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Chitragupta Puja: जानें कब है चित्रगुप्त पूजा, क्यों इस दिन होती है कलम-दवात की पूजा

एक सप्ताह तक दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. इस दौरान हर दिन के पूजन का अलग-अलग महत्व है. इनमें से एक चित्रगुप्त पूजा है.

Chitragupta Puja
चित्रगुप्त पूजा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

हैदराबादः दिवाली का त्योहार पूरे एक सप्ताह तक चलता है. गोवत्स द्वादशी के साथ प्रारंभ होकर चित्रगुप्त पूजा के साथ संपन्न होता है. चित्रगुप्त पूजा के दिन ही भाई दूज व यम द्वितीया भी मनाया जाता है. कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा मनाया जाता है. इस साल चित्रगुप्त पूजा 3 नवंबर, दिन रविवार को मनाया जायेगा.

इस अवसर पर चित्रगुप्त भगवान का पूजा करते हैं. मान्यता है कि चित्रगुप्त भगवान इंसान के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा का बही-खाता यानि रिकार्ड रखते हैं. चित्रगुप्त भगवान को देवताओं का लेखापाल (अकाउंटेंट) और यम को उनका सहायक माना जाता है. इस कारण इन्हें कलम-दवात का देवता कहा जाता है. कायस्थ समुदाय में चित्रगुप्त भगवान ज्यादा लोकप्रिय हैं. कायस्थ समुदाय से जुड़े लोग उन्हें अपना पूर्वज मानते हैं. चित्रगुप्त पूजा के दिन चित्रगुप्त भगवान के साथ-साथ कलम दवात की पूजा कर उनकी आरती करते हैं. कुछ लोग लक्ष्मी पूजा के दिन अपना नया बही-खाता प्रारंभ करते हैं, वहीं कायस्थ समुदाय के लोग चित्रगुप्त पूजा के दिन से अपना बही-खाता का श्रीगणेश करते हैं.

दिवाली कैलेंडर 2024

  • 28 अक्टूबर (सोमवार)-गोवत्स द्वादशी, वसुबारस
  • 29 अक्टूबर (मंगलवार)-धनतेरस
  • 30 अक्टूबर (बुधवार)-काली चौदस, हनुमान पूजा
  • 31 अक्टूबर (गुरुवार)-नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), काली पूजा
  • 01 नवंबर (शुक्रवार)-दिवाली (लक्ष्मी पूजा)
  • 02 नवंबर (शनिवार)-गोवर्धन पूजा, अन्नकूट
  • 03 नवंबर (रविवार)-भाई दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजा

यम द्वितीया के दिन यमदूतों की भी पूजा की जाती है. यम को उनकी बहन यमुना से वरदान मिला प्राप्त था. धार्मिक मान्यता है कि यम द्वितीया के दिन जो व्यक्ति (भाई) अपनी बहन के घर जायेगा. बहन अपने भाई को तिलक लगाकर आरती उतारेंगी. इसके बाद भोजन करायेंगी तो उस भाई की अकाल मृत्यु नहीं होगी. यम द्वितीय पूजन के लिए अपराह्न काल यानि दोपहर 12 बजे से रात 12 बजे तक के समय को सबसे अधिक उपयुक्त माना जाता है.

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हैदराबादः दिवाली का त्योहार पूरे एक सप्ताह तक चलता है. गोवत्स द्वादशी के साथ प्रारंभ होकर चित्रगुप्त पूजा के साथ संपन्न होता है. चित्रगुप्त पूजा के दिन ही भाई दूज व यम द्वितीया भी मनाया जाता है. कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा मनाया जाता है. इस साल चित्रगुप्त पूजा 3 नवंबर, दिन रविवार को मनाया जायेगा.

इस अवसर पर चित्रगुप्त भगवान का पूजा करते हैं. मान्यता है कि चित्रगुप्त भगवान इंसान के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा का बही-खाता यानि रिकार्ड रखते हैं. चित्रगुप्त भगवान को देवताओं का लेखापाल (अकाउंटेंट) और यम को उनका सहायक माना जाता है. इस कारण इन्हें कलम-दवात का देवता कहा जाता है. कायस्थ समुदाय में चित्रगुप्त भगवान ज्यादा लोकप्रिय हैं. कायस्थ समुदाय से जुड़े लोग उन्हें अपना पूर्वज मानते हैं. चित्रगुप्त पूजा के दिन चित्रगुप्त भगवान के साथ-साथ कलम दवात की पूजा कर उनकी आरती करते हैं. कुछ लोग लक्ष्मी पूजा के दिन अपना नया बही-खाता प्रारंभ करते हैं, वहीं कायस्थ समुदाय के लोग चित्रगुप्त पूजा के दिन से अपना बही-खाता का श्रीगणेश करते हैं.

दिवाली कैलेंडर 2024

  • 28 अक्टूबर (सोमवार)-गोवत्स द्वादशी, वसुबारस
  • 29 अक्टूबर (मंगलवार)-धनतेरस
  • 30 अक्टूबर (बुधवार)-काली चौदस, हनुमान पूजा
  • 31 अक्टूबर (गुरुवार)-नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), काली पूजा
  • 01 नवंबर (शुक्रवार)-दिवाली (लक्ष्मी पूजा)
  • 02 नवंबर (शनिवार)-गोवर्धन पूजा, अन्नकूट
  • 03 नवंबर (रविवार)-भाई दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजा

यम द्वितीया के दिन यमदूतों की भी पूजा की जाती है. यम को उनकी बहन यमुना से वरदान मिला प्राप्त था. धार्मिक मान्यता है कि यम द्वितीया के दिन जो व्यक्ति (भाई) अपनी बहन के घर जायेगा. बहन अपने भाई को तिलक लगाकर आरती उतारेंगी. इसके बाद भोजन करायेंगी तो उस भाई की अकाल मृत्यु नहीं होगी. यम द्वितीय पूजन के लिए अपराह्न काल यानि दोपहर 12 बजे से रात 12 बजे तक के समय को सबसे अधिक उपयुक्त माना जाता है.

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