शिमला: हिमाचल में सेब सीजन अब समाप्ति की तरफ है. 20 नवंबर तक सेब सीजन पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा. प्रदेश सहित देश की विभिन्न मंडियों में 30 अक्टूबर तक यूनिवर्सल कार्टन में 2,07,58,027 पेटियां भेजी जा चुकी हैं. ऐसे में प्रदेश में इस साल लगाए गए अनुमान से सेब उत्पादन कम रहने के आसार नजर आ रहे हैं. बागवानी विभाग ने इस साल सेब उत्पादन 2.91 करोड़ पेटियों का अनुमान लगाया है.
इस तरह से अभी तक मंडियों में अनुमान से करीब 84 लाख पेटियां मंडियों में कम पहुंची है. अब केवल किन्नौर सहित जिला शिमला में बहुत अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब सीजन अंतिम चरण चल रहा है. ऐसे में प्रदेश में सेब सीजन अनुमान से कम रहने के आसार दिख रहे हैं.
सेब पर पड़ी मौसम की मार
छोटे पहाड़ी राज्य में मौसम में लगातार हो रहे बदलाव का असर सेब के उत्पादन पर दिख रहा है. देशभर में फल राज्य के नाम से विख्यात हिमाचल में पहले सर्दियों के मौसम में अच्छी बारिश और बर्फबारी नहीं हुई, जिससे सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हो पाए. इसके बाद फ्लावरिंग के समय मौसम खराब रहा और तापमान में उतार चढ़ाव के चलते फ्रूट सेटिंग प्रभावित हुई. वहीं, गर्मियों में समय पर बारिश न होने के कराण सेब का साइज और क्वालिटी पर भी असर पड़ा है, जिसका असर सेब का उत्पादन पर पड़ा है. हालांकि सेब का वास्तविक आंकड़ा सेब सीजन समाप्त होने पर ही सामने आएगा.
5 हजार करोड़ की आर्थिकी
हिमाचल में सेब आर्थिकी 5 हजार करोड़ की हैं. प्रदेश में कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जुलाई महीने में सेब सीजन शुरू होता है, जो 20 नवंबर तक चलता है. प्रदेश में सभी 12 जिलों शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी, चंबा, सिरमौर, लाहौल स्पीति, कांगड़ा, सोलन, बिलासपुर, हमीरपुर और ऊना में सेब हो रहा है, लेकिन सबसे अधिक सेब उत्पादन जिला शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी, चंबा और सिरमौर जिले में होता हैं. हिमाचल का सेब देशभर में मिठास के लिए जाना जाता हैं. यहां से दिल्ली, मुंबई, मद्रास, कलकत्ता, अहमदाबाद, चंडीगढ़ आदि बड़े शहरों की मंडियों में भेजा जाता है.
अभी मंडियों में पहुंची इतनी पेटियां
हिमाचल में सेब सीजन समाप्ति की ओर है. अब केवल किन्नौर सहित कुछेक बहुत ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही सेब सीजन अंतिम चरण में चल रहा है. बागवानी विभाग के मुताबिक प्रदेश सहित देश की विभिन्न मंडियों में 30 अक्टूबर तक 2,07,58,027 पेटियां सेब की पहुंची हैं. इसमें प्रदेश में स्थित विभिन्न मंडियों में 1,17,35,985 पेटियां और बाहरी राज्यों की मंडियों में 99,22,042 पेटियां सेब पहुंचा है. ये सेब यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो की पैकिंग में मंडियों में भेजा गया है. ऐसे में अगर पेटियों के हिसाब से देखा जाए तो पिछले साल के मुकाबले में अभी तक 28,99,725 अधिक पेटियां मंडियों में पहुंची है. वहीं साल 2023 में 30 अक्टूबर तक मंडियों में 1,78,58,302 पेटियां सेब पहुंच चुका था. जो 24 किलो पैकिंग में भेजी गई थी. उस दौरान प्रदेश की विभिन्न मंडियों में 88,80,862 और बाहरी राज्यों की मंडियों में 89,77,440 पेटियां सेब पहुंचा था.
13,439 मीट्रिक टन कम सेब
प्रदेश में अगर मीट्रिक टन के हिसाब से सेब उत्पादन देखा जाए तो अब तक मंडियों में 4,15,160 मीट्रिक टन सेब प्रदेश सहित देश की विभिन्न मंडियों में भेजा जा चुका हैं. जो पिछले साल की तुलना में 13,439 मीट्रिक टन कम है. वहीं साल 2023 में 30 अक्टूबर तक 4,28,599 मीट्रिक टन सेब मंडियों में पहुंचा था.
इस बार इतनी सेब पेटियों का अनुमान
प्रदेश भर में सेब पैदा करने वाले जिलों से प्राप्त हुई रिपोर्ट के मुताबिक इस बार 2,91,42,800 पेटियां सेब उत्पादन रहने का अनुमान लगाया गया है. इसमें सबसे अधिक सेब जिला शिमला में 1,60,99,550 पेटियां होने की संभावना है. प्रदेश में सबसे ज्यादा सेब जिला शिमला में ही होता है. इसके अलावा कुल्लू जिले में 62,70,600 सेब पेटियां और किन्नौर जिले में 33,32,200 सेब की पेटियां होने का अनुमान है. वहीं, मंडी जिले में 24,47,250 सेब पेटियां, चंबा जिले में 5,98,150 पेटियां, सिरमौर जिले में 3,09,400 पेटियां, लाहौल स्पीति जिले में 64,050 सेब पेटियां, कांगड़ा में जिले 15,000 सेब पेटियां, सोलन जिले में 4,900 सेब पेटियां, बिलासपुर जिले में 1300 सेब पेटियां, हमीरपुर जिले में 350 सेब पेटियां और ऊना जिले में सबसे कम 50 पेटियां सेब उत्पादन रहने का अनुमान लगाया गया है.
2010 से 2023 तक सेब का उत्पादन
साल | उत्पादन (पेटियां) |
2010 | 5.11 करोड़ |
2011 | 1.38 करोड़ |
2012 | 1.84 करोड़ |
2013 | 3.69 करोड़ |
2014 | 2.80 करोड़ |
2015 | 3.88 करोड़ |
2016 | 2.40 करोड़ |
2017 | 2.08 करोड़ |
2018 | 1.65 करोड़ |
2019 | 3.24 करोड़ |
2020 | 2.40 करोड़ |
2021 | 3.5 करोड़ |
2022 | 3.36 करोड़ |
2023 | 2.11 करोड़ |
जिला शिमला के बखौल गांव के प्रगतिशील बागवान संजीव चौहान ने बताया, 'मौसम की मार से इस बार सेब उत्पादन कम है.उनका कहना है कि मौसम की वजह से इस बार 70 फीसदी सेब डी ग्रेड की श्रेणी का है.जिसके बागवानों को मंडियों में बहुत कम रेट मिले हैं.सिर्फ 30 फीसदी सेब अच्छी गुणवत्ता का है, जो मंडियों में 3 हजार रुपए से अधिक बिका हैं.मंडियों में 15 अगस्त तक की सेब के रेट अच्छे रहे.इसके बाद मंडियों में दाम एक दम से गिर गए थे.'
बागवानी विभाग के संयुक्त निदेशक हेमचंद का कहना है कि, 'प्रदेश में 20 नवंबर तक सेब सीजन समाप्त हो जाता है. 30 अक्टूबर तक मंडियों में सेब की 2.07 करोड़ पेटियां भेजी जा चुकी हैं.'