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एशियाई चैंपियन हॉकी टीम की सदस्य मनीषा चौहान का गांव पहुंचने पर भव्य स्वागत, चीन को हराने पर बरसे फूल

भारतीय हॉकी प्लेयर मनीषा चौहान का ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत, पेरेंट्स से बोली- बच्चों को खेल और पढ़ाई में फुल सपोर्ट कीजिए

HOCKEY PLAYER MANISHA CHAUHAN
एशियाई चैंपियन हॉकी टीम की सदस्य मनीषा चौहान (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 6 hours ago

हरिद्वार: चीन को शिकस्त देकर महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद उत्तराखंड की बेटी मनीषा चौहान अपने घर हरिद्वार पहुंचीं. मनीषा के गांव श्यामपुर कांगड़ी में उनका भव्य स्वागत हुआ. उनके परिवारजनों और ग्राम वासियों ने स्वागत के लिए जगह-जगह बैनर लगाए थे. मनीषा जैसे ही गांव पहुंची, ढोल-नगाड़ों के साथ फूल बरसाकर उनका भव्य स्वागत हुआ.

एशियाई चैंपियन बेटी पहुंची घर: मनीषा के गांव वालों को गले लगाया. गांव पहुंचते ही वो सीधे भगवान भोलेनाथ के मंदिर गईं. भोलेनाथ को एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीतने पर शीश नवाया और जल चढ़ाया. इसके बाद मनीष चौहान अपने परिजनों और गांव वालों से मिली. इस दौरान ग्रामवासियों का उत्साह देखते ही बन रहा था.

भारतीय हॉकी खिलाड़ी मनीषा चौहान का गांव पहुंचने पर भव्य स्वागत (VIDEO- ETV Bharat)

घर पहुंचने पर मनीषा चौहान का भव्य स्वागत: हॉकी चैंपियन मनीषा चौहान का कहना है कि इससे ज्यादा खुशी की बात और कोई नहीं हो सकती है कि मेरे सारे घर परिवार वाले और गांव वाले इकट्ठे होकर के मेरा स्वागत कर रहे हैं. एक खिलाड़ी को इससे ज्यादा कुछ नहीं. चाहिए. उन्होंने कहा कि एक गांव से गांव से निकलकर देश का नाम रोशन करना गर्व महसूस कराता है. मनीषा ने कहा कि एशियन चैंपियंस ट्रॉफी का हर मैच मेरे लिए नया था. मैंने हर दिन अपने खेल में सुधार किया. आगे भी मैं ऐसा ही फोकस करती रहूंगी.

मनीषा ने बताया फाइनल के अंतिम क्षणों का अनुभव: चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल बहुत टफ मैच था. अंतिम क्षणों तक खिलाड़ी फाइनल का दबाव महसूस कर रहे थे. एक गोल की लीड लेने के बाद हमारा फोकस इस बात पर था कि इसे लीड को कैसे मेंटेन रखा जाए. लेकिन हर खिलाड़ी ने मन में ठान रखा था कि गोल्ड मेडल लेकर ही जाना है. सभी का इसी पर फोकस था.

मनीषा की युवा खिलाड़ियों को सलाह: हरिद्वार से पहले वंदना कटारिया और अब मनीष चौहान दो खिलाड़ी देश को मिले हैं. अब मनीषा महिला हॉकी में देश का नाम रोशन कर रही है. मनीषा ने कहा कि चाहे वंदना दीदी हों या मैं, हमारा एक ही मोटिव है कि हमारी तरह और भी लड़कियां खेल में निकलें. हमारे उत्तराखंड का नाम और ऊंचा हो. मैं सभी खिलाड़ियों से कहना चाहती हूं कि मेहनत करिए और ऐसे ही सफलता मिलेगी. पेरेंट्स को भी चाहिए कि अपने बच्चों को जितना सपोर्ट कर सकते हैं आप सपोर्ट करिए. मुझे लगता है कि पढ़ाई के साथ-साथ और खेल के साथ पढ़ाई भी बहुत जरूरी है.

मनीषा के पिता खुश: मनीषा चौहान के पिता ज्ञान सिंह का कहना है कि बहुत अच्छा लग रहा है. खुशी का माहौल है. पूरे गांव में सभी लोग बधाई देने के लिए पहुंचे हैं. बेटी का जिस तरह से स्वागत हो रहा है, देखकर अच्छा लग रहा है. हमारे साथ सब लोग बहुत खुश हैं. पिछड़े गांव से एक लड़की इंडिया टीम तक पहुंच गई, यह बहुत बड़ी बात है. मनीषा ने काफी मेहनत की है.

कौन हैं मनीषा चौहान? मनीषा चौहान भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य हैं. वो उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के श्यामपुर कांगड़ी की रहने वाली हैं. मनीषा ने 25 साल की उम्र में सीनियर महिला हॉकी टीम में प्रवेश किया. वो मिडफील्डर हैं. 2016 में मनीषा चौहान राष्ट्रीय जूनियर महिला हॉकी चैंपियनशिप में उत्तराखंड की टीम की कप्तान रह चुकी हैं.
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एशियाई चैंपियन बेटी पहुंची घर: मनीषा के गांव वालों को गले लगाया. गांव पहुंचते ही वो सीधे भगवान भोलेनाथ के मंदिर गईं. भोलेनाथ को एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीतने पर शीश नवाया और जल चढ़ाया. इसके बाद मनीष चौहान अपने परिजनों और गांव वालों से मिली. इस दौरान ग्रामवासियों का उत्साह देखते ही बन रहा था.

भारतीय हॉकी खिलाड़ी मनीषा चौहान का गांव पहुंचने पर भव्य स्वागत (VIDEO- ETV Bharat)

घर पहुंचने पर मनीषा चौहान का भव्य स्वागत: हॉकी चैंपियन मनीषा चौहान का कहना है कि इससे ज्यादा खुशी की बात और कोई नहीं हो सकती है कि मेरे सारे घर परिवार वाले और गांव वाले इकट्ठे होकर के मेरा स्वागत कर रहे हैं. एक खिलाड़ी को इससे ज्यादा कुछ नहीं. चाहिए. उन्होंने कहा कि एक गांव से गांव से निकलकर देश का नाम रोशन करना गर्व महसूस कराता है. मनीषा ने कहा कि एशियन चैंपियंस ट्रॉफी का हर मैच मेरे लिए नया था. मैंने हर दिन अपने खेल में सुधार किया. आगे भी मैं ऐसा ही फोकस करती रहूंगी.

मनीषा ने बताया फाइनल के अंतिम क्षणों का अनुभव: चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल बहुत टफ मैच था. अंतिम क्षणों तक खिलाड़ी फाइनल का दबाव महसूस कर रहे थे. एक गोल की लीड लेने के बाद हमारा फोकस इस बात पर था कि इसे लीड को कैसे मेंटेन रखा जाए. लेकिन हर खिलाड़ी ने मन में ठान रखा था कि गोल्ड मेडल लेकर ही जाना है. सभी का इसी पर फोकस था.

मनीषा की युवा खिलाड़ियों को सलाह: हरिद्वार से पहले वंदना कटारिया और अब मनीष चौहान दो खिलाड़ी देश को मिले हैं. अब मनीषा महिला हॉकी में देश का नाम रोशन कर रही है. मनीषा ने कहा कि चाहे वंदना दीदी हों या मैं, हमारा एक ही मोटिव है कि हमारी तरह और भी लड़कियां खेल में निकलें. हमारे उत्तराखंड का नाम और ऊंचा हो. मैं सभी खिलाड़ियों से कहना चाहती हूं कि मेहनत करिए और ऐसे ही सफलता मिलेगी. पेरेंट्स को भी चाहिए कि अपने बच्चों को जितना सपोर्ट कर सकते हैं आप सपोर्ट करिए. मुझे लगता है कि पढ़ाई के साथ-साथ और खेल के साथ पढ़ाई भी बहुत जरूरी है.

मनीषा के पिता खुश: मनीषा चौहान के पिता ज्ञान सिंह का कहना है कि बहुत अच्छा लग रहा है. खुशी का माहौल है. पूरे गांव में सभी लोग बधाई देने के लिए पहुंचे हैं. बेटी का जिस तरह से स्वागत हो रहा है, देखकर अच्छा लग रहा है. हमारे साथ सब लोग बहुत खुश हैं. पिछड़े गांव से एक लड़की इंडिया टीम तक पहुंच गई, यह बहुत बड़ी बात है. मनीषा ने काफी मेहनत की है.

कौन हैं मनीषा चौहान? मनीषा चौहान भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य हैं. वो उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के श्यामपुर कांगड़ी की रहने वाली हैं. मनीषा ने 25 साल की उम्र में सीनियर महिला हॉकी टीम में प्रवेश किया. वो मिडफील्डर हैं. 2016 में मनीषा चौहान राष्ट्रीय जूनियर महिला हॉकी चैंपियनशिप में उत्तराखंड की टीम की कप्तान रह चुकी हैं.
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