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धनतेरस पर सिर्फ 3 काम दिलाएंगे सुख-सौभाग्य, कर देंगे मालामाल

Dhanteras Remedies Muhurta : दीपावली की शुरुआत धनतेरस या फिर धनत्रयोदशी से होती है. ये दिन सुख-वैभव में वृद्धि करने वाला होता है.

Dhanteras Remedies Muhurta
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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : Oct 21, 2024, 1:57 PM IST

Updated : Oct 22, 2024, 6:12 AM IST

Dhanteras Remedies Muhurta : मां लक्ष्मी के भक्त बड़ी बेसब्री के साथ दीपावली का इंतजार करते हैं. वैसे तो माता लक्ष्मी की मुख्य पूजा दिवाली दिवाली की रात की जाती है लेकिन दीपावली एक पंच दिवसीय त्यौहार है. पंच दिवसीय दीपोत्सव पर्व की शुरुआत धनतेरस या फिर धनत्रयोदशी से हो जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, धनतेरस कार्तिक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. सनातन धर्म में जिस प्रकार दिवाली को लेकर आमजन उत्साहित रहते हैं, ठीक उसी प्रकार लोग धनतेरस को लेकर भी उत्साहित रहते हैं. धनतेरस का दिन आयुर्वेद के देवता (जनक) धन्वंतरि का जन्म दिन भी है. इसलिए इस दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी कहा जाता है और इसे धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाया जाता है.

इस साल 1 नवंबर को 'रोशनी का त्योहार' मनाने के लिए पूरे देश-दुनिया में तैयारियां जोरों पर हैं. दिवाली, जिसे पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाता है, कई राज्यों में पांच दिनों तक हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, जिसमें धनतेरस इसका उद्घाटन दिवस होता है. आमजन के लिए धनतेरस का दिन अपने सुख-वैभव में वृद्धि करने का दिन होता है. लोग इस दिन धार्मिक कार्यों के साथ-साथ सोने-चांदी, नए बर्तन, विभिन्न घरेलू सामान, धातु और विलासिता की चीजें खरीदना शुभ मानते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि आए और यह लंबे समय तक रहे.

Dhanteras Remedies Muhurta DO THREE REMEDIES ON DHANTERAS AUSPICIOUS TIME AND DHAN TRAYODASHI IMPORTANCE DURING DIWALI FESTIVAL
धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरी की पूजा करें (ETV Bharat)

पौराणिक महत्व : धनतेरस या धनत्रयोदशी का पौराणिक कथाओं में गहरा महत्व है. हिन्दू मान्यता के अनुसार, धन्वंतरि देव भगवान विष्णु के अवतार हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी सागर मंथन के दौरान धन के देवता भगवान कुबेर के साथ समुद्र से निकली थीं. यह पवित्र त्रयोदशी उनकी पूजा के लिए समर्पित है. जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था तब सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अपने साथ अमृत लेकर प्रकट हुए थे.

लाभप्रद योग बन रहे हैं : ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि धनतेरस के दिन बहुत ही अच्छे और लाभप्रद योग बन रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि ये दिन काफी शुभ होता है, जो भी व्यक्ति इस दिन सोना या चांदी खरीदता है. उसके धन में 13 गुणा वृद्धि होती है. भगवान धन्वंतरी इस दिन अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन सोना-चांदी के साथ बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है. धनतेरस पर सोना-चाँदी, नए बर्तन और विभिन्न धातु की वस्तुएं खरीदने की परंपरा भारत के कई राज्यों में है. यह प्रथा आरोग्य, सौभाग्य और धन को आकर्षित करती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्री यंत्र, तांबे के बर्तन, कुबेर यंत्र या पीतल का हाथी व झाड़ू भी खरीदने की परंपरा है, इससे माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है.

कब है धनतेरस, महत्व और उपाय! हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार कार्तिक महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. आचार्य श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि इस साल धनतेरस या धनत्रयोदशी का त्योहार 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा. त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 से होगी, जबकि इसका समापन अगले दिन दोपहर 1बजकर 15 मिनट पर होगा. दीपोत्सव के दौरान रात का महत्व होता है, इसलिए ये त्योहार मंगलवार 29 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा. इस वर्ष धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदने के लिए पर्याप्त समय है. माना जाता है कि प्रदोष काल या रात में माता लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करने वालों को आरोग्य, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. धनतेरस की पूजा करने के दौरान जो भी वस्तुएं खरीदी हैं. उसे पूजा की थाली में रखें और उनको माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देवता के आगे रखकर, घर में सुख-समृद्धि और संकट दूर करने की प्रार्थना करें.

दान-दीपक का विशेष महत्व : आचार्य श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि धनतेरस के शुभ मुहूर्त में किसी भी समय खरीदारी करना शुभ माना जाता है. त्रयोदशी तिथि के दिन घर के मुख्य द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपक कहा जाता है. ये दीपक यम देवता के लिए जलाया जाता है. जिससे अकाल मृत्यु दोष से मुक्ति मिलती है. कार्तिक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को तेरह दीपक अपने घर में जलाएं. धनतेरस के दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है, लेकिन ये दान सूर्यास्त से पहले ही करें. आप चीनी,चावल, कपड़ा आदि दान दे सकते हैं.

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इस साल 1 नवंबर को 'रोशनी का त्योहार' मनाने के लिए पूरे देश-दुनिया में तैयारियां जोरों पर हैं. दिवाली, जिसे पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाता है, कई राज्यों में पांच दिनों तक हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, जिसमें धनतेरस इसका उद्घाटन दिवस होता है. आमजन के लिए धनतेरस का दिन अपने सुख-वैभव में वृद्धि करने का दिन होता है. लोग इस दिन धार्मिक कार्यों के साथ-साथ सोने-चांदी, नए बर्तन, विभिन्न घरेलू सामान, धातु और विलासिता की चीजें खरीदना शुभ मानते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि आए और यह लंबे समय तक रहे.

Dhanteras Remedies Muhurta DO THREE REMEDIES ON DHANTERAS AUSPICIOUS TIME AND DHAN TRAYODASHI IMPORTANCE DURING DIWALI FESTIVAL
धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरी की पूजा करें (ETV Bharat)

पौराणिक महत्व : धनतेरस या धनत्रयोदशी का पौराणिक कथाओं में गहरा महत्व है. हिन्दू मान्यता के अनुसार, धन्वंतरि देव भगवान विष्णु के अवतार हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी सागर मंथन के दौरान धन के देवता भगवान कुबेर के साथ समुद्र से निकली थीं. यह पवित्र त्रयोदशी उनकी पूजा के लिए समर्पित है. जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था तब सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अपने साथ अमृत लेकर प्रकट हुए थे.

लाभप्रद योग बन रहे हैं : ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि धनतेरस के दिन बहुत ही अच्छे और लाभप्रद योग बन रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि ये दिन काफी शुभ होता है, जो भी व्यक्ति इस दिन सोना या चांदी खरीदता है. उसके धन में 13 गुणा वृद्धि होती है. भगवान धन्वंतरी इस दिन अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन सोना-चांदी के साथ बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है. धनतेरस पर सोना-चाँदी, नए बर्तन और विभिन्न धातु की वस्तुएं खरीदने की परंपरा भारत के कई राज्यों में है. यह प्रथा आरोग्य, सौभाग्य और धन को आकर्षित करती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्री यंत्र, तांबे के बर्तन, कुबेर यंत्र या पीतल का हाथी व झाड़ू भी खरीदने की परंपरा है, इससे माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है.

कब है धनतेरस, महत्व और उपाय! हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार कार्तिक महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. आचार्य श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि इस साल धनतेरस या धनत्रयोदशी का त्योहार 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा. त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 से होगी, जबकि इसका समापन अगले दिन दोपहर 1बजकर 15 मिनट पर होगा. दीपोत्सव के दौरान रात का महत्व होता है, इसलिए ये त्योहार मंगलवार 29 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा. इस वर्ष धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदने के लिए पर्याप्त समय है. माना जाता है कि प्रदोष काल या रात में माता लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करने वालों को आरोग्य, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. धनतेरस की पूजा करने के दौरान जो भी वस्तुएं खरीदी हैं. उसे पूजा की थाली में रखें और उनको माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देवता के आगे रखकर, घर में सुख-समृद्धि और संकट दूर करने की प्रार्थना करें.

दान-दीपक का विशेष महत्व : आचार्य श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि धनतेरस के शुभ मुहूर्त में किसी भी समय खरीदारी करना शुभ माना जाता है. त्रयोदशी तिथि के दिन घर के मुख्य द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपक कहा जाता है. ये दीपक यम देवता के लिए जलाया जाता है. जिससे अकाल मृत्यु दोष से मुक्ति मिलती है. कार्तिक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को तेरह दीपक अपने घर में जलाएं. धनतेरस के दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है, लेकिन ये दान सूर्यास्त से पहले ही करें. आप चीनी,चावल, कपड़ा आदि दान दे सकते हैं.

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Last Updated : Oct 22, 2024, 6:12 AM IST
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