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साड़ी पहनते समय एक गलती पड़ सकती है भारी, डॉक्टरों ने दी त्वचा कैंसर की चेतावनी!

एक रिसर्च का कहना है कि साड़ी को कसकर पहनने में खतरा है, डॉक्टरों ने दो महिलाओं के इलाज के बाद यह चेतावनी जारी की.

SKIN ULCER OR MARJOLIN ULCER RISK DUE TO PETTICOAT AND SAREE WEARING WOMEN CAN FACE PETTICOAT CANCER
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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : Nov 7, 2024, 1:27 PM IST

Updated : Nov 7, 2024, 1:37 PM IST

Skin Ulcer & Petticoat Cancer : ज्यादातर भारतीय महिलाओं के लिए साड़ी उनके पहनावे का मुख्य हिस्सा है. लेकिन लेकिन एक रिसर्च का कहना है कि साड़ी को कसकर पहनने में खतरा है. बिहार और महाराष्ट्र के डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर साड़ी के नीचे पेटीकोट बहुत कसकर बांधा जाए तो इससे त्वचा कैंसर हो सकता है. वर्धा के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और बिहार के मधुबनी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टरों ने इस गंभीर स्थिति से पीड़ित दो महिलाओं का इलाज करने के बाद यह चेतावनी जारी की.

पेटीकोट कैंसर क्या है?: महिलाएं आमतौर पर साड़ी के साथ पहनने वाले पेटीकोट को कमर के चारों ओर कसकर बांधती हैं. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह अधिक है. इसके परिणामस्वरूप सूजन के साथ लगातार दर्द होता रहता है. इससे त्वचा में अल्सर हो जाता है. कुछ मामलों में यह त्वचा कैंसर में बदल जाता है. ऐसी घटना को पहले 'साड़ी कैंसर' कहा जाता था. अब बीएमजे केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन में डॉक्टरों ने इसे 'पेटीकोट कैंसर' नाम दिया है.

केस 1 : पहले मामले में एक 70 वर्षीय महिला को 18 महीने से त्वचा पर अल्सर की समस्या थी. इससे उसे असहनीय दर्द हो रहा था. जब उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने डॉक्टर से सलाह ली. जांच करने पर डॉक्टर ने पाया कि पेटीकोट की टाइट फिटिंग के कारण बुजुर्ग महिला के कूल्हों पर अल्सर हो गया है. फिर एक बायोप्सी की गई, जिसमें मार्जोलिन अल्सर का पता चला. इसे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (अल्सरयुक्त त्वचा कैंसर) के रूप में भी जाना जाता है.

केस 2 : करीब 60 साल की एक अन्य महिला को त्वचा पर अल्सर था. वह करीब दो साल से इस अल्सर से पीड़ित थे. वह चालीस साल से अधिक समय से हर रोज पारंपरिक 'लुगड़ा' साड़ी पहन रही हैं. साथ ही लगातार कमर पर पेटीकोट कस कर बांधती थी. बायोप्सी जांच में पता चला कि उन्हें मार्जोलिन अल्सर है . आगे के परीक्षणों से पता चला कि उन्हें कैंसर है. मार्जोलिन का अल्सर दुर्लभ, लेकिन आक्रामक है. डॉक्टरों का कहना है कि यह पुरानी जलन, ठीक न होने वाले घाव, पैर के अल्सर, ट्यूबरकुलर त्वचा की गांठें, टीकाकरण और सांप के काटने के निशान में पाया जाता है.

डॉक्टरों का कहना है कि "कमर पर लगातार तनाव आमतौर पर त्वचा शोष (Thin Skin) का कारण बनता है. यह अंततः क्षरण या अल्सर का रूप ले लेता है." यह घाव आमतौर पर तंग कपड़ों के दबाव के कारण पूरी तरह से ठीक नहीं होता है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर यह घाव लंबे समय तक ठीक नहीं हुआ तो यह घातक परिवर्तन का कारण बन सकता है.

इसे कैसे रोकें ? स्वास्थ्य विशेषज्ञ त्वचा पर दबाव कम करने के लिए साड़ी के नीचे ढीला पेटीकोट और त्वचा संबंधी समस्याएं होने पर ढीले कपड़े पहनने की सलाह देते हैं.

डिस्कलेमर :- यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह लें.

ये भी पढ़ें :-

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पेटीकोट कैंसर क्या है?: महिलाएं आमतौर पर साड़ी के साथ पहनने वाले पेटीकोट को कमर के चारों ओर कसकर बांधती हैं. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह अधिक है. इसके परिणामस्वरूप सूजन के साथ लगातार दर्द होता रहता है. इससे त्वचा में अल्सर हो जाता है. कुछ मामलों में यह त्वचा कैंसर में बदल जाता है. ऐसी घटना को पहले 'साड़ी कैंसर' कहा जाता था. अब बीएमजे केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन में डॉक्टरों ने इसे 'पेटीकोट कैंसर' नाम दिया है.

केस 1 : पहले मामले में एक 70 वर्षीय महिला को 18 महीने से त्वचा पर अल्सर की समस्या थी. इससे उसे असहनीय दर्द हो रहा था. जब उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने डॉक्टर से सलाह ली. जांच करने पर डॉक्टर ने पाया कि पेटीकोट की टाइट फिटिंग के कारण बुजुर्ग महिला के कूल्हों पर अल्सर हो गया है. फिर एक बायोप्सी की गई, जिसमें मार्जोलिन अल्सर का पता चला. इसे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (अल्सरयुक्त त्वचा कैंसर) के रूप में भी जाना जाता है.

केस 2 : करीब 60 साल की एक अन्य महिला को त्वचा पर अल्सर था. वह करीब दो साल से इस अल्सर से पीड़ित थे. वह चालीस साल से अधिक समय से हर रोज पारंपरिक 'लुगड़ा' साड़ी पहन रही हैं. साथ ही लगातार कमर पर पेटीकोट कस कर बांधती थी. बायोप्सी जांच में पता चला कि उन्हें मार्जोलिन अल्सर है . आगे के परीक्षणों से पता चला कि उन्हें कैंसर है. मार्जोलिन का अल्सर दुर्लभ, लेकिन आक्रामक है. डॉक्टरों का कहना है कि यह पुरानी जलन, ठीक न होने वाले घाव, पैर के अल्सर, ट्यूबरकुलर त्वचा की गांठें, टीकाकरण और सांप के काटने के निशान में पाया जाता है.

डॉक्टरों का कहना है कि "कमर पर लगातार तनाव आमतौर पर त्वचा शोष (Thin Skin) का कारण बनता है. यह अंततः क्षरण या अल्सर का रूप ले लेता है." यह घाव आमतौर पर तंग कपड़ों के दबाव के कारण पूरी तरह से ठीक नहीं होता है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर यह घाव लंबे समय तक ठीक नहीं हुआ तो यह घातक परिवर्तन का कारण बन सकता है.

इसे कैसे रोकें ? स्वास्थ्य विशेषज्ञ त्वचा पर दबाव कम करने के लिए साड़ी के नीचे ढीला पेटीकोट और त्वचा संबंधी समस्याएं होने पर ढीले कपड़े पहनने की सलाह देते हैं.

डिस्कलेमर :- यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह लें.

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Last Updated : Nov 7, 2024, 1:37 PM IST
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