नई दिल्ली: आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक में फर्जी मरीजों पर किए गए फर्जी लैब परीक्षणों की एसीबी द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में केजरीवाल सरकार द्वारा नियुक्त दो निजी डायग्नोस्टिक लैब एजिलस डायग्नोस्टिक और मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की गहरी सांठगांठ का पता चला है. एसीबी ने इस संबंध जानकारी साझा की है. स्वास्थ्य विभाग फिलहाल मंत्री सौरभ भारद्वाज के अधीन है जो पहले सत्येन्द्र जैन के पास हुआ करता था.
एसीबी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, प्रारंभिक जांच से पता चला है कि फरवरी 2023 से दिसंबर 2023 की अवधि के दौरान दो निजी प्रयोगशालाओं द्वारा लगभग 22 लाख परीक्षण किए गए. इसके लिए उन्हें दिल्ली सरकार द्वारा 4.63 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. इनमें से 65,000 से अधिक परीक्षण फर्जी या हेरफेर किए हुए पाए गए. इसमें से प्रत्येक परीक्षण को करने की लागत 100 रुपये से 300 रुपये तक थी. जांच के दौरान जिन रैंडम लोगों के मोबाइल नंबर पर कॉल किए गए, उनके साथ आगे की जांच करने पर यह पता चला कि 63 प्रतिशत लोगों ने न तो कोई परीक्षण करवाया था, न ही कभी किसी मोहल्ला क्लिनिक गए. इन दो निजी प्रयोगशालाओं में मरीजों के डेटा के विश्लेषण से बड़ी खामियां सामने आई हैं.
एजिलस डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड (फरवरी 2023 से नवंबर 2023 तक किए गए टेस्ट)
- ब्लैंक मोबाइल नंबर पर 12,457 टेस्ट किए गए.
- 25,732 टेस्ट बिना मोबाइल नंबर के किए गए.
- 1,2,3,4,5 से लेकर फर्जी मोबाइल नंबर पर 913 टेस्ट किए गए.
- विभिन्न रोगियों के लिए 80 से अधिक बार दोहराए गए मोबाइल नंबरों पर 2,467 परीक्षण किए गए.
- मरीजों के पंजीकरण और एक ही मोबाइल नंबर पर परीक्षण किए गए मरीजों की संख्या के बीच भी भारी विसंगतियां पाई गईं.
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर (फरवरी 2023 से दिसंबर 2023)
- मोबाइल नंबर- 9999999999 पर विभिन्न मरीजों के 6,121 टेस्ट किए गए. पूछताछ में पता चला कि यह अवैध/नकली नंबर है.
- मोबाइल नंबर- 98217494** पर विभिन्न मरीजों के 2,399 टेस्ट किए गए. पूछताछ में पता चला कि मोबाइल नंबर धारक ने कभी कोई टेस्ट ही नहीं कराया था.
- 11,350 परीक्षण उन मोबाइल नंबरों पर किए गए, जिन्हें विभिन्न रोगियों के लिए 130 से अधिक बार दोहराया गया.
- मेट्रोपोलिस की लैब जांच में मरीजों के पंजीकरण और एक ही मोबाइल नंबर पर परीक्षण किए गए मरीजों की संख्या के बीच भी भारी विसंगतियां पाई गई हैं.
एसीबी ने दोनों निजी प्रयोगशालाओं में मरीजों के मोबाइल नंबरों का रैंडम टेली-बैरीफिकेशन भी किया, जिससे पता चला कि बड़ी संख्या में परीक्षण या तो अमान्य मोबाइल नंबरों या ऐसे मोबाइल नंबरों पर किए गए जो मरीजों से संबंधित ही नहीं थे. मरीजों की जांच से पता चला कि वे कभी भी मोहल्ला क्लिनिक में नहीं गए और न ही कोई जांच कराई.
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यह भी सामने आया है कि मरीजों के मोबाइल नंबर के नाम वाली लैब प्रबंधन सूचना प्रणाली (एलआईएमएस) भी में सुविधाजनक रूप से हेरफेर की गई थी. दो निजी प्रयोगशालाओं, एजिलस डायग्नोस्टिक लिमिटेड और मेसर्स मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड द्वारा रिपोर्ट में पाया गया है कि दो निजी विक्रेताओं के पास डेटा और सिस्टम सॉफ्टवेयर पर पूर्ण नियंत्रण और पहुंच है. इसलिए डेटा में हेरफेर की संभावना है. आउटसोर्स किए गए लैब विक्रेताओं द्वारा इससे इनकार नहीं किया जा सकता.
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