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Delhi: 'जहरीली हवा' में मासूमों का घुट रहा दम ! नोएडा में 1 से 3 साल के बच्चे सबसे ज्यादा बीमार, अस्पतालों में बढ़ी भीड़

-छोटे बच्चों में बढ़ रही सांस संबंधी समस्याएं -1 से 3 साल तक के बच्चे ज्यादा बीमार -नोएडा चाइल्ड पीजीआई में बढ़ रहे केस

NOIDA AIR POLLUTION IS HARMING CHILDREN UNDER AGE OF 3 YEARS
छोटे बच्चों में बढ़ रही सांस संबंधी समस्याएं (SOURCE: IANS)
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By IANS

Published : Oct 25, 2024, 2:04 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के चलते लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को परेशानी हो रही है. नोएडा में सुबह से दोपहर तक धुंध छाई रहती है. ऐसे में सांस लेने की दिक्कत के चलते 1 से 3 साल तक की उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में पहुंच रहे हैं. चाइल्ड पीजीआई के डॉक्टरों के मुताब‍िक बीते एक हफ्ते में ही सांस संबंधी बीमारी से परेशान होकर अस्पताल पहुंचने वाले बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है. डॉक्टरों का कहना है कि अभी स्थिति और भी बदतर होने वाली है. ऐसे में बच्चों और बुजुर्गों को काफी ज्यादा एहतियात बरतना होगा, उन्हें बेवजह घर से भी बाहर निकलने से परहेज करना होगा.

आने वाले दिनों में और मुश्किल हो सकते हैं हालात-एक्सपर्ट्स

प्रदूषण विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में वायु प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है. अधिकारियों ने चिंता जताई है कि एक्यूआई 400 के पार पहुंचने की उम्मीद है. उनका कहना है कि महज एक हफ्ते पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा की आबोहवा काफी बेहतर थी. ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई येलो और नोएडा का एक्यूआई ग्रीन जोन में था. लेकिन बीते कुछ दिनों में दोनों शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है. ग्रेप लागू होने के बावजूद भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बढ़ते एक्यूआई के आंकड़े पर लगाम नहीं लगाई जा पा रही है.

GRAP का नहीं दिख रहा असर

गौरतलब है कि ग्रेटर नोएडा में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. सड़कों पर धूल उड़ रही है. जगह-जगह कूड़ा भी जलाया जा रहा है. लेकिन जिम्मेदार लोग रोकथाम के उपाय नहीं कर रहे हैं. उधर, नोएडा प्राधिकरण ने प्रदूषण से बचाव के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट साइट पर कई एंटी स्मॉग गन लगाया है. प्राधिकरण के मुताबिक वॉटर स्प्रिंकलर मशीनों से पानी का छिड़काव किया जा रहा है, इसके अलावा रोजाना औसतन 20 किलो धूल सड़क से हटाई जा रही है, वही 12 मैकेनिक स्विपिंग मशीनों से रोजाना 340 किलोमीटर सड़कों की सफाई हो रही है.

गौर करने वाली बात ये है कि सुबह के वक्त नोएडा-ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में धुंध की चादर देखने को मिलने लगी है. प्रशासन चाहे लाख बड़े-बड़े दावे और वादे करे, लेकिन हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है. जब तेज हवा चलती है, तभी हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है. एक्यूआई काफी कम हो जाता है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता, तो प्रशासन के दावे और वादे खोखले साबित होते हैं. क्योंकि एक्यूआई लाल निशान के पार ही रहता है.

ये भी पढ़ें- प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए दिल्ली में लागू हो सकता है ऑड-ईवन, खराब श्रेणी में AQI

ये भी पढ़ें- दिवाली से पहले दिल्ली NCR में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, नवंबर में क्या रहेंगे हालात, जानिए विशेषज्ञों की राय

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के चलते लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को परेशानी हो रही है. नोएडा में सुबह से दोपहर तक धुंध छाई रहती है. ऐसे में सांस लेने की दिक्कत के चलते 1 से 3 साल तक की उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में पहुंच रहे हैं. चाइल्ड पीजीआई के डॉक्टरों के मुताब‍िक बीते एक हफ्ते में ही सांस संबंधी बीमारी से परेशान होकर अस्पताल पहुंचने वाले बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है. डॉक्टरों का कहना है कि अभी स्थिति और भी बदतर होने वाली है. ऐसे में बच्चों और बुजुर्गों को काफी ज्यादा एहतियात बरतना होगा, उन्हें बेवजह घर से भी बाहर निकलने से परहेज करना होगा.

आने वाले दिनों में और मुश्किल हो सकते हैं हालात-एक्सपर्ट्स

प्रदूषण विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में वायु प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है. अधिकारियों ने चिंता जताई है कि एक्यूआई 400 के पार पहुंचने की उम्मीद है. उनका कहना है कि महज एक हफ्ते पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा की आबोहवा काफी बेहतर थी. ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई येलो और नोएडा का एक्यूआई ग्रीन जोन में था. लेकिन बीते कुछ दिनों में दोनों शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है. ग्रेप लागू होने के बावजूद भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बढ़ते एक्यूआई के आंकड़े पर लगाम नहीं लगाई जा पा रही है.

GRAP का नहीं दिख रहा असर

गौरतलब है कि ग्रेटर नोएडा में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. सड़कों पर धूल उड़ रही है. जगह-जगह कूड़ा भी जलाया जा रहा है. लेकिन जिम्मेदार लोग रोकथाम के उपाय नहीं कर रहे हैं. उधर, नोएडा प्राधिकरण ने प्रदूषण से बचाव के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट साइट पर कई एंटी स्मॉग गन लगाया है. प्राधिकरण के मुताबिक वॉटर स्प्रिंकलर मशीनों से पानी का छिड़काव किया जा रहा है, इसके अलावा रोजाना औसतन 20 किलो धूल सड़क से हटाई जा रही है, वही 12 मैकेनिक स्विपिंग मशीनों से रोजाना 340 किलोमीटर सड़कों की सफाई हो रही है.

गौर करने वाली बात ये है कि सुबह के वक्त नोएडा-ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में धुंध की चादर देखने को मिलने लगी है. प्रशासन चाहे लाख बड़े-बड़े दावे और वादे करे, लेकिन हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है. जब तेज हवा चलती है, तभी हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है. एक्यूआई काफी कम हो जाता है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता, तो प्रशासन के दावे और वादे खोखले साबित होते हैं. क्योंकि एक्यूआई लाल निशान के पार ही रहता है.

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