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विनेश फोगाट तो कुछ नहीं, इस एथलीट के साथ जो हुआ वह आपको झिंझोड़ देगा - Heart Broken Story of Paralympic

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By ETV Bharat Sports Team

Published : Sep 10, 2024, 7:57 PM IST

Vinesh Phogat : पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट के कहानी को पूरी दुनिया जानती है आज हम आपको पैरालंपिक की ऐसी कहानी सुनाएंगे जो आपको झंझोर सकती है. इसके सामने ऐसा लगता है कि विनेश फोगाट का दर्द कम है. पढ़ें पूरी खबर...

Paris Paralympics 2024
विनेश फोगाट (IANS PHOTO)

नई दिल्ली : पेरिस ओलंपिक भारत के लिए किसी बड़े विवाद से कम नहीं रहा है. भारत का रेसलिंग में एक सिल्वर पदक तब पक्का हो गया था जब पहलवान विनेश फोगाट ने महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में एंट्री की. उसके बाद यह तो तय था कि अगर विनेश फोगाट फाइनल में हार भी जाती हैं तो सिल्वर मेडल पक्का है लेकिन अगली सुबह कुछ ऐसा हुआ कि पूरा देश स्तब्ध रह गया.

विनेश को फाइनल में पहुंचने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया और उसके बाद वह किसी भी मेडल की हकदार नहीं रही. इसके बाद अब पैरालंपिक में ऐसा ही घटना सामने आई है लेकिन यह घटना विनेश फोगाट से कहीं ज्यादा दिल तोड़ने वाली हो सकती है इसके बाद तो विनेश फोगाट का दर्द कम लगने लगा.

सोचिए अगर आप अपनी सालों की मेहनत लगन के बूते स्वर्ण पदक जीत चुके हों और उसका जश्न मनाने के बाद आपको मालूम चले कि आप को डिस्क्वालीफाई कर दिया गया है और आप अब किसी भी पदक के हकदार नहीं है तो क्या होगा. ऐसा ही हुआ ईरान के एथलीट के साथ जो चर्चा का विषय बन गया.

8 सितंबर को खत्म हुए पेरिस पैरालिंपिक में उस समय हैरान कर देने वाला ड्रामा सामने आया जब ईरानी एथलीट को स्वर्ण पदक जीतने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया और रजत पदक जीतने वाले भारतीय एथलीट को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. दरअसल, 2024 पैरालिंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने के बावजूद ईरान के एथलीट सादिक बैत सयाह को धार्मिक झंडा लहराने के कारण स्वर्ण पदक गंवाना पड़ा. उन्होंने जेवलिन थरूर ने F41 वर्ग में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता.

लेकिन वह उत्साह में होश खो बैठे और पहले स्थान पर रहने के बाद एक धार्मिक झंडा लहराया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कोई पदक नहीं मिला और पहले स्थान पर रहने के बाद भी उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. बता दें कि ईरानी पैरा-एथलीट ने 47.64 मीटर भाला फेंककर नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया था, जबकि भारतीय पैरा-एथलीट नवदीप सिंह ने 47.32 मीटर भाला फेंका था.

अब सवाल यह है कि किस झंडे ने ईरानी एथलीट को अयोग्य ठहराया. दरअसल, गोल्ड मेडल जीतने के तुरंत बाद सादिक बैत ने काले कपड़े पर अरबी में लिखा झंडा निकाला और उसे दिखाना शुरू कर दिया. जबकि पैरा-एथलेटिक्स में किसी भी एथलीट को अपने देश के झंडे के अलावा कोई विशेष प्रतीक प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है, जिसके कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया.

कुछ इस तरह का किस्सा विनेश फोगाट के साथ हुआ था उन्हें फाइनल मैच से पहले उनका वजन निर्धारित वजन से 100 ग्राम ज्यादा हो गया जिसके कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. इस घटना ने उन्हें इतना तोड़ दिया कि उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति की भी घोषणा की (उन्होंने खेल पंचाट में अपील की) लेकिन वहां भी उनकी अपील खारिज कर दी गई.

मोबाइल रखने पर भी हुए बैन
इससे पहले इतालवी खिलाड़ी को मोबाइल फोन रखने के कारण भी अयोग्य घोषित कर दिया गया था. रोइंग इवेंट के दौरान बोर्ड पर मोबाइल फोन रखने का दोषी पाए जाने के बाद एक इतालवी एथलीट को पेरिस पैरालिंपिक से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। जिसके कारण उन्हें कांस्य पदक भी गंवाना पड़ा.

पैरालंपिक समिति का सिद्धांत क्या है?
पैरालंपिक वेबसाइट के मुताबिक, ईरानी एथलीट सादिक बेतसायाह ने आचार संहिता के नियम 8.1 का उल्लंघन किया है. यह संहिता पैरा-एथलेटिक्स के खेल में सत्यनिष्ठा, नैतिकता और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. जिस प्रतिज्ञा का ईरानी एथलीट ने उल्लंघन किया और अपने अनुचित व्यवहार के कारण उसे पदक गंवाना पड़ा.

इन गलतियों के कारण एथलीट पदक भी खो सकते हैं
1- प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों के लिए जलपान और पानी की विशेष व्यवस्था होती है और खिलाड़ियों को वहां से जलपान या पानी लेने की अनुमति होती है. यदि वे किसी अन्य स्थान से पानी लेते हैं तो उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है.

2- ओलंपिक या पैरालंपिक के दौरान कोई भी एथलीट कोई राजनीतिक संकेत या बयान नहीं दे सकता. राजनीतिक विरोध को भी नियम का उल्लंघन माना जाता है और इससे खिलाड़ियों को अयोग्य भी ठहराया जा सकता है. साथ ही, यदि कोई पदक जीता है तो उसे वापस भी लिया जा सकता है.

3- किसी भी एथलीट को ओलंपिक आयोजन के दौरान निजी प्रायोजक के लोगो का उपयोग करने की अनुमति नहीं है.

4- पैरालंपिक या ओलंपिक में किसी एथलीट को आयोजन के दौरान किसी भी प्रकार के संचार उपकरण का उपयोग करने की अनुमति नहीं है.

यह भी पढ़ें : टॉयलेट के वॉश बेसिन में बर्तन धोता मिला नोएडा स्टेडियम का स्टाफ! ऐसी बदहाली कि जमकर हो रही किरकरी

नई दिल्ली : पेरिस ओलंपिक भारत के लिए किसी बड़े विवाद से कम नहीं रहा है. भारत का रेसलिंग में एक सिल्वर पदक तब पक्का हो गया था जब पहलवान विनेश फोगाट ने महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में एंट्री की. उसके बाद यह तो तय था कि अगर विनेश फोगाट फाइनल में हार भी जाती हैं तो सिल्वर मेडल पक्का है लेकिन अगली सुबह कुछ ऐसा हुआ कि पूरा देश स्तब्ध रह गया.

विनेश को फाइनल में पहुंचने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया और उसके बाद वह किसी भी मेडल की हकदार नहीं रही. इसके बाद अब पैरालंपिक में ऐसा ही घटना सामने आई है लेकिन यह घटना विनेश फोगाट से कहीं ज्यादा दिल तोड़ने वाली हो सकती है इसके बाद तो विनेश फोगाट का दर्द कम लगने लगा.

सोचिए अगर आप अपनी सालों की मेहनत लगन के बूते स्वर्ण पदक जीत चुके हों और उसका जश्न मनाने के बाद आपको मालूम चले कि आप को डिस्क्वालीफाई कर दिया गया है और आप अब किसी भी पदक के हकदार नहीं है तो क्या होगा. ऐसा ही हुआ ईरान के एथलीट के साथ जो चर्चा का विषय बन गया.

8 सितंबर को खत्म हुए पेरिस पैरालिंपिक में उस समय हैरान कर देने वाला ड्रामा सामने आया जब ईरानी एथलीट को स्वर्ण पदक जीतने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया और रजत पदक जीतने वाले भारतीय एथलीट को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. दरअसल, 2024 पैरालिंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने के बावजूद ईरान के एथलीट सादिक बैत सयाह को धार्मिक झंडा लहराने के कारण स्वर्ण पदक गंवाना पड़ा. उन्होंने जेवलिन थरूर ने F41 वर्ग में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता.

लेकिन वह उत्साह में होश खो बैठे और पहले स्थान पर रहने के बाद एक धार्मिक झंडा लहराया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कोई पदक नहीं मिला और पहले स्थान पर रहने के बाद भी उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. बता दें कि ईरानी पैरा-एथलीट ने 47.64 मीटर भाला फेंककर नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया था, जबकि भारतीय पैरा-एथलीट नवदीप सिंह ने 47.32 मीटर भाला फेंका था.

अब सवाल यह है कि किस झंडे ने ईरानी एथलीट को अयोग्य ठहराया. दरअसल, गोल्ड मेडल जीतने के तुरंत बाद सादिक बैत ने काले कपड़े पर अरबी में लिखा झंडा निकाला और उसे दिखाना शुरू कर दिया. जबकि पैरा-एथलेटिक्स में किसी भी एथलीट को अपने देश के झंडे के अलावा कोई विशेष प्रतीक प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है, जिसके कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया.

कुछ इस तरह का किस्सा विनेश फोगाट के साथ हुआ था उन्हें फाइनल मैच से पहले उनका वजन निर्धारित वजन से 100 ग्राम ज्यादा हो गया जिसके कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. इस घटना ने उन्हें इतना तोड़ दिया कि उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति की भी घोषणा की (उन्होंने खेल पंचाट में अपील की) लेकिन वहां भी उनकी अपील खारिज कर दी गई.

मोबाइल रखने पर भी हुए बैन
इससे पहले इतालवी खिलाड़ी को मोबाइल फोन रखने के कारण भी अयोग्य घोषित कर दिया गया था. रोइंग इवेंट के दौरान बोर्ड पर मोबाइल फोन रखने का दोषी पाए जाने के बाद एक इतालवी एथलीट को पेरिस पैरालिंपिक से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। जिसके कारण उन्हें कांस्य पदक भी गंवाना पड़ा.

पैरालंपिक समिति का सिद्धांत क्या है?
पैरालंपिक वेबसाइट के मुताबिक, ईरानी एथलीट सादिक बेतसायाह ने आचार संहिता के नियम 8.1 का उल्लंघन किया है. यह संहिता पैरा-एथलेटिक्स के खेल में सत्यनिष्ठा, नैतिकता और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. जिस प्रतिज्ञा का ईरानी एथलीट ने उल्लंघन किया और अपने अनुचित व्यवहार के कारण उसे पदक गंवाना पड़ा.

इन गलतियों के कारण एथलीट पदक भी खो सकते हैं
1- प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों के लिए जलपान और पानी की विशेष व्यवस्था होती है और खिलाड़ियों को वहां से जलपान या पानी लेने की अनुमति होती है. यदि वे किसी अन्य स्थान से पानी लेते हैं तो उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है.

2- ओलंपिक या पैरालंपिक के दौरान कोई भी एथलीट कोई राजनीतिक संकेत या बयान नहीं दे सकता. राजनीतिक विरोध को भी नियम का उल्लंघन माना जाता है और इससे खिलाड़ियों को अयोग्य भी ठहराया जा सकता है. साथ ही, यदि कोई पदक जीता है तो उसे वापस भी लिया जा सकता है.

3- किसी भी एथलीट को ओलंपिक आयोजन के दौरान निजी प्रायोजक के लोगो का उपयोग करने की अनुमति नहीं है.

4- पैरालंपिक या ओलंपिक में किसी एथलीट को आयोजन के दौरान किसी भी प्रकार के संचार उपकरण का उपयोग करने की अनुमति नहीं है.

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