नई दिल्ली: भारत में बांद्रा-वर्ली सी लिंक ब्रिज (5.6 किमी लंबा, जल स्तर से 126 मीटर ऊपर), हजीरा क्रीक ब्रिज (1.4 किमी लंबा, जल स्तर से 25 मीटर ऊपर), विशाखापट्टनम-सीथमपेटा रेलवे ब्रिज (2.3 किमी लंबा, जल स्तर से 20 मीटर ऊपर), और निर्माणाधीन मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक ब्रिज (21.8 किमी लंबा, जल स्तर से 25 मीटर ऊपर), चिनाब नदी रेलवे ब्रिज (1.3 किमी लंबा, जल स्तर से 359 मीटर ऊपर) आदि देश की सिविल इंजीनियरिंग और वास्तुकला क्षमताओं के प्रमाण हैं, जो इंजीनियरिंग उत्कृष्टता और अभिनव डिजाइनों को प्रदर्शित करते हैं.
देश आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण इस तरह की परियोजनाओं को पूरा करने में असंख्य तकनीकी चुनौतियों और भौगोलिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
तमिलनाडु में स्थित पंबन रेलवे ब्रिज इंजीनियरिंग का चमत्कार है. यह इंजीनियरिंग की बड़ी उपलब्धि देश में यह विशेष महत्व रखता है, जो रामेश्वरम शहर को शेष भारत से जोड़ता है. 2.3 किलोमीटर से ज्यादा लंबा यह पुल रामेश्वरम द्वीप और भारत के मुख्य भू-भाग (Mainland) के बीच महत्वपूर्ण मोबिलिटी लिंक प्रदान करता है.
यह रेलवे पुल, उस समय के सबसे लंबे समुद्री पुलों में से एक है, जिसका निर्माण 1914 में ब्रिटिश शासनकाल द्वारा माल और सेवाओं के परिवहन की सुविधा के लिए किया गया था. जर्मन इंजीनियरों ने इसे डिजाइन किया था और इसे पूरी तरह से चालू होने में लगभग पांच साल लगे थे.
समुद्र तल से 12 मीटर की ऊंचाई पर ब्रिज
इस पुल में कंक्रीट के 145 खंभे हैं, जिनमें से प्रत्येक 15-मीटर के अंतराल पर बने हैं. पुल का डिजाइन समुद्र तल से 12 मीटर की ऊंचाई पर है और इसके नीचे से जहाजों और नावों का नौवहन किया जा सकता है. पुल का सुई जेनेरियस लिफ्टिंग स्पैन जहाजों को गुजरने की अनुमति देता है, जो तकनीकी डिजाइन और इंजीनियरिंग की उल्लेखनीय उपलब्धि है. यह न केवल व्यापार, व्यवसाय और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रसिद्ध रामेश्वरम मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुगम आवागमन का मार्ग भी प्रशस्त करता है.
परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका
पुल ने पर्यटन के जरिये स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजूबत करने और समुद्री खाद्य (Seafood), वस्त्र और अन्य वस्तुओं के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फिर भी, हाल ही में पंबन रेलवे ब्रिज को जंग, संरचनात्मक क्षति, दरारें और कई अन्य रखरखाव से संबंधित मुद्दों के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.
रेलवे ने शुरू कीं नवीनीकरण परियोजनाएं
अच्छी बात यह है कि इन चिंताओं को दूर करने के लिए इंडियन रेलवे ने कई समयबद्ध अपग्रेड पहल और नवीनीकरण परियोजनाएं शुरू की हैं, जिसमें लिफ्टिंग स्पैन को बदलना और पुल की नींव की मजबूती के लिए उसका फिर से निरीक्षण करना शामिल है.
यह कहना गलत नहीं होगा कि पंबन रेलवे ब्रिज एक ऐतिहासिक स्थल और इंजीनियरिंग का चमत्कार है जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है. इसके निर्माण और रखरखाव ने रामेश्वरम को मुख्य भूमि (भारत) से जोड़ने, स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा देने और तीर्थयात्रा को सुविधाजनक बनाना सुनिश्चित किया है.
जैसे-जैसे भारत अपने बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है, पंबन रेलवे ब्रिज इंजीनियरिंग उत्कृष्टता का महत्वपूर्ण प्रतीक और मानवीय सरलता का प्रमाण बना हुआ है.
दुनिया के सबसे प्रभावशाली रेलवे पुलों में शामिल
इस पुल को भारतीय रेल की तरफ से 'दुनिया के सबसे प्रभावशाली रेलवे पुलों' में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और विभिन्न प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरिंग और वास्तुकला प्रकाशनों में इसे शामिल किया गया है.
72 मीटर की वर्टिकल लिफ्ट स्पैन के साथ इस पुल को आधुनिक बनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि इसकी ऊंचाई बढ़ाकर बड़े वाणिज्यिक जहाजों के नौवहन को आसान बनाया जा सके, जिससे बेहतर गतिशीलता और वाणिज्यिक संपर्क का मार्ग प्रशस्त होगा.
इसके अलावा, प्रस्तावित रामेश्वरम-धनुषकोडी रेलवे लाइन के साथ इसका एकीकरण पूरे दक्षिणी क्षेत्र के लिए बड़ा बदलाव साबित हो सकता है. निस्संदेह, यह वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने की भारतीय महत्वाकांक्षा को दर्शाता है.
यह भी पढ़ें- समंदर पर बना देश का पहला 'वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज', नए पंबन रेलवे पुल की खासियत जानें