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क्या अमेरिका ने नेतन्याहू की योजना पर फेरा पानी, जानें ईरान इजराइल युद्ध के बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ - IRAN ISRAEL WAR

Israel After Irans Drone And Missile Attacks : ईरान की ओर से हमलों के बाद इजराइल अपनी प्रतिक्रिया की तैयारी की तैयारी कर रहा है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के साफ तौर पर मना करने के बाद वह प्रत्यक्ष रूप से ईरान पर कोई हमला करने से परहेज करेगा. पढ़ें पूरी खबर..

Israel After Irans Drone And Missile Attacks
प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 15, 2024, 9:10 AM IST

Updated : Apr 15, 2024, 12:04 PM IST

हैदराबाद: ईरान के हमले के बाद अब दुनिया भर की नजर इजरायल की जवाबी कार्रवाई पर है. हालांकि, पश्चिमी राजनयिकों और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कथित तौर पर इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से कहा है कि वे आगे जवाबी कार्रवाई का समर्थन नहीं करेंगे, कुछ विश्लेषकों का सुझाव है कि कल रात के हमले अमेरिका, इजरायल के करीबी सहयोगी, को एक व्यापक क्षेत्रीय में युद्ध खींचने के लिए एक व्यापक चाल का हिस्सा हो सकते हैं.

Israel After Irans Drone And Missile Attacks
प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

इस बात का आकलन करने के लिए कि इजरायल का अगला कदम क्या होगा विश्लेषकों का मानना है कि हमें 1 अप्रैल को ईरानी वाणिज्य दूतावास पर इजरायल के हमले पर फिर से ध्यान केंद्रित करना चाहिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले से पहले इजरायल ने अपने सहयोगी देशों को भी काफी कम जानकारी दी थी बल्कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में तो यह भी कहा गया है कि इजरायल ने अपने सहयोगियों को हमले से कुछ समय पहले ही सूचित किया था.

Israel After Irans Drone And Missile Attacks
प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

एसडब्ल्यूपी बर्लिन के विजिटिंग फेलो हामिद्रेजा अजीजी ने अल जजीरा को बयाता कि ईरान के दो दूतावासों पर हमले हुए. पहला हमला इजरायल ने परिणामों के बारे में ज्यादा सोचे बिना किया, जबकि दूसरे हमले के बारे में कहा जा सकता है कि इजरायल चाहता था कि ईरान भी खुल कर इस संघर्ष में शामिल हो. जिससे दुनिया का ध्यान गाजा पट्टी से थोड़ी देर के लिए हटाया जा सके. उन्होंने कहा कि यह एक जानबूझ कर किया गया प्रयास लगता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

एक क्षेत्रीय महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति के बावजूद, इजरायल ईरान की कम से कम 580,000 की स्थायी सेना के खिलाफ खुद को सीधे खड़ा नहीं करना चाहेगी. चैथम हाउस के एसोसिएट फेलो नोमी बार-याकोव ने कहा कि नेतन्याहू की योजना स्पष्ट है, गाजा में युद्ध से ध्यान भटकाना और अमेरिका और अन्य पश्चिमी सहयोगियों को मध्य पूर्व में वापस खींचना. उन्होंने कहा कि इजरायल और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंध और अमेरिकी सहायता पर इजरायल की निर्भरता को देखते हुए, इजरायल को अमेरिका को सूचित करना चाहिए था कि वह ईरानी वाणिज्य दूतावास भवन पर हमला करने की योजना बना रहा था जहां आईआरजीसी स्थित है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

ऐसा न करके, इजरायल ने एक सीमा रेखा लांघ दी. जिससे इजरायल के इरादों पर सवाल उठने लगे. उन्होंने कहा कि किसी विदेशी वाणिज्य दूतावास पर हमला अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विदेशी धरती पर हमला है. यह स्पष्ट है कि नेतन्याहू जानते थे कि वह सीमा पार कर रहे थे और ईरान बलपूर्वक जवाब देगा. वर्षों से, ईरान ने अपने प्रतिनिधियों जैसे कि लेबनान में हिजबुल्लाह के माध्यम से इजरायल पर लगातार दबाव बनाए रखा है.

अल जजीरा के मुताबिक, विश्लेषकों का कहना है कि युद्ध में अमेरिका को शामिल करने के प्रयास के लिए नेतन्याहू की मंशा अकेले इजरायल के हितों से कहीं अधिक गहरी है. इजरायल में सर्वेक्षणों से पता चलता है कि प्रधान मंत्री की लोकप्रियता बेहद निचले स्तर पर है. नेतन्याहू ने इस दावे के आधार पर अपनी प्रतिष्ठा बनाई कि केवल वह और उनकी लिकुड पार्टी ही इजरायलियों के अधिकारों के लिए खड़ी है. सात अक्टूबर को हमास के नेतृत्व वाले लड़ाकों के अचानक हमले ने उनकी स्थिति को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

कार्नेगी एंडोमेंट में अंतर्राष्ट्रीय शांति और रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट में मध्य पूर्व सुरक्षा पर काम करने वाले एक अधिकारी एचए हेलियर ने कहा कि इजरायल के विकल्प इस बात से सबसे अधिक प्रभावित होंगे कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संकटग्रस्त नेतन्याहू ईरान के अत्यधिक टेलीग्राफ हमले के बाद तेल अवीव के लिए पश्चिमी सहानुभूति का लाभ कैसे उठाएंगे.

अक्टूबर से पहले के महीनों में, नेतन्याहू के प्रति लोकप्रिय असंतोष बढ़ रहा था. क्योंकि उनकी चरम दक्षिणपंथी सरकार उन बदलावों को लागू करने का प्रयास कर रही थी जो इजरायल की स्वतंत्र न्यायपालिका को प्रभावित करेंगे. सात अक्टूबर के बाद के महीनों में, गाजा पर युद्ध से निपटने के उनके तरीके के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे हैं. लोगों का मानना है कि वह शेष बंदियों की रिहाई सुनिश्चित करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

उन्होंने कहा कि इस बीच ऐसा लग रहा है कि अमेरिका ने भी नेतन्याहू के प्रति अपना धैर्य खो दिया है. अमेरिका ने इजरायल के युद्ध मंत्रिमंडल के सदस्य बेनी गैंट्ज़ को बातचीत के लिए वाशिंगटन, डीसी आने के लिए बुलाया था जिसपर नेतन्याहू ने नाराजगी व्यक्त की थी.

अजीजी ने कहा कि इस नवीनतम संघर्ष में इजरायल खुद को चाहे जो भी चित्रित करे, नाटक का मंचन अमेरिका ही कर रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से कहा गया है कि उसकी ईरान के साथ युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है. अमेरिका की ओर से मिल रहे संकेत के मुताबिक, पश्चिमी देश ईरान के प्रति राजनयिक प्रतिक्रिया देंगे. साथ ही संयम बरतने का भी आह्वान करेंगे. अल जजीरा के मुताबिक, अमेरिका के संकेत से नेतन्याहू की चाल खतरे में पड़ती दिख रही है. याकोव ने कहा कि हम निर्णायक मोड़ पर हैं और एकमात्र समाधान कूटनीतिक है. कठोर सैन्य प्रतिक्रिया से क्षेत्र में और अशांति पैदा होने का खतरा है.

कूटनीतिक रूप से, हमले पर इजरायल की प्रतिक्रिया पहले की प्रतिक्रिया की तरह ही है, संयुक्त राष्ट्र में उसके राजदूत ने इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का आह्वान किया है, इस नवीनतम हमले के बावजूद, एक बार फिर इजरायल के पीछे अंतर्राष्ट्रीय राय को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है. यह इजरायल की अपनी प्रतिक्रिया है. हेलियर ने कहा कि अमेरिका की ओर से ईरान पर हमले का समर्थन करने से इनकार के बाद नेतन्याहू फिर से प्रॉक्सी हमलों का सहारा लेने पर विचार कर सकते हैं. क्योंकि जवाबी कार्यवाही नहीं करने पर इजरायल में उनकी राजनीतिक जमीन और ज्यादा खिसक सकती है.

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Israel After Irans Drone And Missile Attacks
प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

इस बात का आकलन करने के लिए कि इजरायल का अगला कदम क्या होगा विश्लेषकों का मानना है कि हमें 1 अप्रैल को ईरानी वाणिज्य दूतावास पर इजरायल के हमले पर फिर से ध्यान केंद्रित करना चाहिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले से पहले इजरायल ने अपने सहयोगी देशों को भी काफी कम जानकारी दी थी बल्कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में तो यह भी कहा गया है कि इजरायल ने अपने सहयोगियों को हमले से कुछ समय पहले ही सूचित किया था.

Israel After Irans Drone And Missile Attacks
प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

एसडब्ल्यूपी बर्लिन के विजिटिंग फेलो हामिद्रेजा अजीजी ने अल जजीरा को बयाता कि ईरान के दो दूतावासों पर हमले हुए. पहला हमला इजरायल ने परिणामों के बारे में ज्यादा सोचे बिना किया, जबकि दूसरे हमले के बारे में कहा जा सकता है कि इजरायल चाहता था कि ईरान भी खुल कर इस संघर्ष में शामिल हो. जिससे दुनिया का ध्यान गाजा पट्टी से थोड़ी देर के लिए हटाया जा सके. उन्होंने कहा कि यह एक जानबूझ कर किया गया प्रयास लगता है.

Israel After Irans Drone And Missile Attacks
प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

एक क्षेत्रीय महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति के बावजूद, इजरायल ईरान की कम से कम 580,000 की स्थायी सेना के खिलाफ खुद को सीधे खड़ा नहीं करना चाहेगी. चैथम हाउस के एसोसिएट फेलो नोमी बार-याकोव ने कहा कि नेतन्याहू की योजना स्पष्ट है, गाजा में युद्ध से ध्यान भटकाना और अमेरिका और अन्य पश्चिमी सहयोगियों को मध्य पूर्व में वापस खींचना. उन्होंने कहा कि इजरायल और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंध और अमेरिकी सहायता पर इजरायल की निर्भरता को देखते हुए, इजरायल को अमेरिका को सूचित करना चाहिए था कि वह ईरानी वाणिज्य दूतावास भवन पर हमला करने की योजना बना रहा था जहां आईआरजीसी स्थित है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

ऐसा न करके, इजरायल ने एक सीमा रेखा लांघ दी. जिससे इजरायल के इरादों पर सवाल उठने लगे. उन्होंने कहा कि किसी विदेशी वाणिज्य दूतावास पर हमला अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विदेशी धरती पर हमला है. यह स्पष्ट है कि नेतन्याहू जानते थे कि वह सीमा पार कर रहे थे और ईरान बलपूर्वक जवाब देगा. वर्षों से, ईरान ने अपने प्रतिनिधियों जैसे कि लेबनान में हिजबुल्लाह के माध्यम से इजरायल पर लगातार दबाव बनाए रखा है.

अल जजीरा के मुताबिक, विश्लेषकों का कहना है कि युद्ध में अमेरिका को शामिल करने के प्रयास के लिए नेतन्याहू की मंशा अकेले इजरायल के हितों से कहीं अधिक गहरी है. इजरायल में सर्वेक्षणों से पता चलता है कि प्रधान मंत्री की लोकप्रियता बेहद निचले स्तर पर है. नेतन्याहू ने इस दावे के आधार पर अपनी प्रतिष्ठा बनाई कि केवल वह और उनकी लिकुड पार्टी ही इजरायलियों के अधिकारों के लिए खड़ी है. सात अक्टूबर को हमास के नेतृत्व वाले लड़ाकों के अचानक हमले ने उनकी स्थिति को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है.

Israel After Irans Drone And Missile Attacks
प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

कार्नेगी एंडोमेंट में अंतर्राष्ट्रीय शांति और रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट में मध्य पूर्व सुरक्षा पर काम करने वाले एक अधिकारी एचए हेलियर ने कहा कि इजरायल के विकल्प इस बात से सबसे अधिक प्रभावित होंगे कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संकटग्रस्त नेतन्याहू ईरान के अत्यधिक टेलीग्राफ हमले के बाद तेल अवीव के लिए पश्चिमी सहानुभूति का लाभ कैसे उठाएंगे.

अक्टूबर से पहले के महीनों में, नेतन्याहू के प्रति लोकप्रिय असंतोष बढ़ रहा था. क्योंकि उनकी चरम दक्षिणपंथी सरकार उन बदलावों को लागू करने का प्रयास कर रही थी जो इजरायल की स्वतंत्र न्यायपालिका को प्रभावित करेंगे. सात अक्टूबर के बाद के महीनों में, गाजा पर युद्ध से निपटने के उनके तरीके के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे हैं. लोगों का मानना है कि वह शेष बंदियों की रिहाई सुनिश्चित करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.

Israel After Irans Drone And Missile Attacks
प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)

उन्होंने कहा कि इस बीच ऐसा लग रहा है कि अमेरिका ने भी नेतन्याहू के प्रति अपना धैर्य खो दिया है. अमेरिका ने इजरायल के युद्ध मंत्रिमंडल के सदस्य बेनी गैंट्ज़ को बातचीत के लिए वाशिंगटन, डीसी आने के लिए बुलाया था जिसपर नेतन्याहू ने नाराजगी व्यक्त की थी.

अजीजी ने कहा कि इस नवीनतम संघर्ष में इजरायल खुद को चाहे जो भी चित्रित करे, नाटक का मंचन अमेरिका ही कर रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से कहा गया है कि उसकी ईरान के साथ युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है. अमेरिका की ओर से मिल रहे संकेत के मुताबिक, पश्चिमी देश ईरान के प्रति राजनयिक प्रतिक्रिया देंगे. साथ ही संयम बरतने का भी आह्वान करेंगे. अल जजीरा के मुताबिक, अमेरिका के संकेत से नेतन्याहू की चाल खतरे में पड़ती दिख रही है. याकोव ने कहा कि हम निर्णायक मोड़ पर हैं और एकमात्र समाधान कूटनीतिक है. कठोर सैन्य प्रतिक्रिया से क्षेत्र में और अशांति पैदा होने का खतरा है.

कूटनीतिक रूप से, हमले पर इजरायल की प्रतिक्रिया पहले की प्रतिक्रिया की तरह ही है, संयुक्त राष्ट्र में उसके राजदूत ने इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का आह्वान किया है, इस नवीनतम हमले के बावजूद, एक बार फिर इजरायल के पीछे अंतर्राष्ट्रीय राय को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है. यह इजरायल की अपनी प्रतिक्रिया है. हेलियर ने कहा कि अमेरिका की ओर से ईरान पर हमले का समर्थन करने से इनकार के बाद नेतन्याहू फिर से प्रॉक्सी हमलों का सहारा लेने पर विचार कर सकते हैं. क्योंकि जवाबी कार्यवाही नहीं करने पर इजरायल में उनकी राजनीतिक जमीन और ज्यादा खिसक सकती है.

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Last Updated : Apr 15, 2024, 12:04 PM IST
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