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बांग्लादेश में पहुंचा पाकिस्तानी मालवाहक जहाज, अटकलों का बाजार गर्म

बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद पहली बार एक मालवाहक जहाज पाकिस्तान से पहुंचा है.

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मालवाहक जहाज (प्रतीकात्मक फोटो (PTI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली: बांग्लादेश में हुए जन विद्रोह के महीनों बाद पाकिस्तान से एक मालवाहक जहाज हाल में भारत के पूर्वी पड़ोसी देश चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा. 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद यह पहली बार है जब बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच समुद्री संपर्क स्थापित हुआ है.

ढाका में पाकिस्तान उच्चायोग ने जहाज के डॉकिंग के बाद अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया, 'पाकिस्तान के कराची से पहला सीधा मालवाहक जहाज बांग्लादेश का चटगांव पहुंच गया. ये द्विपक्षीय व्यापार में एक बड़ा कदम है. यह नया मार्ग आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुव्यवस्थित करेगा. आवाजाही के समय को कम करेगा और दोनों देशों के लिए नए व्यापार अवसर खोलेगा.'

बांग्लादेश के समाचार पोर्टल डेली स्टार की शनिवार देर शाम की रिपोर्ट के अनुसार चटगांव में जहाज से 370 टीईयू (बीस फुट समतुल्य इकाई) आयात-लदे कंटेनर उतारे गए. इनमें से 297 टीईयू पाकिस्तान से और शेष 73 टीईयू संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से आए थे.

रिपोर्ट में कहा गया, 'कराची से आए अधिकांश माल में औद्योगिक कच्चा माल था, जिसमें सोडा ऐश के 115 कंटेनर, डोलोमाइट के 46 कंटेनर, चूना पत्थर के 35 कंटेनर, रसायन के 24 कंटेनर, प्याज के 42 कंटेनर, कपड़े के 13 कंटेनर और आलू के 14 कंटेनर शामिल थे.'

यूएई से आए कुल 73 टीईयू में से 13 टीईयू कंटेनर कच्चे संगमरमर के ब्लॉक थे. इनका इस्तेमाल भवन निर्माण सामग्री के रूप में किया जाता है. यूएई बंदरगाह से आए अन्य सामानों में जिप्सम प्लास्टर, तांबे के तार, मोटर पार्ट्स और किशमिश, सूखे बेर, ताजे खजूर और विभिन्न प्रकार के फलों के रस जैसे खाद्य पदार्थ शामिल थे.'

चटगांव बंदरगाह प्राधिकरण (सीपीए) के सचिव मोहम्मद उमर फारुक ने कहा कि यह पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधी शिपिंग सेवा नहीं है. चीनी नाम युआन जियांग फा झान वाला जहाज पनामा के बैनर तले चल रहा है.

ईटीवी भारत ने जब इस रिपोर्ट के फाइल करने के दौरान जहाज की स्थिति का पता किया तो यह चटगांव से रवाना होने के बाद इंडोनेशिया के सुमात्रा के बेलावन की ओर जा रहा था. जहाज की यात्रा यूएई से शुरू हुई होगी, इसका नाम चीनी हो सकता है और यह पनामा के बैनर तले चल रहा होगा. बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉकिंग क्यों दिलचस्पी पैदा करती है क्योंकि ढाका में पाकिस्तान उच्चायोग ने इस पर टिप्पणी की है.

1971 में स्वतंत्रता संग्राम के बाद पाकिस्तान से बांग्लादेश के अलग होने के बाद से द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों और ऐतिहासिक शिकायतों से उपजी चुनौतियों का सामना करने की विशेषता रही है. राजनीतिक संबंध असमान रहे हैं जो दोनों देशों के नेतृत्व से प्रभावित हैं.

बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकारों का मुक्ति संग्राम से गहरा संबंध रहा. ये अक्सर पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख अपनाती रही. इसके विपरीत, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की सरकारों ने आम तौर पर पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंधों को आगे बढ़ाया.

क्षेत्रीय गठबंधन खास तौर पर भारत और चीन के साथ बांग्लादेश के बढ़ते संबंध, पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों को भी प्रभावित करते हैं. इसी संदर्भ में 1971 के बाद पहली बार पाकिस्तान से बांग्लादेश में मालवाहक जहाज के आने से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. यह तब हुआ है जब 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली थी और हसीना देश छोड़कर भाग गई.

मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के एसोसिएट फेलो और दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ आनंद कुमार ने ईटीवी भारत से कहा, 'ऐसा लगता है कि यूनुस सरकार में इस्लामी तत्व हावी हो रहे हैं. वे बांग्लादेश को पाकिस्तान की ओर ले जा रहे हैं. यह भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए आश्चर्य की बात है.'

बांग्लादेशी शिक्षाविद और राजनीतिक पर्यवेक्षक शरीन शाजहान नाओमी के अनुसार पाकिस्तान से जहाज के आने से उनके देश में काफी तनाव पैदा हो गया. नाओमी ने ढाका से ईटीवी भारत को फोन पर बताया, 'शुरू में सरकार की ओर से इस बात की कोई पुष्टि नहीं की गई थी कि जहाज क्या माल लेकर रहा है. दूसरे देशों से आने वाले जहाजों के बारे में सरकार की ओर से स्पष्टीकरण आना चाहिए.'

उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में उदारवादी और इस्लामवादी तत्वों के बीच तनावपूर्ण संबंध हैं. नाओमी ने कहा, 'कुछ लोग पिछली सरकार (शेख हसीना की) के खिलाफ थे, लेकिन वे धर्मनिरपेक्ष बने हुए हैं. उन्हें अब भी भरोसा है कि वे अंत में मतदाताओं का विश्वास जीत लेंगे.'

ढाका स्थित पत्रकार सैफुर रहमान तपन ने कहा कि बांग्लादेश द्वारा अपने एक बंदरगाह पर पाकिस्तान से आने वाले जहाज को आने की अनुमति देना अंतरिम सरकार की राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है. तपन ने कहा, 'मुक्ति संग्राम के बाद से हमारी राजनीति बहुत ध्रुवीकृत हो गई. आप या तो उन लोगों के साथ हैं, जो मुक्ति संग्राम की भावना का समर्थन करते हैं, या उन लोगों के साथ हैं जो इसके खिलाफ हैं.'

उन्होंने आगे बताया कि हसीना की अवामी लीग ने उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में पाकिस्तान को हराकर मुक्ति संग्राम पर अधिकार जमाया. इसलिए, कुछ धर्मनिरपेक्ष दल हैं जो इसे पसंद नहीं करते. तपन ने कहा, 'मुक्ति संग्राम में हमें भारत से बहुत मदद मिली.

अवामी लीग ने हमेशा इस बात को माना है. लेकिन दूसरी पार्टियां भारत के समर्थन को मान्यता देने के खिलाफ हैं. हालांकि, तपन ने कहा कि बांग्लादेश में आम लोग इस विचार से सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'वे भारत के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पक्ष में हैं.'

हालांकि चटगांव बंदरगाह प्राधिकरण की रिपोर्ट बताती है कि पनामा के बैनर तले चलने वाले युआन जियांग फा झान जहाज द्वारा लाया गया माल हानिरहित प्रतीत होता है, लेकिन तनाव की वजह यह है कि नई अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान से भारी मात्रा में हथियारों का आयात करना चाहता है.

रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश ने पाकिस्तान की आयुध फैक्ट्रियों (POF) को 40,000 राउंड गोला-बारूद, 2,000 यूनिट टैंक गोला-बारूद, 40 टन विस्फोटक आरडीएक्स और 2,900 उच्च तीव्रता वाले मिलाइल का ऑर्डर दिया है. इसकी मात्रा पिछले साल के ऑर्डर से काफी अधिक है. यही कारण है कि चटगांव बंदरगाह पर युआन जियांग फा झान पोत का डॉकिंग भारत के लिए चिंता का विषय होगा.

ये भी पढ़ें-भारत-बांग्लादेश सीमा वार्ता स्थगित होने से क्या दांव पर है?

नई दिल्ली: बांग्लादेश में हुए जन विद्रोह के महीनों बाद पाकिस्तान से एक मालवाहक जहाज हाल में भारत के पूर्वी पड़ोसी देश चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा. 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद यह पहली बार है जब बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच समुद्री संपर्क स्थापित हुआ है.

ढाका में पाकिस्तान उच्चायोग ने जहाज के डॉकिंग के बाद अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया, 'पाकिस्तान के कराची से पहला सीधा मालवाहक जहाज बांग्लादेश का चटगांव पहुंच गया. ये द्विपक्षीय व्यापार में एक बड़ा कदम है. यह नया मार्ग आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुव्यवस्थित करेगा. आवाजाही के समय को कम करेगा और दोनों देशों के लिए नए व्यापार अवसर खोलेगा.'

बांग्लादेश के समाचार पोर्टल डेली स्टार की शनिवार देर शाम की रिपोर्ट के अनुसार चटगांव में जहाज से 370 टीईयू (बीस फुट समतुल्य इकाई) आयात-लदे कंटेनर उतारे गए. इनमें से 297 टीईयू पाकिस्तान से और शेष 73 टीईयू संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से आए थे.

रिपोर्ट में कहा गया, 'कराची से आए अधिकांश माल में औद्योगिक कच्चा माल था, जिसमें सोडा ऐश के 115 कंटेनर, डोलोमाइट के 46 कंटेनर, चूना पत्थर के 35 कंटेनर, रसायन के 24 कंटेनर, प्याज के 42 कंटेनर, कपड़े के 13 कंटेनर और आलू के 14 कंटेनर शामिल थे.'

यूएई से आए कुल 73 टीईयू में से 13 टीईयू कंटेनर कच्चे संगमरमर के ब्लॉक थे. इनका इस्तेमाल भवन निर्माण सामग्री के रूप में किया जाता है. यूएई बंदरगाह से आए अन्य सामानों में जिप्सम प्लास्टर, तांबे के तार, मोटर पार्ट्स और किशमिश, सूखे बेर, ताजे खजूर और विभिन्न प्रकार के फलों के रस जैसे खाद्य पदार्थ शामिल थे.'

चटगांव बंदरगाह प्राधिकरण (सीपीए) के सचिव मोहम्मद उमर फारुक ने कहा कि यह पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधी शिपिंग सेवा नहीं है. चीनी नाम युआन जियांग फा झान वाला जहाज पनामा के बैनर तले चल रहा है.

ईटीवी भारत ने जब इस रिपोर्ट के फाइल करने के दौरान जहाज की स्थिति का पता किया तो यह चटगांव से रवाना होने के बाद इंडोनेशिया के सुमात्रा के बेलावन की ओर जा रहा था. जहाज की यात्रा यूएई से शुरू हुई होगी, इसका नाम चीनी हो सकता है और यह पनामा के बैनर तले चल रहा होगा. बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉकिंग क्यों दिलचस्पी पैदा करती है क्योंकि ढाका में पाकिस्तान उच्चायोग ने इस पर टिप्पणी की है.

1971 में स्वतंत्रता संग्राम के बाद पाकिस्तान से बांग्लादेश के अलग होने के बाद से द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों और ऐतिहासिक शिकायतों से उपजी चुनौतियों का सामना करने की विशेषता रही है. राजनीतिक संबंध असमान रहे हैं जो दोनों देशों के नेतृत्व से प्रभावित हैं.

बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकारों का मुक्ति संग्राम से गहरा संबंध रहा. ये अक्सर पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख अपनाती रही. इसके विपरीत, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की सरकारों ने आम तौर पर पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंधों को आगे बढ़ाया.

क्षेत्रीय गठबंधन खास तौर पर भारत और चीन के साथ बांग्लादेश के बढ़ते संबंध, पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों को भी प्रभावित करते हैं. इसी संदर्भ में 1971 के बाद पहली बार पाकिस्तान से बांग्लादेश में मालवाहक जहाज के आने से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. यह तब हुआ है जब 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली थी और हसीना देश छोड़कर भाग गई.

मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के एसोसिएट फेलो और दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ आनंद कुमार ने ईटीवी भारत से कहा, 'ऐसा लगता है कि यूनुस सरकार में इस्लामी तत्व हावी हो रहे हैं. वे बांग्लादेश को पाकिस्तान की ओर ले जा रहे हैं. यह भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए आश्चर्य की बात है.'

बांग्लादेशी शिक्षाविद और राजनीतिक पर्यवेक्षक शरीन शाजहान नाओमी के अनुसार पाकिस्तान से जहाज के आने से उनके देश में काफी तनाव पैदा हो गया. नाओमी ने ढाका से ईटीवी भारत को फोन पर बताया, 'शुरू में सरकार की ओर से इस बात की कोई पुष्टि नहीं की गई थी कि जहाज क्या माल लेकर रहा है. दूसरे देशों से आने वाले जहाजों के बारे में सरकार की ओर से स्पष्टीकरण आना चाहिए.'

उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में उदारवादी और इस्लामवादी तत्वों के बीच तनावपूर्ण संबंध हैं. नाओमी ने कहा, 'कुछ लोग पिछली सरकार (शेख हसीना की) के खिलाफ थे, लेकिन वे धर्मनिरपेक्ष बने हुए हैं. उन्हें अब भी भरोसा है कि वे अंत में मतदाताओं का विश्वास जीत लेंगे.'

ढाका स्थित पत्रकार सैफुर रहमान तपन ने कहा कि बांग्लादेश द्वारा अपने एक बंदरगाह पर पाकिस्तान से आने वाले जहाज को आने की अनुमति देना अंतरिम सरकार की राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है. तपन ने कहा, 'मुक्ति संग्राम के बाद से हमारी राजनीति बहुत ध्रुवीकृत हो गई. आप या तो उन लोगों के साथ हैं, जो मुक्ति संग्राम की भावना का समर्थन करते हैं, या उन लोगों के साथ हैं जो इसके खिलाफ हैं.'

उन्होंने आगे बताया कि हसीना की अवामी लीग ने उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में पाकिस्तान को हराकर मुक्ति संग्राम पर अधिकार जमाया. इसलिए, कुछ धर्मनिरपेक्ष दल हैं जो इसे पसंद नहीं करते. तपन ने कहा, 'मुक्ति संग्राम में हमें भारत से बहुत मदद मिली.

अवामी लीग ने हमेशा इस बात को माना है. लेकिन दूसरी पार्टियां भारत के समर्थन को मान्यता देने के खिलाफ हैं. हालांकि, तपन ने कहा कि बांग्लादेश में आम लोग इस विचार से सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'वे भारत के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पक्ष में हैं.'

हालांकि चटगांव बंदरगाह प्राधिकरण की रिपोर्ट बताती है कि पनामा के बैनर तले चलने वाले युआन जियांग फा झान जहाज द्वारा लाया गया माल हानिरहित प्रतीत होता है, लेकिन तनाव की वजह यह है कि नई अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान से भारी मात्रा में हथियारों का आयात करना चाहता है.

रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश ने पाकिस्तान की आयुध फैक्ट्रियों (POF) को 40,000 राउंड गोला-बारूद, 2,000 यूनिट टैंक गोला-बारूद, 40 टन विस्फोटक आरडीएक्स और 2,900 उच्च तीव्रता वाले मिलाइल का ऑर्डर दिया है. इसकी मात्रा पिछले साल के ऑर्डर से काफी अधिक है. यही कारण है कि चटगांव बंदरगाह पर युआन जियांग फा झान पोत का डॉकिंग भारत के लिए चिंता का विषय होगा.

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