नई दिल्ली/गाजियाबाद: माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है. मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को धन ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा के दौरान नारायण स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है. इस साल 6 फरवरी 2024 को षट्तिला एकादशी पड़ रही है.
ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक, इस दिन प्रातः 7:34 मंगलवार को मूल नक्षत्र भी होगा. यह छत्र योग बनाता है. एकादशी के दिन मूल नक्षत्र का आना बड़ा ही महत्वपूर्ण माना गया है. शाम को 4:07 बजे से द्वादशी तिथि आएगी. इसलिए एकादशी का व्रत 6 फरवरी को रखा जाएगा. षट्तिला एकादशी को तिल से बनी हुई वस्तु या मिष्ठान का दान करना चाहिए और उनका सेवन भी करना चाहिए. मान्यता है कि षटतिला एकादशी का अनुष्ठान करने से मनुष्य की दरिद्रता नष्ट हो जाती है और बैकुंठ लोक की प्राप्ती होती है.
एकादशी व्रत के पूजन में दिन में व्रत और रात्रि को जागरण करने का विधान है. यदि हवन करें तो अच्छा रहता है. तिलयुक्त लड्डू और मिष्ठान, पेठा, नारियल, सीताफल या सुपारी समेत भगवान को अर्पण कर अर्घ्य दें और फिर भगवान विष्णु की स्तुति करें. एकादशी की कहानी सुने अथवा पढ़ें. विष्णु भगवान की आरती करें.
षटतिला एकादशी शुभ मुहूर्त: 5 फरवरी सोमवार शाम 05:24 से एकादशी तिथि प्रारम्भ हो रही है, जो 6 फरवरी शाम 04:07 पर समाप्त हो जाएगा. पूजा तिथि के अनुसार मंगलवार 6 फरवरी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
षटतिला एकादशी के दिन करें तिल के 6 उपाय
- स्नान के जल में काले तिल मिलाकर स्नान करें.
- तिल का पेस्ट बनाकर उससे मुख, हाथ पैर पर उबटन करें.
- इस दिन तिल युक्त सामग्री से हवन करना चाहिए.
- पीने के पानी में कुछ तिल मिला लेने चाहिए. उसी का सेवन करें.
- प्रयास करें कि इस दिन व्रत के पारायण के समय तिल युक्त भोजन करें अथवा तिल से बने हुए लड्डू या मिष्ठान का सेवन करें.
- षटतिला एकादशी को तिल का दान करना बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसा कहा जाता है. जितने तिलों का दान इस दिन करते हैं. उतने ही वर्ष वह व्यक्ति स्वर्ग में निवास करता है. तिलों के प्रयोग से इसका नाम षट्तिला एकादशी है.
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