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हिमाचल में शुरू कर लिया ये काम, हो जाएंगे मालामाल, सरकार देगी 80 फीसदी अनुदान

हिमाचल में मछली पालन के लिए तालाब निर्माण पर सरकार अनुदान दे रही है. सरकार इस काम के लिए 80 फीसदी अनुदान दे रही है.

FISHERIES IN HIMACHAL
हिमाचल में मछली पालन (कॉन्सेप्ट इमेज)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 4 hours ago

शिमला: हिमाचल में युवाओं को घर द्वार पर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं. इसके लिए सरकार मदद भी कर रही है. यहां बात हो रही है मछली पालन की. मछली पालन के लिए प्रदेश सरकार किसानों को तालाब निर्माण के लिए 80 फीसदी तक अनुदान दे रही है.

इसके तहत सामान्य श्रेणियों के किसानों को 14 हेक्टेयर क्षेत्र में तालाब निर्माण के लिए 1.38 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 6 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में तालाब निर्माण के लिए 59.52 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि जल्द ही जारी की जाएगी.

इस योजना के अंतर्गत किसान अधिकतम एक हेक्टेयर भूमि पर तालाब बना सकते हैं, जिसमें तालाब का आकार न्यूनतम 500 वर्ग मीटर होगा. 500 वर्ग मीटर तालाब निर्माण के लिए 49,600 रुपये और एक हेक्टेयर तालाब निर्माण के लिए 9.92 लाख रुपये का प्रावधान है.

यहां आठ जिलों में चल रही योजना

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा मछली पालन की यह योजना प्रदेश के आठ जिलों बिलासपुर, मंडी, हमीरपुर, कांगड़ा, सोलन, सिरमौर, चंबा और ऊना में चल रही हैं. इन तालाबों में रोहू, कटला, मृगल, कॉमन कार्प और ग्रास कार्प का पालन किया जा रहा है जिनका बाजार मूल्य अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक है.

मछुआरे एक हेक्टेयर तालाब में मछली पालन करके 10.50 लाख रुपये का लाभ अर्जित कर सकते हैं. वहीं 500 वर्ग मीटर की सबसे छोटी इकाई से भी 50 हजार रुपये तक का आर्थिक लाभ हो सकता है. सीएम सुक्खू ने बताया कि प्रदेश में कार्प मछली उत्पादन पिछले वर्ष के 6,767.11 मीट्रिक टन की तुलना में बढ़कर 7,367.03 मीट्रिक टन हो गया है.

वर्तमान में करीब 2600 मछुआरे कार्प मछली पालन का कार्य कर रहे हैं. प्रदेश सरकार मछुआरों को उच्च गुणवत्ता वाली मछली के बीज उपलब्ध करवा रही है. प्रदेश में सात सरकारी कार्प मछली फार्म स्थापित किए गए हैं. प्रदेश मात्स्यिकी विभाग किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले मछली के बीज उपलब्ध करवाने के लिए अनेक कदम उठा रहा है.

किसानों को अगले साल यहां उपलब्ध होंगे बीज

सीएम सुक्खू ने कहा साल 2024 में विभाग ने नेशनल फ्रेश वाटर फिश ब्रूड बैंक, भुवनेश्वर से उन्नत अमूर कार्प बीज खरीदे हैं. इन बीजों का उपयोग सोलन जिला के नालागढ़ स्थित फिश सीड फार्म और ऊना जिला के गगरेट फिश सीड फार्म में ब्रूड स्टॉक्स विकसित करने के लिए किया जा रहा है.

अगले साल से किसानों को इन फार्मों के उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध होंगे. इनकी उत्पादन दर पारंपरिक प्रजातियों की तुलना में 20 फीसदी अधिक है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी. सरकार ने जून, 2024 में केन्द्रीय मीठा जल जीव पालन अनुसंधान संस्थान भुवनेश्वर के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए हैं.

इसके तहत जयंती रोहू और अमृत कटला प्रजातियों के उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध करवाए गए हैं. इन प्रजातियों के ब्रूड स्टॉक्स फिश सीड फार्म नालागढ़ में विकसित किए जा रहे हैं. अगले दो सालों में किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे.

इन प्रजातियों की बढ़ोतरी दर पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20 से 25 फीसदी अधिक है. इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है. किसानों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मात्स्यिकी विभाग ने जिला ऊना के गगरेट में पांच करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया है. इसके अलावा, विभाग जल्द ही जिला सोलन के नालागढ़ में कार्प फिश ब्रूड बैंक स्थापित करेगा.

ये भी पढ़ें: कर्मचारियों पर धनतेरस से पहले धन वर्षा, खाते में आएंगे 2600 करोड़, दिवाली से पहले मुंह मीठा

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शिमला: हिमाचल में युवाओं को घर द्वार पर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं. इसके लिए सरकार मदद भी कर रही है. यहां बात हो रही है मछली पालन की. मछली पालन के लिए प्रदेश सरकार किसानों को तालाब निर्माण के लिए 80 फीसदी तक अनुदान दे रही है.

इसके तहत सामान्य श्रेणियों के किसानों को 14 हेक्टेयर क्षेत्र में तालाब निर्माण के लिए 1.38 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 6 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में तालाब निर्माण के लिए 59.52 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि जल्द ही जारी की जाएगी.

इस योजना के अंतर्गत किसान अधिकतम एक हेक्टेयर भूमि पर तालाब बना सकते हैं, जिसमें तालाब का आकार न्यूनतम 500 वर्ग मीटर होगा. 500 वर्ग मीटर तालाब निर्माण के लिए 49,600 रुपये और एक हेक्टेयर तालाब निर्माण के लिए 9.92 लाख रुपये का प्रावधान है.

यहां आठ जिलों में चल रही योजना

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा मछली पालन की यह योजना प्रदेश के आठ जिलों बिलासपुर, मंडी, हमीरपुर, कांगड़ा, सोलन, सिरमौर, चंबा और ऊना में चल रही हैं. इन तालाबों में रोहू, कटला, मृगल, कॉमन कार्प और ग्रास कार्प का पालन किया जा रहा है जिनका बाजार मूल्य अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक है.

मछुआरे एक हेक्टेयर तालाब में मछली पालन करके 10.50 लाख रुपये का लाभ अर्जित कर सकते हैं. वहीं 500 वर्ग मीटर की सबसे छोटी इकाई से भी 50 हजार रुपये तक का आर्थिक लाभ हो सकता है. सीएम सुक्खू ने बताया कि प्रदेश में कार्प मछली उत्पादन पिछले वर्ष के 6,767.11 मीट्रिक टन की तुलना में बढ़कर 7,367.03 मीट्रिक टन हो गया है.

वर्तमान में करीब 2600 मछुआरे कार्प मछली पालन का कार्य कर रहे हैं. प्रदेश सरकार मछुआरों को उच्च गुणवत्ता वाली मछली के बीज उपलब्ध करवा रही है. प्रदेश में सात सरकारी कार्प मछली फार्म स्थापित किए गए हैं. प्रदेश मात्स्यिकी विभाग किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले मछली के बीज उपलब्ध करवाने के लिए अनेक कदम उठा रहा है.

किसानों को अगले साल यहां उपलब्ध होंगे बीज

सीएम सुक्खू ने कहा साल 2024 में विभाग ने नेशनल फ्रेश वाटर फिश ब्रूड बैंक, भुवनेश्वर से उन्नत अमूर कार्प बीज खरीदे हैं. इन बीजों का उपयोग सोलन जिला के नालागढ़ स्थित फिश सीड फार्म और ऊना जिला के गगरेट फिश सीड फार्म में ब्रूड स्टॉक्स विकसित करने के लिए किया जा रहा है.

अगले साल से किसानों को इन फार्मों के उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध होंगे. इनकी उत्पादन दर पारंपरिक प्रजातियों की तुलना में 20 फीसदी अधिक है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी. सरकार ने जून, 2024 में केन्द्रीय मीठा जल जीव पालन अनुसंधान संस्थान भुवनेश्वर के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए हैं.

इसके तहत जयंती रोहू और अमृत कटला प्रजातियों के उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध करवाए गए हैं. इन प्रजातियों के ब्रूड स्टॉक्स फिश सीड फार्म नालागढ़ में विकसित किए जा रहे हैं. अगले दो सालों में किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे.

इन प्रजातियों की बढ़ोतरी दर पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20 से 25 फीसदी अधिक है. इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है. किसानों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मात्स्यिकी विभाग ने जिला ऊना के गगरेट में पांच करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया है. इसके अलावा, विभाग जल्द ही जिला सोलन के नालागढ़ में कार्प फिश ब्रूड बैंक स्थापित करेगा.

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