नई दिल्ली: दिवाली पर दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद जमकर आतिशबाजी देखने को मिली. इसकी वजह से दिवाली के अगले दिन भी दिये और आतिशबाजी में बहुत से लोग झुलसकर अस्पताल पहुंचे. सफदरजंग अस्पताल में बर्न्स एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग की प्रमुख सुजाता साराबाही ने बताया कि 1 नवंबर को दिये और पटाखे से झुलसकर 67 मरीज अस्पताल पहुंचे.
सुजाता साराबाही के मुताबिक, 67 मरीजों में से छह मरीज दिये और 61 मरीज पटाखे से जलने के कारण अस्पताल पहुंचे. इनमें से 12 साल से कम उम्र के 22 और 12 साल से ज्यादा उम्र के 45 मरीज शामिल रहे. इसके अलावा, सात मरीज ऐसे भी रहे जो दिये और पटाखे से नहीं बल्कि किसी और कारण से आग से झुलसकर अस्पताल पहुंचे. अगर 67 मरीजों में महिला और पुरुष मरीजों की बात करें तो 45 पुरुष और 22 महिलाएं शामिल रहीं.
बता दें कि 30 और 31 अक्टूबर को दिल्ली में पटाखे से जलकर घायल होने वाले लोगों की संख्या 200 से ज्यादा रही. इनमें अकेले सफदरजंग अस्पताल में दो दिन में 135 मरीज पहुंचे थे. इनमें 18 मरीज 30 अक्टूबर और 117 मरीज 31 अक्टूबर को अस्पताल पहुंचे थे.
अस्पताल की प्रवक्ता पूनम ढांडा ने बताया कि 24 मरीजों को ज्यादा जलने के कारण अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती करना पड़ा. जलने वाले मरीजों में 86 मरीज पटाखों से और 31 मरीज दियों से जलने के कारण अस्पताल पहुंचे. इनमें 12 साल से कम उम्र के 20 बच्चे भी शामिल रहे. जबकि 25 महिलाएं थीं.
जानें किस अस्पताल में कितने आए मरीज:
दिल्ली एम्स में 31 अक्टूबर की रात को पटाखे से जलने कारण 48 मरीज पहुंचे. इनमें से 19 मरीजों को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ी. इनमें 11 मरीज अति गंभीर श्रेणी के थे. 48 मरीजों में से 11 की आंख में इंजुरी हुई तो वहीं 19 के हाथों में इंजुरी हुई थी. इनमें 35 मरीज दिल्ली के, पांच मरीज गुरुग्राम के और बाकी 8 मरीज एनसीआर से बाहर के थे.
इसके अलावा, आरएमएल अस्पताल में 44 मरीज पटाखे से जलने के कारण पहुंचे थे. आरएमएल अस्पताल द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार अस्पताल में दिवाली की रात पटाखा चलाने के दौरान जलने से घायल होकर 44 मरीज पहुंचे थे. अस्पताल में बर्न्स, प्लास्टिक और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शमिक भट्टाचार्य ने बताया कि 44 मरीजों में से एक मरीज की आंख में चोट थी. इनमें 38 पुरुष और 6 महिलाएं थीं. इनमें से नौ मरीजों को भर्ती करना पड़ा. इनमें तीन वयस्क रोगी, चार बच्चे और 2 किशोर शामिल रहे.
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