयास किया, तभी उसमें एक अलर्ट मैसेज आया कि आपको 50 प्रतिशत सिक्योरिटी के तौर पर जमा करना होगा. जिस पर महिला द्वारा टेलीग्राम पर मैसेज किया गया तो उनके द्वारा बताया गया कि आपको 50 प्रतिशत सिक्योरिटी के नाम पर जमा करना ही पड़ेगा, तभी आप पैसा निकाल पाएंगी. आरोपियों द्वारा बार-बार और अधिक पैसा जमा करने की बात कहने पर पीड़िता को ठगी का अहसास हुआ. पीड़िता से कुल 21,19,371 रुपए की ठगी हुई है.

Whatsapp ग्रुपों के जरिए चलता था खेल: आरोपी मुकुल गोधरा ने बताया कि अपने परिचितों और जरुरतमंदों को कुछ रुपए देकर या कमिशन देकर उनकी आईडी पर बैंक खाते खुलवाकर धोखाधड़ी के लिए बैंक खातों का इंतजाम किया जाता था. बैंक खातों को वह अपने सह आरोपी शौकीन और सुभाष शर्मा को उपलब्ध कराता था. सभी आरोपी आपस में Whatsapp ग्रुपों के माध्यम से अपने अन्य सह आरोपियों सहित अंतरराष्ट्रीय विदेशी साइबर ठगों के संपर्क में थे.

आरोपियों ने दुबई से निकाले थे पैसे: एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों ने फर्जी बैंक खाते खोले, जिनके उपयोग के लिए बैंक खाता किट्स को भौतिक रूप से दुबई में वितरित किया गया था और आरोपियों ने दुबई में एटीएम से पैसे भी निकाले थे, क्योंकि आरोपियों को हवाई अड्डे पर बड़ी मात्रा में नकदी ले जाने पर पकड़े जाने का डर था. निकाली गई धनराशि को फिर दिरहम (Dirham) में बदलकर USDT और अन्य क्रिप्टोकरेंसी खरीदी गई. दिरहम में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद रुपए की तुलना में सस्ती होती है.

चीनी नागरिकों को बेचें गए थे फर्जी खाते: एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों ने चीनी मास्टरमाइंड्स के लिए सीधे क्रिप्टोकरेंसी खरीदी, जिनके मोबाइल नंबर और चैट बरामद हुए हैं. साथ ही 50 से अधिक फर्जी बैंक खाते खोले और इन फर्जी खातों को चीनी नागरिकों को बेचने के लिए कमीशन प्राप्त किया. उन्होंने कहा कि इन बैंक खातों में से कुछ के खिलाफ पूरे भारत में शिकायतें दर्ज हैं, जिनकी डिटेल संबंधित राज्यों के साथ साझा किया जाएगा.

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देहरादून: पूरे भारत में ऑनलाइन वर्क फ्रॉम होम के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह के सरगना सहित 3 सदस्यों को एसटीएफ की टीम ने गुरुग्राम (हरियाणा) से गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने पूछताछ में अपना नाम शौकीन,सुभाष शर्मा और मुकुल गोधारा बताया है. आरोपियों के कब्जे से 5 मोबाइल फोन, 5 क्रेडिट कार्ड, 9 एटीएम कार्ड और 2 आधार कार्ड बरामद हुए हैं.

अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह के संपर्क में थे सभी आरोपी: आरोपी मोबाइल पर व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए दुबई में बैठे अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह के संपर्क में रहकर उनके इशारे पर भारत में ठगी का काम करते थे. गिरोह द्वारा टेलीग्राम ग्रुप के जरिए Harvey Norman आदि जानी-मानी अलग-अलग विदेशी कंपनियों के अधिकारी और कर्मचारी बताकर अलग-अलग फर्जी वेबसाइटों में रजिस्ट्रेशन करवाया जाता था. इसके बाद टास्क देकर ट्रेडिंग और ट्रेडिंग के लिए खुलवाए गए अकाउंट को रिचार्ज कराने के नाम पर धनराशि जमा कराई जाती थी.

देहरादून की युवती से 21 लाख रुपए की थी ठगी: बता दें कि सरस्वती विहार नेहरु कॉलोनी निवासी महिला ने जून 2024 में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून में केस दर्ज कराया था, जिसमें बताया गया था कि उसे टेलीग्राम के जरिए 12 मई 2024 को एक मैसेज आया था, जिसमें उसे घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया और घर बैठे पैसे कमाने का लालच दिया गया. जिसके बाद वह ग्रुप सदस्यों के बताये अनुसार Harvey Norman नामक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की नामी कंपनी के एक टेलीग्राम ग्रुप में जुड़ गई, जिसका नाम Harvey’s Appliances Crew 1319 था.

ठग फर्जी बेवसाइट पर बनवाते था अकाउंट: इस ग्रुप से उसे एक वेबसाइट https://www.hvnorman-search1.net पर रजिस्ट्रेशन कराकर अकाउंट बनवाया गया, जहां पर वर्क फ्रॉम होम के नाम पर मिले टास्क को वेबसाइट में अपने अकाउंट में जाकर पूरा करना होता था. शुरू में इसके माध्यम से उसे 40 टास्क पूरे करने का लक्ष्य दिया गया था. टास्क पूरे करने पर कंपनी द्वारा उसे 2500 रुपए उसके यूनियन बैंक के अकाउंट पर प्राप्त हो गए. इसके बाद टास्क शुरू होने पर उसे फेडरल बैंक के खाता में 10,500 रुपए जमा करने को कहा गया.

पीड़िता को अधिक लाभ का दिया था लालच: इसके बाद आरोपियों की वेबसाइट पर बने पीडिता के अकाउंट में आरोपियों द्वारा लाभ के साथ उसे 19000 रुपए ट्रांसफर किये गए. ग्रुप में जानकारी दी गई कि यदि आपने अपनी कंपनी में बने अकाउंट को रिचार्ज नहीं किया, तो आपके द्वारा कंपनी में जमा किये गये पैसों के नुकसान के जिम्मेदार आप खुद होंगे, जिस कारण टास्क पूरा करने के लिये इनके कहे अनुसार पीड़िता द्वारा अलग-अलग अकाउंट में अलग-अलग धनराशि जमा की गई.

अधिक पैसा जमा करने की बात पर पीड़िता को हुआ शक: जैसे ही साइट में पीड़िता को लाभ के साथ 41,75,017 रुपए दिखे, तो पीड़िता ने कैश आउट करने का प्रयास किया, तभी उसमें एक अलर्ट मैसेज आया कि आपको 50 प्रतिशत सिक्योरिटी के तौर पर जमा करना होगा. जिस पर महिला द्वारा टेलीग्राम पर मैसेज किया गया तो उनके द्वारा बताया गया कि आपको 50 प्रतिशत सिक्योरिटी के नाम पर जमा करना ही पड़ेगा, तभी आप पैसा निकाल पाएंगी. आरोपियों द्वारा बार-बार और अधिक पैसा जमा करने की बात कहने पर पीड़िता को ठगी का अहसास हुआ. पीड़िता से कुल 21,19,371 रुपए की ठगी हुई है.

Whatsapp ग्रुपों के जरिए चलता था खेल: आरोपी मुकुल गोधरा ने बताया कि अपने परिचितों और जरुरतमंदों को कुछ रुपए देकर या कमिशन देकर उनकी आईडी पर बैंक खाते खुलवाकर धोखाधड़ी के लिए बैंक खातों का इंतजाम किया जाता था. बैंक खातों को वह अपने सह आरोपी शौकीन और सुभाष शर्मा को उपलब्ध कराता था. सभी आरोपी आपस में Whatsapp ग्रुपों के माध्यम से अपने अन्य सह आरोपियों सहित अंतरराष्ट्रीय विदेशी साइबर ठगों के संपर्क में थे.

आरोपियों ने दुबई से निकाले थे पैसे: एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों ने फर्जी बैंक खाते खोले, जिनके उपयोग के लिए बैंक खाता किट्स को भौतिक रूप से दुबई में वितरित किया गया था और आरोपियों ने दुबई में एटीएम से पैसे भी निकाले थे, क्योंकि आरोपियों को हवाई अड्डे पर बड़ी मात्रा में नकदी ले जाने पर पकड़े जाने का डर था. निकाली गई धनराशि को फिर दिरहम (Dirham) में बदलकर USDT और अन्य क्रिप्टोकरेंसी खरीदी गई. दिरहम में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद रुपए की तुलना में सस्ती होती है.

चीनी नागरिकों को बेचें गए थे फर्जी खाते: एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों ने चीनी मास्टरमाइंड्स के लिए सीधे क्रिप्टोकरेंसी खरीदी, जिनके मोबाइल नंबर और चैट बरामद हुए हैं. साथ ही 50 से अधिक फर्जी बैंक खाते खोले और इन फर्जी खातों को चीनी नागरिकों को बेचने के लिए कमीशन प्राप्त किया. उन्होंने कहा कि इन बैंक खातों में से कुछ के खिलाफ पूरे भारत में शिकायतें दर्ज हैं, जिनकी डिटेल संबंधित राज्यों के साथ साझा किया जाएगा.

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