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इंग्लैंड में 500 परिवार मिलकर मनाएंगे लोकपर्व छठ, छह हजार ठेकुआ पहुंचेगा आस्थावानों के द्वार - CHHATH PUJA IN ENGLAND

छठ पर्व की महिमा बिहार, झारखंड, यूपी से निकलकर दुनियाभर में फैल चुका है.

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छठ महापर्व (ANI)
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By IANS

Published : Nov 6, 2024, 4:55 PM IST

नई दिल्ली: छठ लोकल से ग्लोबल हो गया है. अपने संस्कार और संस्कृति पर गर्व करने वाले बिहार से सात समंदर पार पहुंचे लोग विधिवत पूजा अर्चना करते हैं. इंग्लैंड में एक ग्रुप यही काम कर रहा है. बर्मिंघम में इस बार मिलकर चार दिनों के लोकपर्व का आयोजन किया गया है. शुरुआत नहाए खाए से हुई है तो समापन उषा अर्घ्य से होगा.

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इंग्लैंड में लोकपर्व छठ (IANS)

इसके बाद भी जिम्मेदारी निभाई जाएगी. सवाल उठता है आखिर कैसे, तो आस्थावानों तक ठेकुआ प्रसाद पहुंचाकर. किसी से कुछ चार्ज नहीं किया जायेगा बस एड्रेस तक पहुंचा दिया जाएगा. इस बार छह हजार ठेकुए का लक्ष्य है. कुल 500 परिवार इंग्लैंड के औद्योगिक शहर बर्मिंघम में जुटेंगे. आयोजन वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में किया गया है. पिछले साल लीड्स में ऐसा ही आयोजन किया गया था जो काफी सफल रहा था.

इस बार इसका आयोजन बिहारिज बियॉन्ड बाउंड्री समूह करा रहा है. विधिवत शुरुआत नहाए खाए संग हो चुकी है. महिलाओं ने अपने अंचल की रीतियों का पालन करते हुए चने और कद्दू की दाल बनाई, चावल बनाया और मिलजुलकर उसका बंधु बांधवों संग सेवन किया. खरना से लेकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने को लेकर व्यवस्था पूरी की गई है.

बिहार, झारखंड और पूर्वांचल मूल के लोग शहर के जाने माने हिंदू मंदिर श्री वेंकटेश्वर बालाजी में मिल जुलकर पर्व मना रहे हैं. बोकारो में जन्मे अजय कुमार जो इस कार्यक्रम के संयोजक भी हैं बताते हैं "गत वर्ष की अपेक्षा में करीब 100 अतिरिक्त परिवार हमारे साथ इस वर्ष जुड़े हैं, यह दर्शाता है की छठ पूजा में लोगो का अटूट विश्वास है और जैसे-जैसे लोगो ने इसके बारे में सुना, हमारे साथ जुड़ते चले गए."

इस बार कुल 13 महिलाएं व्रत रख रही हैं और इनके लिए सारी व्यवस्था 2 महीनों पहले से शुरू कर दी गई थी. दउरा, डलिया, सूथनी जैसी सामग्री भारत के विभिन्न मार्केट्स से लाई गई। इसके अलावा समूह ने अगली पीढ़ी को छठी माई की महिमा ट्रांसफर करने का भी अद्भुत आयोजन किया है.

ऋषिकांत जो पटना के हैं. उन्होंने बताया कि "इस वर्ष हमारी कोशिश यह रहेगी की हमारे बच्चे भी बढ़ चढ़ कर इस महा पर्व को मनाएं और हमारी संस्कृति और प्रथाओं से जुड़ा हुआ महसूस करें. इसलिए इस वर्ष बच्चों के लिए खास छठ पेंटिंग और छठ गीत प्रतियोगिता, एनीमेशन के माध्यम से छठ पूजा की कथा का आयोजन किया है."

समूह के कार्यकर्ता निशांत नवीन बताते हैं कि छठ का ये ग्लोबल होता स्वरूप ही है कि इस बार पूजा में बर्मिंघम स्थित भारतीय उच्चायोग से अधिकारी एवं स्थानीय नगर पार्षद भी सम्मिलित होंगे. छठ के प्रसाद की महिमा भी खूब होती है. तो इस बार भी पिछली बार की ही तरह 6000 ठेकुआ वितरण की योजना है. पैकेट से लेकर अड्रेस तक इकट्ठा कर लिया गया है. पारितोष कहते हैं सोच सिर्फ एक है कि जो पूजा में किसी कारणवश सम्मिलित नहीं हो पाएंगे उन तक प्रसाद पहुंच जाए और वो परदेस में भी देस में होने के एहसास से वंचित न रह जाएं.

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नई दिल्ली: छठ लोकल से ग्लोबल हो गया है. अपने संस्कार और संस्कृति पर गर्व करने वाले बिहार से सात समंदर पार पहुंचे लोग विधिवत पूजा अर्चना करते हैं. इंग्लैंड में एक ग्रुप यही काम कर रहा है. बर्मिंघम में इस बार मिलकर चार दिनों के लोकपर्व का आयोजन किया गया है. शुरुआत नहाए खाए से हुई है तो समापन उषा अर्घ्य से होगा.

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इंग्लैंड में लोकपर्व छठ (IANS)

इसके बाद भी जिम्मेदारी निभाई जाएगी. सवाल उठता है आखिर कैसे, तो आस्थावानों तक ठेकुआ प्रसाद पहुंचाकर. किसी से कुछ चार्ज नहीं किया जायेगा बस एड्रेस तक पहुंचा दिया जाएगा. इस बार छह हजार ठेकुए का लक्ष्य है. कुल 500 परिवार इंग्लैंड के औद्योगिक शहर बर्मिंघम में जुटेंगे. आयोजन वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में किया गया है. पिछले साल लीड्स में ऐसा ही आयोजन किया गया था जो काफी सफल रहा था.

इस बार इसका आयोजन बिहारिज बियॉन्ड बाउंड्री समूह करा रहा है. विधिवत शुरुआत नहाए खाए संग हो चुकी है. महिलाओं ने अपने अंचल की रीतियों का पालन करते हुए चने और कद्दू की दाल बनाई, चावल बनाया और मिलजुलकर उसका बंधु बांधवों संग सेवन किया. खरना से लेकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने को लेकर व्यवस्था पूरी की गई है.

बिहार, झारखंड और पूर्वांचल मूल के लोग शहर के जाने माने हिंदू मंदिर श्री वेंकटेश्वर बालाजी में मिल जुलकर पर्व मना रहे हैं. बोकारो में जन्मे अजय कुमार जो इस कार्यक्रम के संयोजक भी हैं बताते हैं "गत वर्ष की अपेक्षा में करीब 100 अतिरिक्त परिवार हमारे साथ इस वर्ष जुड़े हैं, यह दर्शाता है की छठ पूजा में लोगो का अटूट विश्वास है और जैसे-जैसे लोगो ने इसके बारे में सुना, हमारे साथ जुड़ते चले गए."

इस बार कुल 13 महिलाएं व्रत रख रही हैं और इनके लिए सारी व्यवस्था 2 महीनों पहले से शुरू कर दी गई थी. दउरा, डलिया, सूथनी जैसी सामग्री भारत के विभिन्न मार्केट्स से लाई गई। इसके अलावा समूह ने अगली पीढ़ी को छठी माई की महिमा ट्रांसफर करने का भी अद्भुत आयोजन किया है.

ऋषिकांत जो पटना के हैं. उन्होंने बताया कि "इस वर्ष हमारी कोशिश यह रहेगी की हमारे बच्चे भी बढ़ चढ़ कर इस महा पर्व को मनाएं और हमारी संस्कृति और प्रथाओं से जुड़ा हुआ महसूस करें. इसलिए इस वर्ष बच्चों के लिए खास छठ पेंटिंग और छठ गीत प्रतियोगिता, एनीमेशन के माध्यम से छठ पूजा की कथा का आयोजन किया है."

समूह के कार्यकर्ता निशांत नवीन बताते हैं कि छठ का ये ग्लोबल होता स्वरूप ही है कि इस बार पूजा में बर्मिंघम स्थित भारतीय उच्चायोग से अधिकारी एवं स्थानीय नगर पार्षद भी सम्मिलित होंगे. छठ के प्रसाद की महिमा भी खूब होती है. तो इस बार भी पिछली बार की ही तरह 6000 ठेकुआ वितरण की योजना है. पैकेट से लेकर अड्रेस तक इकट्ठा कर लिया गया है. पारितोष कहते हैं सोच सिर्फ एक है कि जो पूजा में किसी कारणवश सम्मिलित नहीं हो पाएंगे उन तक प्रसाद पहुंच जाए और वो परदेस में भी देस में होने के एहसास से वंचित न रह जाएं.

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