रियाद: पूर्व टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा हज यात्रा पर रवाना हो गई हैं. सानिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी और कहा कि उन्हें काफी इंतजार के बाद इस पवित्र यात्रा पर जाने का अवसर मिला है. सानिया मिर्जा अपनी हज पवित्र यात्रा शुरू कर चुकी हैं.
इस संबंध में पूर्व टेनिस खिलाड़ी ने अपने सोशल मीडिया ने कहा कि उन्हें 'पवित्र यात्रा पर निकलने का अविश्वसनीय अवसर मिला है'. वह जल्द ही सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का में होंगी. मैं बहुत भाग्यशाली हूं. कृपया मुझे अपने विचारों और दुआ में याद रखें. मैं जीवन की एक बेहद खास यात्रा पर निकल रही हूं. मुझे उम्मीद है कि मैं एक बेहतर इंसान के रूप में एक अच्छा दिल और मजबूत ईमान के साथ वापस आऊंगी.
इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है हज
बता दें कि साल में एक बार सऊदी अरब जाने वाले मुस्लिम हज यात्री वहां धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एकजुट होते हैं और हज करते हैं. हज इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है. हज करते समय मुसलमान अपने धार्मिक दायित्व पूरा करते हैं और अल्लाह से माफी मांगने और पिछले पापों को मिटाने की दुआ करते हैं. हज हर साल सऊदी अरब के मक्का में किया जाता है.
कौन कर सकता है हज
हज हर उस मुसलमान को जीवन में कम से कम एक बार हज करना होता है, जो उसको वहन कर सकता है और शारीरिक रूप से इसे करने में सक्षम है. कुछ मुसलमान एक से अधिक बार यात्रा करते हैं. हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. हज साल में एक बार इस्लामी महीने ज़ुल-हिज्जा के दौरान होता है. यह इस्लामी कैलेंडर का 12वां और अंतिम महीना होता है.
समानता की भावना पैदा करता है हज
हज से लोगों में एकता, जुड़ाव, विनम्रता और समानता की भावना पैदा होती है. तीर्थयात्री यहां अपनी व्यक्तिगत अपील, इच्छाओं और अनुभवों के साथ आते हैं. कई तीर्थयात्री अपने साथ परिवार और दोस्तों की प्रार्थनाएं साथ लेकर आते हैं जो वे चाहते हैं कि उनकी ओर से कही जाएं. कुछ लोग सालों तक उम्मीद और प्रार्थना करते रहते हैं कि एक दिन वे हज कर पाएं . कुछ लोग पैसे बचाकर यात्रा पर जाने के लिए परमिट का भी इंतजार करते रहते हैं.
2019 में लगभग 2.5 मिलियन मुसलमानों ने हज किया. इससे पहले कि कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया भर में धार्मिक और अन्य समारोहों को बाधित किया और हज यात्रा पर भी इसका असर देखने को मिला. पिछले साल का हज 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से कोविड-19 प्रतिबंधों के बिना आयोजित होने वाला पहला हज था.
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