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Rajasthan: तीन दिवसीय ऋषि मेले का शुभारंभ, गुजरात के राज्यपाल बोले-स्वामी दयानंद के सिद्धांत वर्तमान में भी प्रासंगिक

अजमेर में तीन दिवसीय ऋषि मेले के शुभारंभ पर गुजराज के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने स्वामी दयानंद सरस्वती के सिद्धांतों को प्रासंगिक बताया.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

3 day Rishi Mela inaugurated
तीन दिवसीय ऋषि मेले का शुभारंभ (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर: महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष में शुक्रवार को ऋषि उद्यान में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने दीप प्रज्ज्वलित कर तीन दिवसीय ऋषि मेले का शुभारंभ किया. इससे पहले समारोह का विधिवत उद्घाटन सभा के प्रधान ओम मुनि ने ध्वजारोहण कर किया. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने 19वीं सदी के समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों मिटाते हुए आधुनिकता और सामाजिक न्याय का मार्ग दिखाया.

वे महिला शिक्षा, महिला स्वाभिमान, विधवा-विवाह के प्रबल समर्थक थे. स्वामी दयानंद सरस्वती ने बाल विवाह और बहुविवाह का कड़ा विरोध किया. उन्होंने विश्व में वेदों का डंका बजवाया. महर्षि दयानंद के विचार आधुनिक युग में भी प्रासंगिक हैं. राज्यपाल ने कहा कि स्वामी जी ने सामाजिक बुराइयों व कुरीतियों को दूर करने के लिए सकारात्मक भूमिका निभाई. उन्होंने पूरे समाज को मानवता का रास्ता दिखाया.

पढ़ें: Rajasthan: बड़ा बयान : घनश्याम तिवाड़ी बोले- जनसंख्या असंतुलन बम से भी ज्यादा घातक और विस्फोटक

गुरुकुल शिक्षा पर दिया जोर: गुजरात के राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि बच्चे राष्ट्र और माता-पिता की सेवा करें. ऐसी शिक्षा गुरुकुलों में दी जाती है. वर्तमान में बच्चों को दूषित वातावरण से बचाने की चुनौती है. राज्यपाल ने इसका समाधान बताते हुए कहा कि गुरुकुलीय पद्धति से ही बच्चों को संस्कारित किया जा सकता है. अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि मैंने अपनी बेटी को कॉन्वेंट स्कूल में भेजने की बजाय गुरुकुल में पढ़ाया है. अब पोते को भी वहीं पर पढ़ने की तैयारी चल रही है. उन्होंने किसानों को भी आव्हान करते हुए कहा कि वे रासायनिक खेती के बजाए प्राकृतिक खेती को अपनाएं.

पढ़ें: राजस्थानः ऋषि मेले में रोमांचित कर रही 28 किलो वजनी दिव्य वेद वाणी, पुस्तक में चारों वेदों का तेलुगू भाषा में है अनुवाद

विधानसभा अध्यक्ष बोले केईएम का बदला जाएगा नाम: समारोह के दौरान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम बदला जाएगा. भविष्य में अब इसे महर्षि दयानंद सरस्वती के नाम से जाना जाएगा. गौरतलब है कि 1901 में किंग एडवर्ड के अजमेर आगमन से पहले इसका निर्माण किया गया था. तब से ही इसे केईएम नाम से जाना जाता है. इस इमारत को हेरिटेज का दर्जा हासिल है. फिलहाल यह भवन जिला प्रशासन के अधीन है. इसमें 30 कमरों के होटल का संचालन हो रहा है.

पढ़ें: Dayanand Saraswati birth anniversary : जयपुर में महिलाओं का यज्ञोपवीत संस्कार, आचार्य देवव्रत बोले- समाज को आगे बढ़ाना है तो लेना होगा सोशल मीडिया का सहारा

राजस्थान के राज्यपाल बागड़े कल आएंगे: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े शनिवार को अजमेर आएंगे. वे इस मेले में मुख्य अतिथि होंगे. वे आर्य समाज और राजनीति पर होने वाले सम्मेलन में विचार रखेंगे. आर्य समाज और सोशल मीडिया विषय पर विचार मंथन किया जाएगा. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सूचना आयुक्त हरियाणा डॉ कुलबीर छिकारा होंगे. शाम को आर्यवीर दल की ओर से व्यायाम प्रदर्शन किया जाएगा. आर्य समाज के गुरुकुल दशा और दिशा पर सम्मेलन आयोजित होगा.

ये अतिथि रहे मौजूद: परोपकारिणी सभा की ओर से आयोजित समारोह में विशिष्ट अतिथि केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, राज्यसभा सदस्य घनश्याम तिवाड़ी, चैयरमेन जेबीएम ग्रुप दिल्ली के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार, दिल्ली पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ योगानन्द शास्त्री, अजमेर दक्षिण विधायक अनिता भदेल मौजूद रहीं. वहीं देशभर से आर्यजगत के साधु-संन्यासी, विद्वान एवं अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे. इस दौरान वेद मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ हुआ. संगोष्ठी में दयानंद और आर्य समाज की शिक्षाओं पर चर्चा हुई.

अजमेर: महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष में शुक्रवार को ऋषि उद्यान में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने दीप प्रज्ज्वलित कर तीन दिवसीय ऋषि मेले का शुभारंभ किया. इससे पहले समारोह का विधिवत उद्घाटन सभा के प्रधान ओम मुनि ने ध्वजारोहण कर किया. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने 19वीं सदी के समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों मिटाते हुए आधुनिकता और सामाजिक न्याय का मार्ग दिखाया.

वे महिला शिक्षा, महिला स्वाभिमान, विधवा-विवाह के प्रबल समर्थक थे. स्वामी दयानंद सरस्वती ने बाल विवाह और बहुविवाह का कड़ा विरोध किया. उन्होंने विश्व में वेदों का डंका बजवाया. महर्षि दयानंद के विचार आधुनिक युग में भी प्रासंगिक हैं. राज्यपाल ने कहा कि स्वामी जी ने सामाजिक बुराइयों व कुरीतियों को दूर करने के लिए सकारात्मक भूमिका निभाई. उन्होंने पूरे समाज को मानवता का रास्ता दिखाया.

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गुरुकुल शिक्षा पर दिया जोर: गुजरात के राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि बच्चे राष्ट्र और माता-पिता की सेवा करें. ऐसी शिक्षा गुरुकुलों में दी जाती है. वर्तमान में बच्चों को दूषित वातावरण से बचाने की चुनौती है. राज्यपाल ने इसका समाधान बताते हुए कहा कि गुरुकुलीय पद्धति से ही बच्चों को संस्कारित किया जा सकता है. अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि मैंने अपनी बेटी को कॉन्वेंट स्कूल में भेजने की बजाय गुरुकुल में पढ़ाया है. अब पोते को भी वहीं पर पढ़ने की तैयारी चल रही है. उन्होंने किसानों को भी आव्हान करते हुए कहा कि वे रासायनिक खेती के बजाए प्राकृतिक खेती को अपनाएं.

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विधानसभा अध्यक्ष बोले केईएम का बदला जाएगा नाम: समारोह के दौरान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम बदला जाएगा. भविष्य में अब इसे महर्षि दयानंद सरस्वती के नाम से जाना जाएगा. गौरतलब है कि 1901 में किंग एडवर्ड के अजमेर आगमन से पहले इसका निर्माण किया गया था. तब से ही इसे केईएम नाम से जाना जाता है. इस इमारत को हेरिटेज का दर्जा हासिल है. फिलहाल यह भवन जिला प्रशासन के अधीन है. इसमें 30 कमरों के होटल का संचालन हो रहा है.

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राजस्थान के राज्यपाल बागड़े कल आएंगे: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े शनिवार को अजमेर आएंगे. वे इस मेले में मुख्य अतिथि होंगे. वे आर्य समाज और राजनीति पर होने वाले सम्मेलन में विचार रखेंगे. आर्य समाज और सोशल मीडिया विषय पर विचार मंथन किया जाएगा. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सूचना आयुक्त हरियाणा डॉ कुलबीर छिकारा होंगे. शाम को आर्यवीर दल की ओर से व्यायाम प्रदर्शन किया जाएगा. आर्य समाज के गुरुकुल दशा और दिशा पर सम्मेलन आयोजित होगा.

ये अतिथि रहे मौजूद: परोपकारिणी सभा की ओर से आयोजित समारोह में विशिष्ट अतिथि केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, राज्यसभा सदस्य घनश्याम तिवाड़ी, चैयरमेन जेबीएम ग्रुप दिल्ली के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार, दिल्ली पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ योगानन्द शास्त्री, अजमेर दक्षिण विधायक अनिता भदेल मौजूद रहीं. वहीं देशभर से आर्यजगत के साधु-संन्यासी, विद्वान एवं अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे. इस दौरान वेद मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ हुआ. संगोष्ठी में दयानंद और आर्य समाज की शिक्षाओं पर चर्चा हुई.

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