हैदराबादः धनतेरस पूजा, धनत्रयोदशी पूजा, धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान ही किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारंभ होता है. यह लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक होता है. धनतेरस पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल का समय होता है, जब स्थिर लग्न होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार स्थिर लग्न में धनतेरस पूजन किया जाए तो माता लक्ष्मी घर में स्थिर हो जाती हैं. इसी कारण इस समय को धनतेरस पूजन के लिए उपयुक्त माना जाता है. वृषभ लग्न को भी स्थिर माना जाता है. दिवाली में यह ज्यादातर समय प्रदोष काल के साथ रहता है.
द्रिक पंचांग के अनुसार धरतेरस मुहूर्त के समय स्थिर लग्न के साथ-साथ त्रयोदशी तिथि और प्रदोष काल होता है. पंचांग के अनुसार धनतेरस पूजन के लिए तय समय में एक शहर से दूसरे शहर में मामूली अंतर हो सकता है. धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. वहीं धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद के देवता (जनक) धन्वन्तरि का भी जन्म दिन है. इसलिए इसी दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी होता है. इसे धन्वन्तरि जयंती के रूप में जाना जाता है.
धनतेरस पूजा मुहूर्तः शाम 6 बजकर 14 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक
2024 में धनतेरस पूजन मुहूर्त की कुल अवधिः 01 घंटा 38 मिनट
प्रदोष कालः दोपहर 5 बजकर 19 मिनट से रात 7 बजकर 52 मिनट
वृषभ कालः दोपहर 6 बजकर 14 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक
त्रयोदशी तिथि प्रारंभः 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समापनः 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक
क्या है यम द्वीप
धनतेरस के दिन ही यम द्वीप, जिसे यम दीपम के नाम से भी जाना जाता है. यह धनतेरस के दिन (त्रयोदशी तिथि) को मनाया जाता है. इस दिन शाम होने पर घर के बाहर एक दिया जलाया जाता है. इस अनुष्ठान को यम दीपम कहा जाता है. यह दीपक मृत्यु के देवता यमराम के लिए जलाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यम के नाम इस दिन दीपदान करने से यमदेव खुश होते हैं और परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु दंड नहीं देते हैं या कहें तो अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं.