हैदराबाद: पूरे देश में हर साल 1 जनवरी को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. यह दिवस भारत रत्न से सम्मानित, महान चिकित्सक, शिक्षाविद् और भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक डॉ. बी.सी. रॉय की याद में मनाया जाता है. उन्होंने अपने पूरे जीवन में भारत के स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किया था. यह दिन ना केवल डॉ. रॉय के लिए बल्कि उन सभी डॉक्टरों के लिए भी श्रद्धांजलि है जो उनके शानदार नक्शेकदम पर चलते हैं, जीवन को बदलते हैं और अपनी विशेषज्ञता से अनगिनत प्राण बचाते हैं.
पद्म श्री और डॉ. बीसी रॉय से पुस्कृत किम्स-उषालक्ष्मी स्तन रोग केंद्र हैदराबाद के संस्थापक निदेशक हैदराबाद डॉ. पी. रघु राम ने इस मौके पर 33 साल पुरानी अपनी यादें साझा की. उन्होंने कहा कि ठीक 33 साल पहले (1991), मैं डॉक्टर बना, ठीक उसी साल जब भारत ने डॉक्टर्स डे मनाना शुरू किया गया था. डॉ. बी.सी. रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार (2017) के प्राप्तकर्ता के रूप में आज का दिन मेरे लिए और भी खास है. बता दें, यह पुरस्कार भारत में अभ्यास करने वाले किसी डॉक्टर द्वारा प्राप्त की जा सकने वाली सर्वोच्च मान्यता है.
डॉ. पी. रघु राम ने आगे कहा कि यह चिकित्सा बिरादरी की असाधारण प्रतिबद्धता और अथक समर्पण को स्वीकार करने का एक महत्वपूर्ण दिन है. एक प्राचीन संस्कृत वाक्यांश है 'वैद्यो नारायणो हरि' जिसका अर्थ है डॉक्टर भगवान नारायण और स्वयं भगवान हरि हैं. कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, डॉक्टर को 'भगवान' के बराबर माना जाता है. मरीज भरोसा करते हैं और अपना जीवन अपने डॉक्टर के हाथों में सौंप देते हैं. कई मौकों पर, वे गोपनीय जानकारी का खुलासा करते हैं, जो शायद परिवार का सदस्य भी जानता हो.
इसके अलावा, मरीज डॉक्टर पर इतना भरोसा करते हैं कि वे जांच के लिए अपने को भी उजागर करने में कोई संकोच नहीं करते हैं. किसी अन्य पेशे में, किसी को दैनिक आधार पर इस तरह के अत्यधिक विश्वास और असाधारण आस्था का अनुभव नहीं होता है. यह वह विश्वास है, जिसे बड़े अक्षरों में मेडिकल बिरादरी को हमेशा महत्व देना चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए. साथ ही, यही कारण है कि एक डॉक्टर का कर्तव्य है कि वह उच्च स्तर की नैतिक आचार संहिता का पालन करे और उसे यह समझना चाहिए कि वह बहुत ही विशेषाधिकार प्राप्त स्थिति में है.
उन्होंने आगे कहा कि दुख की बात है कि पिछले कुछ सालों में कई कारणों से डॉक्टर और मरीज के बीच आपसी विश्वास में तेजी से कमी आई है. मरीज और डॉक्टर दोनों के लिए खोए हुए विश्वास को फिर से स्थापित करने के लिए मिलकर काम करना जरूरी है. सच में, इस अनूठे रिश्ते को मजबूत करने के लिए डॉक्टर्स डे से बेहतर कोई दिन नहीं हो सकता. हर डॉक्टर के लिए क्लीनिकल क्षमता और प्रभावी संचार कौशल जरूरी हैं. आज के दौर में, जब डॉक्टर और मरीज के बीच का रिश्ता बहुत तनावपूर्ण हो गया है, संचार कौशल और भी महत्वपूर्ण हो गया है. मरीज के डॉक्टर के परामर्श कक्ष में प्रवेश करने से लेकर सूचित सहमति लेने, प्री/पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड राउंड, बुरी खबर बताने से लेकर मीडिया को संबोधित करने तक, संचार कौशल को हर समय अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर होना चाहिए.
हालांकि पश्चिमी दुनिया भर में चिकित्सा पाठ्यक्रम में नैतिकता और संचार कौशल का एक स्थापित स्थान है, लेकिन हाल ही में यह भारतीय चिकित्सा पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं था. हालांकि, 2019 में, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने नए योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम (CBME) में चिकित्सा नैतिकता को शामिल किया. दृष्टिकोण, नैतिकता और संचार (AETCOM) मॉड्यूल का उद्देश्य एक डॉक्टर के लिए आवश्यक ज्ञान, दृष्टिकोण और मूल्यों को विकसित करना है.
डॉ. पी. रघु राम ने कहा कि मेडिकल एथिक्स के अलावा, इंसान को जीवन के हर पहलू में नैतिक होना बहुत जरूरी है, कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी बुद्धिमान, ज्ञानी और कुशल क्यों ना हो, नैतिकता के बिना हमारी कोई भी उपलब्धि प्रासंगिक नहीं होगी. इसलिए, एक अच्छा इंसान बनना सबसे जरूरी है. इस क्षेत्र में बहुत सारे अवसर हैं, और बहुत कम प्रतिस्पर्धा है. उन्होंने इस मौके पर रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव गारू का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि रामोजी राव ने पूरा जीवन नैतिकता के सहारे पर बिताया. बता दें, रामोजी राव का पिछले महीने 8 जून को निधन हो गया. वे नैतिकता के प्रतीक और भारत के एक आदर्श नागरिक थे.
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को समाज में रोल मॉडल होना चाहिए. चिकित्सा या शल्य चिकित्सा की कला और विज्ञान का अभ्यास चूहा-दौड़ नहीं है. एक उदाहरण से समझिए हमारी 70 फीसदी से ज्यादा आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. भारत में 6, 00, 000 गांव हैं. मेरी इच्छा और आकांक्षा है कि अगर 6 लाख नागरिक जिनके पास संसाधन हैं, वे 6 लाख गावों को अपनाए, तो अमृतकाल के दौरान आने वाले 25 साल निस्संदेह भारत भर में अनगिनत लोगों के सपनों, लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने का एक सुनहरा अवसर होगा.
डॉक्टरों को समय-समय पर अपने करियर पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अपनी मां की देखभाल करना और अपनी मातृभूमि की सेवा करना उनके लिए एक वरदान रहा है. बता दें, डॉ. पी. रघु राम की मां ने स्तन कैंसर पर विजय प्राप्त किया था. इस बाबत उन्होंने बताया की स्तन कैंसर के बारे में लगातार लोगों को जागरूक करना और अपने गांव के लोगों की सेवा मुझे अच्छा लगता है. उनका नेतृत्व करना मुझे सबसे बड़ी संतुष्टि देता है. सबसे बढ़कर, ध्यान, कृतज्ञता व्यक्त करना और प्रार्थना करना, इन सभी ने मुझे अपने सपनों को साकार करने में सक्षम बनाया है, जिसने मेरे जीवन को कई तरह से समृद्ध किया है.
डॉक्टर्स डे के अवसर पर डॉ. पी. रघु राम ने कहा कि मैं खुद को हिप्पोक्रेटिक शपथ के एक महत्वपूर्ण घटक की याद दिलाना चाहूंगा, और वह है 'रोगी की भलाई को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाना ही एक डॉक्टर का अंत में डॉ. पी. रघु राम ने कहा कि मैं इस शुभ दिन पर दोहराने के लिए इससे अधिक उपयुक्त प्रार्थना के बारे में नहीं सोच सकता था. जिसे 1953 में एक महान चिकित्सक सर रॉबर्ट हचिसन ने लिखा था.
उन्होंने लगभग 70 साल पहले जो कहा वह आज भी प्रासंगिक है. ज्ञान को बुद्धि से पहले रखने से, विज्ञान को कला से पहले रखने से, चतुराई को सामान्य ज्ञान से पहले रखने से, रोगियों को मामलों की तरह मानने से और किसी बीमारी के इलाज को उसकी सहनशीलता से अधिक कष्टकारी बनाने से, हे प्रभु, हमें बचाइये.
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