हैदराबाद : हिंदू धर्म में सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी नाग पंचमी के दिन गोबर से नाग देवता की आकृति बनाकर पूजा करने की परंपरा काफी पुरानी है. भगवान विष्णु शेषनाग जी की शय्या पर विराजमान हैं. भगवान शिव के गले में तक्षक नाग देवता शोभायमान हैं, ऐसे में लोग नाग पंचमी के दिन नाग देवता के साथ भगवान शिव की भी पूजा करते हैं. लोग दीवारों पर गोबर, चूना, चाक, गेरू या मिट्टी का प्रयोग करके दीवारों पर नाग की आकृति बनाकर नाग देवता की पूजा करते हैं.
हिंदू धर्म में सांपों की बड़ी मान्यता : जिस पृथ्वी पर हम रहते हैं उसे वसुधा कहते हैं, क्योंकि उसको वासु ने धारण किया है. अनंत नाम के वासुकी नाग या सर्प ने माथे पर पृथ्वी को धारण किया है. समुद्र मंथन के समय सर्प छिल न जाए इसलिए भगवान विष्णु ने कछुआ बनकर अपनी पीठ लगाई. इन्हीं सब कारणों से नाग पंचमी के दिन घरों की दीवारों पर नाग का चिन्ह बनाकर सांपों का पूजन करने से लोगों को सांपों से सुरक्षा व कृपा मिलती है.
नागों के अष्टकुल : हिंदू धर्म में नागों के अष्टकुल का वर्णन आता है. नागपंचमी को अष्ट नागों- अनंत, वासुकि, पद्म, कुलीक, कर्कट, महापद्म, तक्षक और शंख की पूजा का खास जिक्र किया गया है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि नागपंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सांप की आकृति बनाकर पूजा करने से भक्तों को कष्टों से मुक्ति व सांपों से सुरक्षा मिलती है.
गोबर से बनी नाग आकृति की पूजा करने की परम्परा: गोबर से बनी नाग आकृति की पूजा करने की की क्या मान्यता है, जानने के लिए ईटीवी भारत ने ज्योतिषी प्रिया शरण त्रिपाठी से बातचीत की. उन्होंने बताया, हिंदू धर्म में मान्यता है कि गाय में सभी देवता वास करते हैं , इसलिए गाय के गोबर से सर्प आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती हैं. एक मान्यता यह भी है कि नागों को धन-धान्य का रक्षक माना गया है और गाय के गोबर में लक्ष्मी जी का वास माना जाती है इसलिए गाय के गोबर से नाग की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है, ताकि पूरे साल घर-परिवार में समृद्धि और खुशहाली बनी रहे.
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