Hockey India Paris Olympics Bronz Medal: पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने कमाल कर दिखाया है. एक बार फिर से बैक-टू-बैक ब्रॉन्ज मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की है. पेरिस ओलंपिक में जिस तरह से भारतीय टीम ने सफर की शुरुआत की थी उसकी हर कोई तारीफ कर रहा था. ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को भी भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में करारी शिकस्त दी और आखिर में ये सफर ब्रॉन्ज मेडल पर आकर खत्म हुआ. इस तरह से भारतीय मेंस हॉकी टीम ने एक नया इतिहास बना दिया. भारतीय हॉकी टीम ने ये बड़ी उपलब्धि हासिल की तो उस जीत में मध्य प्रदेश के खिलाड़ी और कोच का भी बड़ा योगदान रहा है.
52 साल बाद बना इतिहास
भारतीय मेंस हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में शानदार खेल दिखाया और ब्रॉन्ज मेडल के मैच में स्पेन को 2-1 से एक रोमांचक मुकाबले में हरा दिया और ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमा लिया. इस जीत के साथ ही भारत ने कई सालों के बाद हॉकी में लगातार दूसरे ओलंपिक में पदक जीतने का कारनामा किया है और ऐसा 52 साल बाद हुआ है, जो अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है. ओलंपिक इतिहास में ये भारतीय हॉकी टीम का चौथा ब्रॉन्ज मेडल है, इसके अलावा भारत ने ओलंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा 8 गोल्ड और एक सिल्वर मेडल भी जीता है.
52 साल पहले भी बना था इतिहास
भारतीय हॉकी टीम ने 52 साल बाद ओलंपिक में लगातार दो मेडल जीते हैं. इससे पहले 1960 से 1972 तक भारत ने हॉकी में लगातार 4 मेडल जीते थे, फिर 1976 ओलंपिक में देश को कोई मेडल नहीं मिला. इसके बाद 1980 में गोल्ड जीता था और फिर 1980 के बाद से भारतीय टीम ओलंपिक में मेडल के लिए तरसती रही. ओलंपिक में मेडल का सूखा 40 साल बाद खत्म हुआ जहां भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता और अब हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी में भारतीय टीम ने पेरिस ओलंपिक में फिर से ब्रॉन्ज जीत कर 52 साल बाद इतिहास रचा है. 1972 के बाद भारत ने हॉकी में लगातार दो मेडल जीते हैं 1968 और 1972 में भी भारत ने लगातार दो ब्रॉन्ज ही जीते थे.
एमपी के इस खिलाड़ी और कोच का भी योगदान
भारतीय हॉकी टीम ने जहां एक ओर हॉकी में कमाल कर दिया और ओलंपिक में लगातार दूसरा ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया. इतिहास बनाया तो इसमें मध्य प्रदेश के कोच और खिलाड़ी का भी योगदान रहा है. मध्य प्रदेश के खिलाड़ी विवेक सागर जो कि इटारसी के चांदौन गांव के रहने वाले हैं. विवेक सागर टोक्यो ओलंपिक में भी टीम के खिलाड़ी थे और पेरिस ओलंपिक में भी टीम के खिलाड़ी हैं. दोनों ओलंपिक में टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता और विवेक सागर ने दोनों ही ओलंपिक में शानदार खेल से सभी को प्रभावित किया. पेरिस ओलंपिक में तो मध्य प्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले शिवेंद्र सिंह भी टीम का हिस्सा थे. शिवेंद्र सिंह बतौर टीम के असिस्टेंट कोच काम कर रहे थे और उनके बतौर असिस्टेंट कोच काम करते हुए टीम ने ओलंपिक में मेडल जीतने का कारनामा किया है.
'एमपी में बढ़ेगा हॉकी का क्रेज'
अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मृणाल चौबे भारतीय हॉकी टीम के इस जीत से काफी खुश नजर आए और साथ ही भारतीय हॉकी के इस बदलते दौर को देखकर भी उनमें उत्साह का माहौल है. वो कहते हैं कि "भारतीय हॉकी अब बदल रही है और दुनिया उसका दम देख रही है. निश्चित तौर पर भारत की ये बहुत बड़ी जीत है और इसमें जिस तरह से मध्य प्रदेश के विवेक सागर टीम का हिस्सा रहे और उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भी बेहतर प्रदर्शन किया था और पेरिस ओलंपिक में भी इन्होंने शानदार प्रदर्शन किया. विवेक सागर के इस खेल के बाद अब मध्य प्रदेश में भी हॉकी का एक अलग क्रेज देखने को मिलेगा. अभी कुछ सालों पहले हॉकी के प्रति युवा खिलाड़ियों में उत्साह कम हो रहा था लेकिन जिस तरह से छोटी जगह के खिलाड़ी भी आकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं और हॉकी जैसे खेल में विवेक सागर जिस तरह से उभरते हुए सितारा बने हैं इसका फायदा अब हॉकी को आगे बढ़ाने में भी मिलेगा और इसमें युवा हॉकी प्लेयर भी आगे आकर खेलेंगे."
'टीम के लिए परफेक्ट खिलाड़ी'
विवेक सागर के खेल की तारीफ करते हुए मृणाल चौबे कहते हैं कि "विवेक सागर में एक अच्छी बात यह है कि वो भारतीय हॉकी टीम के लिए मल्टीप्ल लाइन का प्लेयर है, कभी वो हमको फील्ड में बतौर मिड फील्डर दिखाई देता है तो कभी स्ट्राइकर के रूप में खेलते दिखाई देता है. आधुनिक हॉकी में इसी तरह के खिलाड़ी की जरूरत होती है और ये विवेक सागर के अंदर बहुत अच्छी चीज है और यही उन्हें अच्छा खिलाड़ी बनाती है. मॉडर्न हॉकी में अब कोई एक पार्टिकुलर पोजीशन नहीं रह गया है एक खिलाड़ी को हर पोजीशन में खेलते आना चाहिए और वो विवेक सागर में है जो उसे एक अलग प्लेयर बनाती है और इसका फायदा भी भारतीय हॉकी टीम को मिलता है".
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'असिस्टेंट कोच का बड़ा रोल'
अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मृणाल चौबे शिवेंद्र सिंह की भी तारीफ करते हैं और कहते हैं कि "टीम में असिस्टेंट कोच का बहुत बड़ा रोल होता है क्योंकि जो भी रणनीति बनती है, टीम के लिए प्लानिंग बनती है उसे खिलाड़ियों में इंप्लीमेंटेशन कराना असिस्टेंट कोच का ही काम होता है और बतौर असिस्टेंट कोच मध्य प्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले शिवेंद्र सिंह ने भारतीय हॉकी टीम के लिए बहुत अच्छा काम किया है. टीम एकजुट है और वो उनके प्रदर्शन में दिख भी रहा है. असिस्टेंट कोच शिवेंद्र सिंह की तारीफ करते हुए मृणाल चौबे कहते हैं कि भारतीय हॉकी टीम में शिवेंद्र सिंह कई सालों से कोचिंग दे रहे हैं और बतौर असिस्टेंट कोच उनके नाम भी अब एक बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है."