पानीपत: भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा पहले ही प्रयास में भाला फेंक के फाइनल में क्वालीफाई गये हैं. नीरज ने 89.34 मीटर फेंका है. नीरज के इस बेहतरीन प्रदर्शन से एक बार फिर पूरे देश को उनसे गोल्ड़ की उम्मीद है. नीरज चोपड़ा के बेहतरीन प्रदर्शन से उनके परिवार वाले भी काफी खुश हैं. उनके पिता और दादा ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि नीरज टोक्यो की तरह पेरिस में भी गोल्ड जीतेगा.
हमें उम्मीद है बेटा निराश नहीं करेगा- पिता
नीरज चोपड़ा हरियाणा के रहने वाले हैं. पानीपत जिले के खंडरा गांव के रहने वाले हैं. फाइनल में पहुचने के बाद उनके पिता सुभाष चोपड़ा ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि बेटा इस बार भी गोल्ड मेडल लाकर पूरे देश को खुशी का मौका देगा. उन्होंने कहा कि 3 दिन पहले नीरज से बात हुई थी. उसने कहा था कि शरीर अच्चा काम कर रहा है. उम्मीद है कि इस बार भी टोक्यो ओलंपिक का इतिहास मैं दोहरा पाउंगा. टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर भाला फेंककर गोल्ड मेडल जीता था.
पूरे देश को खुशी का मौका देगा पोता- दादा
वहीं नीरज चोपड़ा के दादा ने कहा कि पोते के प्रदर्शन से पूरा परिवार खुश है. हमे अच्छा लगता है कि वो पूरे देश को खुश होने का मौका देता है. मेडल जीतने की उम्मीद पर उन्होंने कहा कि हमें तो पूरा भरोसा है कि वो गोल्ड जीतेगा लेकिन भगवान की मर्जी. जो भी मेडल आयेगा वो खुशी से स्वीकार करेंगे. नीरज के दादा मैज के दौरान उनसे बात नहीं करते. उन्होंने कहा कि पूरे परिवार से बात होती है लेकिन वो अपने पोते से तभी बात करते हैं जब वो घर लौटता है.
8 अगस्त को नीरज का फाइनल मुकाबला
नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में अब तक का अपना सबसे बेस्ट थ्रो किया है. टोक्यो ओलंपिक के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने क्वालीफिकेशन राउंड में 89.34 मीटर फेंकते हुए फाइनल में जगह बना ली है. नीरज के इस बेहतरीन प्रदर्शन ने उनके घर पानीपत में एक बार फिर खुशी की लहर दौड़ गई. हरियाणा समेत पूरा देश एक बार फिर नीरज से गोल्ड मेडल की उम्मीद कर रहा है. नीरज का फाइनल मैच 8 अगस्त को होगा.
वजन कम करने स्टेडियम गये थे नीरज, बन गये हीरो
नीरज चोपड़ा पानीपत के खंडरा गांव के रहने वाले हैं. उनकी सफलता की कहानी काफी प्रेरणादयक है. खात बात ये है कि बचपन में बहुत मोटे थे. वेट कम करने और फिट रहने के लिए वो स्टेडियम गये थे. जहां उन्हें पहली बार जैवलिन थ्रो के बारे में पता चला. उन्होंने भाला फेंकने की शुरुआती ट्रेनिंग पानीपत में ही ली. जब अच्छा खेलने लगे तब पंचकूला गये और उसके बाद विदेश में भी ट्रेनिंग ली. टोक्यो ओलंपिक 2020 में में गोल्ड जीतकर वो पूरे देश के हीरो बन गये.
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